Wednesday, May 08, 2024

यादों के बगीचे में



आज सुबह टहलने निकले। घर से निकलकर मैत्री नगर की तरफ गये। मैत्री नगर का हीरक जयंती उद्यान हमारा पसंदीदा पार्क है। 2001 से 2007 तक ओएफसी में काम किया। कुछ दिन इस्टेट आफिस में रहे। उसी दौरान मैत्री नगर पार्क के रख रखाव में काफी रुचि ली। झूले लगवाये। पार्क के बीच में फव्वारा लगवाया। शाम को रंग-बिरंगा फव्वारा चलता तो देखने में बहुत अच्छा लगता। खूब सारे फूल-पौधे लगे।
पार्क के रख रखाव में रुचि का आलम यह था कि दिन में कम से कम एक बार पार्क का राउंड जरुर लेते। कोई झूला टूट जाता तो उसी दिन ठीक करवाते। आसपास से तमाम लोग आते घूमने। उस समय के हमारे वरिष्ठ महाप्रबंधक श्री एस के शर्मा जी ने लोकार्पण किया था। संयोग कि पार्क का लोकार्पण 30 अप्रैल, 2006 को हुआ था। हमारे रिटायरमेंट के दिन ठीक 18 साल पहले।
आज पार्क के हाल उतने अच्छे नहीं हैं। समय के साथ संस्थानों और उनसे जुडे लोगों की प्राथमिकतायें बदल जाती हैं।
शर्मा सर के साथ की अनेक बहुत प्यारी यादें हैं।
शर्मा सर जब इस्टेट राउंड करने आते तो उनको आर्मापुर इस्टेट गेट तक छोडने जाते। वहां याद आने पर कहते-'अरे सर, चाय तो रह गयी। चलिये पी लीजिए।' शर्मा सर,अगर कोई जरूरी मीटिंग न होती तो गेट से लौटकर हमारे दफतर वापस आते। चाय पीते। फिर वापस जाते।
इसी तरह की तमाम अनगिनत यादें सेवाकाल की हैं। सीनियर, साथ के और जूनियर लोगों की।
रिटायर हुये हफ्ते से ऊपर हो चुका है। विदाई पार्टियों का दौर उतार पर है। ज्यादातर निपट चुकीं। कुछेक बाकी हैं। सभी की फोटो वीडियो देख देखकर वापस पुराने दौर में लौट जाते हैं। यादें बहुत भटकऊआ होती हैं। न जाने कहां-कहां टहलाती हैं।
हमको विदा करने के लिये शाहजहांपुर से और हजरतपुर से साथी लोग आये। शाहजहांपुर के कुछ साथी तो बडा वाला माला लेकर आये थे जिसको पहनकर नेता लोग मंच पर भाषणबाजी करते हैं। इतनी दूर कोई साथी और माला पहनाकर ,मिठाई खिलाकर चला जाये यह बिना अपनापे के भाव के सम्भव नहीं है। मुझे इस बात की खुशी है कि मुझे अपने तमाम साथियों से मोहब्बत बेपनाह मिली है।
मेरे बेटे अनन्य ने विदाई पार्टी का संचालन करते हुये कहा-" एट द एंड ऑफ कैरियर, एट द ऐंड ऑफ लाइफ सबसे ज्यादा यही मैटर करता है कि आफ इंसान कैसे थे। इट विल नाट मैटर टु एनीवन कि आपने कितने पैसे कमाये, कितना फेमस हो गये। एंड में यही मैटर करता है कि लोग आपको कैसे जानते थे,आपसे कैसे मिलते थे। वह सिर्फ सिर्फ आपके नेचर से डिसाइड होता है। वो चीज पापा आपमें बहुत ज्यादा है। जिस तरह के आप इंसान हैं। जिस तरह यहां इतने लोग आये हैं,आपको जानते है इससे पता चलता है कि लोग इसलिये आपकी इज्जत करते हैं। उससे हम आपको बहुत प्यार करते हैंं। हमें नहीं फर्क पडता कि आप कितने पैसे कमा रहे हैं आप हमारे लिये, क्या कर रहे हैं जिस तरह के आप इंसान हैं वह हमारे साथ हमेशा रहता है।"
बच्चे अगर आपने पिता को अच्छा इंसान समझें तो समझो बुज़ुर्गियत के दिन अच्छे कटने की संभावना है।
36 साल की सेवा की अनगिनत यादे हैं। विदाई पार्टी के तमाम फोटो,वीडियो हैं। वे सब एक-एक करके अपनी यादें सुरक्षित करने की मंशा से यहां साझा करते रहेंगे। ये ऐसी यादें हैं जिनको बार-बार देखने का मन होता है। खुशी होती है। अपनी खुशी के लिये ऐसा करेंगे। आत्मनस्तु वै कामाय सर्वम प्रियम भवति।
पिछ्ली पोस्ट में मित्रों ने मेरी सेवानिवृति पर बधाई दीं, आगामी जीवन के लिये शुभकामनायें दीं। मेरी तारीफ की। इस प्यार और उदारता के लिये सभी का धन्यवाद। आभार।

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