Saturday, May 19, 2007

कनाडा-अमेरिका न जाओ श्याम पैंया पड़ूं…

http://web.archive.org/web/20140419214439/http://hindini.com/fursatiya/archives/277

कनाडा-अमेरिका न जाओ श्याम पैंया पड़ूं…

कनाडा अमेरिका न जाओ श्याम पैंया पड़ूंइंकब्लागिंग-प्रथम, किंतु अंतिम नहीं,प्रयास
संबंधित कड़ियां: किस्सा(1)इंक-ब्लागिंग(2)

29 responses to “कनाडा-अमेरिका न जाओ श्याम पैंया पड़ूं…”

  1. अरुण
    वाह दादा टिपयाने को भी इंक से ही मन कर रहा है इसका भी कुछ जुगाड सोचना,मजा आ गया,ये समीर भाइ बहुत उछल रहे थे कविता सुनाने कॊ अब चार छै दिन नींद नही आयेगी,तो यहा पढायेगे ही मजबूरी मे क्या खयाल है,
    आपकी और समीर भाई की फ़ोटो यहा भी है देखे http://images.google.co.in/images?q=गदहे&svnum=10&um=1&hl=en&start=18&sa=N&filter=0&ndsp=18
  2. आलोक
    वाह। क्या कहने।
  3. मैथिली
    आपकी इंक ब्लागिग बहुत अच्छी लगी.
  4. जीतू
    बहुत अच्छा लगा। शुकुल तुम्हारी हैंडराइटिंग देखकर पंडित गिरिजाशकर की याद आ गयी, बचपन में, वो हमें पंचाग लिखकर देते है, घर घर पहुँचाने के लिए। हम उसमे गोले (Circles) लगाया करते थे। बहुत मजा आता था, इच्छा तो हो रही है इसमे भी गोले, वर्गाकार खाने बनाए, एक सिरे से दूसरे सिरे को जोड़े, कार्टून बनाने, लेकिन तकनीक ने हाथ बांध दिए, उस जमाने मे पीडीएफ़ होती तो हम शरारत ना कर सकते।
    अच्छा प्रयास है, राइटिंग भी काफी अच्छी है। लगे रहो……
  5. PRAMENDRA PRATAP SINGH
    अच्‍छा लिखा है बधाई
  6. संजय बेंगाणी
    हस्तलेख देख कर प्रसन्नता हो रही है. मन कर रहा है अभी कुछ लिख कर चिपका दूँ, मगर हमारी लिखावट जरा…. :)
    हाथे से लिखने के कारण लेख की लम्बाई कंट्रोल में रही. :)
  7. श्रीश शर्मा
    मजा आ गया लेख पढ़कर, वाकई हाथ से लिखे की बात ही कुछ अलग है। लेख के साथ बनाए कार्टून ने लेख का आनंद बढ़ा दिया।
    आपकी पहली इंकब्लॉगिंग एक लिए शुभकामनाएं, आगे भी लिखते रहिए, हम इंतजार कर रहे हैं।
  8. समीर लाल
    बहुत सही, महाराज. क्या लिखाई है भाई, वाह!! ये जो हमारी तस्वीर बनाई गई है..आपके मुँह में घी-शक्कर. क्या दुबला किया है भाई!!! साधुवाद. :)
    आप अब फिल्मों में गाने लिखना शुरु हो ही जायें. अच्छा लिखे हैं…श्याम पैंय्या पडूँ !!!
    सारा कुछ पढ़ने के बाद शराफत मोड में आ कर टिपिया रहा हीँ…हा हा!!! :)
    अच्छी वाली ही तो कविताऐं छापी हैं…अब और कहाँ से लाऊँ. :(
  9. जगदीश भाटिया
    एक बार शायद देबू दा ने टिप्पणी की थी कि आपको हाथ से लिखेने की क्या जरूरत है आप तो लिखने से ज्यादा स्पीड से टाईप कर लेते हैं।
    मगर यहां देख कर कहना पड़ रहा है कि आपको टाईप करने की क्या जरूरत है आप तो टाईप से ज्यादा सुंदर लिख लेते हैं।
    अच्छा है, कभी कभी हर तरह के बदलाव और प्रयोग होते रहने चाहियें।
  10. manya
    मज़ा आया पढकर. ह्स्तलेख तो अच्छा है ही.. और भी अच्छा हो जयेगा.. आपकी लेखन शैली गुदगुदा जाती है हर बार.. :)
  11. ratna
    बढ़िया है, लेख भी ,इंक ब्लोगिग भी औऱ हस्तलिपी भी।
  12. रचना
    आपका यह प्रथम, किन्तु अन्तिम नही, प्रयास बहुत अच्छा लगा..आप आगे भी इसी तरह सफ़ल प्रयास करते रहे‍..:)
  13. अभिनव
    आपका तो बिल्कुल एक नंबर का मामला है। इंकियाने का मजा ही कुछ अऊर है, हमरी भी आदत छूट गई है पर कोशिश अवश्य करेंगे। कभी न कभी। बाकी समीरजी तो अच्छा लिखते ही हैं इस पर कुछ अधिक बात नहीं हो सकती। हाँ वे कविताएँ ज्यादा अच्छी लिखते हैं या व्यंग्य यह विवाद का विषय हो सकता है। :)
  14. mamta
    इंक ब्लोगिग अच्छी लगी। बहुत ही रोचक अंदाज मे लिखा है।
  15. Raman Kaul
    बहुत खूब। जितना सुन्दर लेखन, उतनी ही सुन्दर लेखनी। कौन सी चक्की का पिसा खाते हैं, शुक्ल जी?
    अब इमेज मैप भी बढ़िया बन गया है। फ्लिकर का लिंक हटा दें।
  16. नितिन
    बहुत खूब!!
  17. ज्ञानदत्त पाण्डेय
    ये तकनीक के मारे तो नाक में दम है. यहां अच्छा भला लेख पढ़ने आये थे पर क्यूरियॉसिटी चालू हो गयी इंक-ब्लॉगिंग की. एक तकनीक सीखो; तब तक वो कन्डम हो जाती है. फिर नया नाम/नयी तकनीक.
    ये कविता सुनाओ, सुनैबे करो;
    नयी तकनीक न चमकाओ श्याम पैंया पड़ूं.
  18. sujata
    बहुत बढिया जनाब । हाथ के लेख मे अपनापन होता है । लेख मे व्यक्तित्व झलकता है टाइप मे ऐसा कहाँ । अतिउत्तम ! :)
  19. eswami
    अरे वाह! आपकी हैंडराईटिंग तो सचमुच सुंदर है! :)
  20. राजीव
    बहुत ख़ूब।
  21. चौपटस्वामी
    चलिए इस नई तकनीक के बहाने आपका हस्तलेख देखने का मौका मिला . वरना अब सम्पादक के पास भी टाइप या शब्द-संयोजित लेख-कविताऎ ही आते हैं . अच्छे और विद्वान लोगों का सुंदर हस्तलेख देखने के लिए आंखें तरस जाती हैं . सुलेखन-खुशखत-कैलीग्राफी तो अब बीते जमाने की बात हो चली है .
  22. masijeevi
    भई वाह।।।
    पर एक चेतावनी आपने समीर जी क‍ि कविताई को कूड़ा कहा…हम नहीं जानते कि वह कूड़ा है कि नहीं पर तुलसी और पंत के काव्‍य को कूड़ा कहे जाने पर आप के प्रदेश में खूब उफनाई हो रही है। जेल और अदालत का चक्‍कर चल रहा है…संभल कर रहें। :)
  23. सागर चन्द नाहर
    इंक ब्लॉगिंग या मसिचिट्ठाकारी का जिक्र हो और स्वामी देवाशीष के (ना)लायक शिष्य सागर का जिक्र ना हो तो यह तो बहुत बड़ा जुल्म होगा। :)
    संजय जी का कहना भी सही है।
    बहुत सुन्दर हस्तलिपी और उतना ही सुन्दर लेख। अगले लेख का इंतजार है।
  24. फुरसतिया » इंक ब्लागिंग, अखबार और कार्टून
    [...] हमारी इंक-ब्लागिंग और फिर फ़ुरसतिया टाइम्स को साथियों ने कुछ ज्यादा ही पसंद कर लिया। अखबार निकालने की तो ऐसी मांग हुयी कि हम अखबार के लिये आफिस, प्रिंटिंग प्रेस, कम्पोजीटर, प्रूफरीडर जुटाने की सोचने लगे। आखिर सोचने में कौन पैसा लगता है। जब प्रमोदजी बीस साल बाद रवीश कुमार के हाल सोच सकते हैं तो हम अपने अखबार के काहे न सोंचें! [...]
  25. : फ़ुरसतिया-पुराने लेखhttp//hindini.com/fursatiya/archives/176
    [...] कनाडा-अमेरिका न जाओ श्याम पैंया पड़ूं… [...]
  26. चंदन कुमार मिश्र
    यह भी अच्छा रहा। लिखावट तो मुझसे बहुत सुन्दर है जी। यह भी सियाही-चिट्ठा, पहली बार देखा।
    चंदन कुमार मिश्र की हालिया प्रविष्टी..नीतीश कुमार के ब्लॉग से गायब कर दी गई मेरी टिप्पणी (हिन्दी दिवस आयोजन से लौटकर)
  27. click here now
    For example, when will i hunt for blog posts that fit what I wish to learn more about? Does somebody figure out how to Flick through blogs by matter or no matter what on blogger? .
  28. Read Full Article
    On my friend’s weblogs they have got incorporated me in their web publication moves, but mine regularly rests at the end to the identify and fails to checklist as i write-up want it does for some individuals. Is this a setting that I have to transition or perhaps is this a choice they may have established? .

No comments:

Post a Comment