Sunday, April 03, 2005

ये मस्त चला इस बस्ती से

बचपन में हमें बताया जाता था कि बेटा,घर से बाहर निकलो तो कोई अनजान आदमी दिखे तो उससे बच के रहना.लोगसाधू, सन्यासी के रूप में भी आते हैं पकड़ के ले जाते हैं.बचपना तो हम बाइज्जत निकल ले आये.जवानी भी वहां आ गयी जहां लोग हिचकते हैं जवान कहने में.अब इस उमर में हम पड़ गये स्वामीजी के चक्कर में.ये हमसे कहते हैं कि चलो आश्रम में वहीं सत्संग करते हैं.सो हम झांसे में आ गये हैं-वहीं से अलख जगाने का काम करेंगे.यहां हम तभी आयेंगे जब या तो आश्रम उजड़ जायेगा या ये उखड़ जायेंगे-काहे से हम उखड़ने से रहे कहीं से भी.देखना है क्या होता है.

ब्लाग लिखना हमने शूरु किया था अभिव्यक्ति में रवि रतलामी जी का लेख पढ़कर.कुल जमा नौ शब्दों की पहली पोस्टदेवाशीष के ब्लाग पर उपलब्ध की बोर्ड से लिखी थी.पहली पोस्ट की तीनों टिप्पणियां यह देखने में मिट गयीं कि शायद इन बक्सों को क्लिक करने पर कुछ मिले.

स्वामीजी ने तमाम सब्जबाग दिखाये हैं ,तमाम खूबियां बतायी हैं अपने आश्रम की.मैं उनसे उतना ही अज्ञान हूं जितना शुरु में था.मैं महाजनो येन गत: स: पन्थ: का नारा लगाते हुये चल रहा हूं-यायावरी के लिये.


बहरहाल अब आगे हमारे लेख नयी जगह पर मिलेंगे.यहां का शटर डाउन अगली सूचना तक के लिये.

परम्परा है विदा के समय कुछ कहने की तो ऐसे ही मौके के लिये रटी बातें न दोहरायें तो अच्छा नहीं लगता.


हम दीवानों की क्या हस्ती ,हम आज यहां- कल वहां चले,
मस्ती का आलम साथ चला ,हम धूल उड़ाते जहां चले.


तथा

ये मस्त चला इस बस्ती से इससे थोड़ी मस्ती ले लो,
इसने पायी सब कुछ खोकर तुम इससे थोड़ी सस्ती ले लो.

6 comments:

  1. जाते-जाते,जरा सा हँस के किया,तुमने सारा शहर उदास-उदास ।

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  2. ब्लागस्पाट का फुरसतिया डिलीट मत करना, नही तो कौनो हड़प लेगा, जैसे रमण कौल के साथ हुआ था.ये पुश्तैनी जगह रहने दो, नये फ्लैट मे भले ही चले जाओ, कभी कभी चक्कर लगाने आ जाना.

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  3. उदास रहने की आदत छोड़ दो राजा बाबू.ये आदत अच्छी नहीं है.बदल डालो.जीतू,हम सारे लेख यहां सुरक्षित रखेंगे.जमीन से जुड़े रहेंगे.आओ उधर भी निभाओ टिप्पणी धर्म.

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  4. Anonymous3:28 PM

    hey its really nice to see someone writing the blogs in hindi

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  5. Anonymous10:54 PM

    Hellow Anupji
    I have gone through you writup. Kafi acha laga. I also want to write in hindi but I could not find the letters. But still I will convey my thanks to you that you are writing in Hindi and making people smille when they read your articals. I shown this articale to my wife and she also like it very much and smilled.

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  6. It is remarkable, very good information

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