पिट चुका है कई बार वो उठाईगिरी के चक्कर में ,
हर बार कहा उसने, इसमें साजिश है रकीबों की।
कुछ ज्यादा ही कड़ा होता है इम्तहान मोहब्बत का,
ऐन इम्तहान के पहले सिलेबस बदल जाता है।
पीटा मुझे बे- बात के तेरे मोहल्ले वालों ने,
तू कहे हो तो इसे मोहब्बत के खाते में चढ़ा लूं!
-कट्टा कानपुरी
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