आज सुबह नींद खुली साढ़े तीन बजे। मतलब तब जब ब्राह्ममुहूर्त भी ड्यूटी पर हाजिर नहीं हुआ था। कई लिखाई-पढ़ाई के काम याद आए। उनको याद करके फिर पलट के सो गए। सोचा थोड़ा और सो लिया जाए फिर उठा जाएगा।मतलब नींद की 'एक बाइट' और ले ली जाए।
'नींद की बाइट' भी हर एक के लिए अलग-अलग होती है। किसी की घण्टे भर की, किसी की पांच मिनट की। जितनी देर में घण्टे भर की 'नींद की बाइट' वाला एक बाइट लेता है उतनी देर में पांच मिनट की बाइट वाला दर्जन भर बाइट ले लेता होगा। कभी-कभी घण्टे भर की नींद की बाइट वाला इंसान भी पांच-पांच मिनट की नींद की बाइट ले लेता होगा।
यह तो बात हुई नींद की। उनके क्या हाल होते होंगे जिनको नींद नहीं आती या कम आती है। उनकी भी क्या 'उनींदे' की 'अनींद' की बाइट होती होगी?
जगने के बाद टहलने निकले। सड़क पर इक्का-दुक्का लोग टहल रहे थे। पंछी हल्ला मचा रहे थे। क्या पता कह रहे हों हमारा नाम लेते हुए -'निकल लिया, निकल लिया आज भी टहलने निकल लिया।'
सामने से एक महिला बीच सड़क पर टहलती आ रही थी। हाथ में छुटका तौलिया लिए थी। शायद पसीना पोंछने के लिए। पसीना अभी आया नहीं था लेकिन महिला तौलिया चेहरे पर घुमाती जा रही थी। शायद पसीना सुखाने की नेट प्रैक्टिस कर रही हो। यह भी हो सकता है सम्भावित पसीने को धमका रही हो-'ख़बरदार, जैसे ही निकले, सुखा दिए जाओगे।'
एक दूसरी महिला टहलते हुए बगल से गुजरी तो दिखा की उसके कान में ईयरप्लग ठुंसा था और वह कोई प्रवचन टाइप सुन रही थी। बगल से गुजरते हुए प्रवचन के बोल मेरे भी कानों में जबरियन धंस गए। प्रवचनिया कह रहा था-'काम, क्रोध, मद, लोभ से बचकर रहना चाहिए।' महिला जब यह सुन रही थी तब वह इन सभी तथाकथित विकारों से एकदम मुक्त थी।
कोई इंसान जब काम, क्रोध, मद, लोभ आदि विकारों से मुक्त हो तब उसको उनसे बचने के लिए कहा जाए तो सहज रूप से इनके बारे में जो सोचेगा।
आगे के पार्क के बाहर पुलिया पर बैठे कुछ लोग अपने शरीर को टेढ़ा-मेढ़ा करते हुए बतिया भी रहे थे। एक की आवाज सुनाई पड़ी -'ईमनदार आदमी को कमजोर समझते हैं। सब समझते हैं कि ईमनदार आदमी बेवकूफ होता है। पहले ऐसा नहीं होता था।' 'ईमानदार' को 'ईमनदार' कहते हुये पूरे आत्मविश्वास से ईमानदारी को बेवकूफी का सीधा कनेक्शन करवा रहे थे।
अगले ने भी कुछ कहा होगा। हम सुन नहीं पाए। हमको बस यही दिखा कि वह अपने पेट को कपड़े की तरह निचोड़ते हुए कसरतिया रहा था।
वहीं सामने के पार्क में कुछ महिलाएं भी बच्चों के साथ हाथ और पेट घुमाते हुए कसरत कर रहीं थीं।
आगे एक आदमी अपनी दोनों चप्पल हाथ में लिए आता दिखा। हमें लगा शायद किसी नागवार गुजरती बात पर बिना समय बर्बाद किये चप्पलियाने के इरादे से वह चप्पल हाथ में लिए था। लेकिन बात करने पर पता चला कि उसको डॉक्टरों ने नंगे पैर चलने के लिए बोला है। उसकी मजबूरी को हम उसकी मजबूती समझ लिए थे।
चौराहे पर एक 'स्लिमिंग सेंटर' वाले अपना होर्डिंग लगाए खड़े थे। पतला होने की तरकीब बताने के लिए। कोर्स करवाने के लिए। एक आदमी ने अपना पुराना फोटो दिखाया जिसमें वह काफी स्वस्थ दिख रहा था। अभी वह 'स्लिम-ट्रिम' टाइप दिख रहा था। बताया कि ये थे ये हो गए हैं। हमको बोला -'खाली टहलने से नहीं होगा। खानपान ठीक करना होगा।'
अपन आगे बढ़ गए। हड़बड़ी में वजन नहीं कम करना। फैट बुरा मान जाएगा। आहिस्ते से कम करेंगे। फुसलाते हुए। इतने दिन साथ दिया उसने मेरा। अब हम उसको झटके से दफा कर दें। ऐसे बेवफा हम हरगिज नहीं।
लौटते हुए एक रेलिंग पर कुछ बच्चे बैठे दिखे। कल भी दिखे थे लेकिन कल बात नहीं हुई थी। आज पास खड़े होकर बात की। पता चला कि स्कूल के घरों में रहते हैं। टहलने आये हैं तो आराम करने के लिए बैठ गए रेलिंग पर।
रेलिंग पर बैठना बच्चों के थकने से ज्यादा बतियाने की मंशा से रहा होगा। तसल्ली से बतिया रहे थे वे। एक बच्चा अपना मोबाइल में कोई वाल पेपर छांट रहा था। हमने सबको रेलिंग पर बिठाकर फोटो खींचा। दिखाकर कहा -'इसे बना लो वाल पेपर। बच्चे मेरी बात पर हंसने लगे। हमको लगा कि देश में हमारा जिक्र करते हुए इस बात पर बहस न छिड़ जाए कि एक और भी नमूना है देश में जिस पर लोग हंसते हैं।
एक बच्ची के हाथ में एक छोटा पक्षी दुबका सा बैठा था। बच्चों ने उसे रास्ते से उठाया था। पक्षी की पीठ में हल्का सा घाव था। उसकी हड्डियां दिख रहीं थीं। शायद किसी बड़े पक्षी ने उस पर हमला किया होगा। बच्ची कह रही थी-'इसे घर ले जाएंगे। इलाज करेंगे।'
बच्चों से बात करने के बाद घर लौट आये। हमको पुलिया पर बैठे आदमी की बात याद आ रही है-'ईमानदार आदमी बेवकूफ होता है।'
क्या सच में ऐसा होता है?
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