3D रेस्टोरेंट मतलब तीन बेटियों के रेस्टोरेंट से चाय पीकर लौटे तक काफी रात हो गयी थी। काफी रात मतलब करीब दस बजने वाले थे। सड़क पर केवल गाडियां थीं। सड़क के दोनों तरफ दुकानें बंद हो चुकी थीं। काफी दुकानों के साईन बोर्ड चमक रहे थे। दुकानों में काफी के नाम रोमन हिंदी में लिखे थे। लग रहा था किसी हिंदुस्तानी शहर में टहल रहे हैं।
वे लोग किसी के इंतजार में थे। बात करने पर पता चला कि कोई बड़े मठ से जुड़े कोई बड़े बौद्ध आने वाले हैं। उनकी अगवानी के लिए ही खड़े थे वे लोग। हर आती-जाती गाड़ी को चौकन्ना होकर देखते। गाड़ी निकल जाने पर थोड़ा सहज होकर बतियाते, इसके बाद फिर चौकन्ना हो जाता। चौकन्नेपन और सहजता की साइकिल चल रही थी।
थोड़ी देर में एक बड़ी गाड़ी रुकी। मठ के बाहर खड़े लोग लपककर उनकी अगवानी में जुट गए। गाड़ी अंदर चली गयी। मठ का दरवाजा बंद हो गया।
जिस तरह लोग आने वाले का इंतजार कर रहे थे और जितनी भव्य गाड़ी में आये वीआईपी बौद्ध और लोग लपककर उनको अंदर ले गए और गाड़ी के अंदर जाते ही गेट बंद हो गया उसे देखकर लगा कि धर्म के मामले में तामझाम कितना बढ़ गया है। बड़ा साधु, बड़ा धार्मिक मतलब बड़ा रुतबा मतलब बड़ी गाड़ी, बड़ा प्रोटोकॉल। धर्म दिखावे की मनाही करते हैं, वही इफरात में दिखता है हर जगह।
बहरहाल, आगे बढ़े। एक तिराहे पर नेपाली पुलिस के तीन जवान ड्यूटी दे रहे थे। पता चला उनमें से एक स्थायी कर्मचारी है, बाकी दो दिहाड़ी पर हैं। चुनाव भर के लिए उनकी ड्यूटी लगाई गई है। चुनाव बाद वापस चले जायेंगे। नेपाल के अलग-अलग हिस्सों से आये थे दिहाड़ी सिपाही। अपने यहां के होमगार्ड सरीखे। पर होमगार्ड तो लगभग नियमित ड्यूटी करते हैं। लेकिन यहां दिहाड़ी सिपाही की ड्यूटी सिर्फ चुनाव भर को थी। क्या पता बाद में और कोई काम मिले।
करीब महीने भर के लिये ड्यूटी के लिए करीब 25 हजार नेपाली रुपये मिलने की बात बताई उन लोगों ने।
सिपाहियों ने बताया कि ये जो चौराहों पर ठेलिया वाले हैं उनको भी रात दस बजे तक ही अनुमति है ठेलिया लगाने की। रात दस के बाद कोई नहीं दिखेगा।
नेपाली सिपाहियों की फोटो खींचने के लिए पूछा तो मुस्कराकर खड़े हो गए। खींच ली हमने फ़ोटो।
होटल के बाहर दरबान मुस्तैद था। बातचीत से पता चला कि काफी दिन सऊदी अरब रह कर आये हैं। तबियत खराब हो गयी तो अब वापस आ गए। अब नहीं जाएंगे। वहाँ पैसा बहुत है लेकिन रहने की तकलीफ भी काफी।
नेपाल में मंहगाई की बात चली तो उन्होंने बताया कि यहां सब सामान तो बाहर से आता है। इसीलिए मंहगाई है। भारत मे मोटरसाइकिल के दाम पूछे हमसे तो हमने अंदाज से बता दिया -एक लाख रुपये। इस पर वो बोले -'यहाँ आते आते मोटरसाइकिल तीन से चार लाख रुपये मिलती है। पेट्रोल 200 रुपये लीटर है। हर सामान बाहर से आता है इसी लिए बहुत मंहगाई है।'
परेशानियों के इस एहसास के बावजूद दरबान के चेहरे पर मुस्कान थी और लहजा विनम्र। लेकिन यह तो हम देख रहे थे। हमको क्या एहसास उनकी परेशानी का। जो झेलता है वही अच्छी तरह समझता है।
दरबान से बात करके अंदर आये। होटल के अहाते में फव्वारा चल रहा था। फव्वारे के चारो तरफ रोशनी थी। पानी उछल-उछलकर ऊपर आ रहा था। थोड़ी देर रोशनी में चमकता और फिर नीचे चला जाता। जैसे स्टेज पर लोग आते है, अपना रोल अदा करते हैं और वापस मंच से चले जाते हैं उसी तरह पानी अपना रोल अदा कर रहा था।
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