Tuesday, May 07, 2024

सरकारी सेवा से रिटायरमेंट

 और अंतत: अपन भी सरकारी सेवा से रिटायर हुए ।

30 अप्रैल, 2024 दिन मंगलवार दफ़्तरी लिहाज से साठ साल की उम्र पूरी होने के बाद दफ्तर वालों ने इज्जत के साथ विदा कर दिया। इज्जत की बात हम सोच रहे हैं। उनके मन में क्या भाव होंगे, वे ही जानते होंगे। अपन तो इसी भरम से विदा हुए।
24 साल से कुछ कम की की बाली उमर में आयुध निर्माणियों में दाखिल हुए थे। तारीख थी 30 मार्च, 1988 दिन वुधवार। आयुध निर्माणी कानपुर में पुरानी साइकिल पर आये थे ज्वाइन करने। आदरणीय मिश्रा जी D.d. Mishra साथ आये थे ज्वाइन कराने। साइकिल गेट पर खड़ी करवा ली गयी थी। अफसर तो तब माने जायेंगे, जब घुसेंगे फैक्ट्री में।
हमारे साथ उस साल आठ लोगों ने ज्वाइन किया था। आदित्यानन्द श्रीवास्तव (AN) और हमने एक ही दिन ज्वाइन किया था। बाद में दिनेश चन्द्र श्रीवास्तव (DC) , राजेश अग्रवाल, अखिलेश कुमार मौर्य, दामिनी पासबोला और अमिताभ ने ज्वाइन किया। इनमें अमिताभ बाद में रेलवे में चले गए। दामिनी अमेरिका। बाकी बचे छह लोगो ने आयुध निर्माणियों में सेवा की। सभी लोग आयुध निर्माणियों से उच्चतम पदों तक पहुंचे। AN एक शानदार कैरियर के बाद गत वर्ष लम्बी बीमारी के बाद नहीं रहे। आज के दिन अखिलेश कुमार मौर्य को छोड़कर बाकी सभी रिटायर हो चुके हैं।
आयुध निर्माणी कानपुर (OFC) में कुछ दिन रहने के बाद बोलांगीर गए हम। एक ही ट्रक में हमारा, AN और नन्द किशोर गुप्ता जी जो स्माल आर्म्स फैक्टरी (SAF) में हमारे साथी थे, का सामान साथ गया। बोलांगीर के बाद अपन आयुध निर्माणी, शाहजहांपुर (OCFS) रहे आठ साल। फिर कानपुर आये। आयुध निर्माणी कानपुर (OFC) में करीब सात साल रहने के बाद बगल की फैक्ट्री स्माल आर्म्स फैक्ट्री में करीब चार साल रहे। फिर वाहन निर्माणी फैक्ट्री जबलपुर (VFJ) में करीब चार साल रहे। मई , 2016 में पैराशूट फैक्ट्री, कानपुर (OPF) आये। यहां से नवम्बर, 2019 के अंत में तबादलित हुए और 3 दिसम्बर, 2019 को आयुध वस्त्र निर्माणी, शाहजहांपुर (OCFS) के महाप्रबंधक बने। करीब दो साल सात महीने की महाप्रबंधकी के बाद वापस कानपुर आये जुलाई ,2022 में। छह महीने ट्रूप कम्फर्ट्स लिमिटेड (TCL) में रहने के बाद फील्ड यूनिट कानपुर (DFU Kanpur) आये फरवरी ,2023 में। यहीं से विदा हुए इसी 30 अप्रैल , 2024 को।
इस दौर की अनगिनत यादें हैं। ज्यादातर खुशनुमा कुछ कम खुशनुमा। कड़वी यादें भी कुछ रहीं लेकिन उनको हमने खाने में स्वाद बढाने वाले मसालों की तरह ही ग्रहण किया। उन तमाम यादों को कभी तरतीब से लिखने की कोशिश करेंगे।
फील्ड यूनिट कानपुर में विभिन्न निर्माणियों से आये हुए लोग थे। निर्माणियों ने अपने ‘छंटे हुए’ लोगों को फील्ड यूनिट को उपहार स्वरूप दिया था। हमारे पूर्ववर्ती अजय सिंह जी ने इसको बड़ी मेहनत संवारा और स्थापित किया। बाद में अपन ने मजे –मजे में काम किया। अपने साथियों के विविधता पूर्ण गुणों के कारण हम अपनी यूनिट को ‘शंकर जी की बरात’ कहा करते थे। बिना किसी जानकारी के तमाम काम निपटते रहे। बाद में एक मीटिंग के दौरान हमारे एक साथी ने अपने लोगों के बीच प्रचलित हमारा मजे का नाम बताया –“आपको हम लोग महादेव कहते हैं।“ इसका कारण उन्होंने यह बताया-“ आपके पास जो भी आता है आप उसके काम के लिए तथास्तु कह देते हैं और करने का पूरा प्रयास करते हैं।“
यह बात सुनकर हमको अपना अपना वर्षो पुराना लेख याद आया – ‘शंकर जी बोले –तथास्तु’। इस लेख के देवांशु Devanshu बड़े मुरीद हैं।
विदाई के मौके पर साथियों और मित्रों ने खूब उदार होकर तारीफ़ की। लगा कि देश में अमृत काल की तर्ज पर उस दिन तारीफ़ का अतिशयोक्ति काल चल रहा है। हमें लगा कि किसी और की तारीफ़ कर रहे हैं लोग मेरे नाम पर। एक जगह हमने कहा भी कि अब मैं रिटायर हो चुका हूँ वरना अपने खिलाफ गुणों से अधिक तारीफ़ के लिए जांच बिठा देता। सहजता , सरलता और सर्वसुलभ होने की तारीफ़ तो लोगों ने की ही। किसी ने स्थितिप्रज्ञ कहा किसी ने भलाइयों का देवता। एक मित्र ने अजातशत्रु भी कहा। अजातशत्रु वाली बात को मेरे एक दूसरे मित्र ने दिल पर ले लिया और अगले दिन छांट के हमको व्हास्सेप सन्देश भेजा – ‘If no one hates you, you are doing something boring’ अगर आपको कोई घृणा नहीं करता तो आप कोई बोरिंग काम कर रहे हैं।
हम यह तय करने की जहमत में नहीं पड़े कि इस सन्देश के माध्यम से हमारे प्रिय मित्र हमारे अजातुशत्र होने वाली बात पर वीटो लगा रहे हैं या कहना चाह रहे हैं कि हम बोरिंग इन्सान हैं । यह भी हो सकता है कि वे बता रहे हैं कि देखो हमने जिन्दगी में बोरियत से कैसे अपनी रक्षा की। इसी बहाने हमको समझ में आया कि दुनिया में तमाम घृणा बोरियत से बचने का उपाय है।
विदा करने के लिए दफ्तर के तमाम साथी फैक्ट्री के गेट तक आये। बाहर से भी कुछ साथी आये थे। रोज अकेले निकलते थे, 30 तारीख को सब लोग आये। शायद यह सुनिश्चित करने के लिए कि अगर घर जाने में आनाकानी करे तो धकिया के बाहर कर दिया जाए बाहर से भी कुछ साथी आये थे। कुछ लोगों को गाडी में बैठाकर लोग रस्से से गाडी खींचकर बाहर ले जाते हैं । रिटायर होने वाले लोग उसे अपनी लोकप्रियता समझते हैं । मेरी समझ में यह विदा होने वाले को घसीटकर बाहर करना होता है । एक बार किसी को घसीटकर बाहर कर दिया जाए तो वह दोबारा वापस आने की नहीं सोचेगा ।
बहरहाल 36 और एक माह की सरकारी सेवा के बाद पेंशनयाफ्ता होकर अकबर इलाहाबादी का शेर याद आ रहा है :
‘बीए किया नौकर हुए,
पेंशन मिली और मर गए।‘
अब जब इस शेर के तीन काम साथ साल की उमर तक पूरे हुए तो समानुपात के नियम से अगर किसी ने भांजी नहीं मारी तो आख़िरी काम पूरा होने तक कम से कम बीस साल तो मिलेंगे ही। इन सालों में क्या करेंगे आगे यह तो आने वाला समय बताएगा। लेकिन फिलहाल खूब पढ़ने, घुमने-फिरने और यथासंभव लिखने का मन है। देखिये कितना कर पाते हैं।
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