Monday, May 28, 2007

हाई स्कूल का टापर- प्रांजल

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हाई स्कूल का टापर- प्रांजल


प्रांजल
कल हमने आपको आनंद के बारे में बताया जिसने कानपुर में इंटर में सर्वाधिक अंक प्राप्त किये। इस पर अभय तिवारीजी ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये लिखा-सही है भाई.. अपनी दुनिया अच्छे से दिखाते हैं आप.. और हमें रास्ता..
अभयजी की बात से उत्साहित होकर आइये आज आपको एक और मेधावी बच्चे से मुलाकात करवायें। आज ही सी.बी.एस.सी. बोर्ड के हाईस्कूल के चेन्नई, नागपुर के नतीजे घोषित हुये। इनमें हमारे घर से केवल एक घर छोड़कर रहने वाले प्रांजल सक्सेना ९७.४०% अंक प्राप्त किये। अंग्रेजी में ९३, विज्ञान में ९५, सामाजिक विज्ञान में ९९, गणित में १०० और संस्कृत में १००। समझ में नहीं आता कैसे इत्ते नम्बर ले आते हैं बच्चे! :)
प्रांजल के पिता, श्री संजीव किशोर, हमारी आयुध निर्माणी के बेहतरीन अधिकारियों में माने जाते हैं। तोप गोले के उत्पादन में उनको महारत हासिल है और विभाग के लगभग सारे प्रतिष्ठित इनाम वे अभी तक बटोर चुके हैं। इनमें अधिकारियों को दिया जाने वाला विभाग का सबसे प्रतिष्ठित इनाम- शांतु साहनी पुरस्कार भी शामिल है। अब कोई इनाम उनके लिये बचा नहीं है। वे हाल ही में नागपुर की अम्बाझरी फैक्ट्री से तबादलित होकर वापस कानपुर आये हैं। इसके पहले भी वे नौ वर्ष आयुध निर्माणी कानपुर में काम कर चुके थे। घर वापसी पर उनके परिवार को इतनी बड़ी खुशी मिली कि उनके बेटे ने इतने अच्छे नंबरों से हाईस्कूल पास किया।
यह संयोग ही है कि कानपुर के टापर आनंद के पिता , नागपुर के टापर प्रांजल के पिता के साथ ही (अधीनस्थ) काम करते हैं। सी.बी.एस.सी. बोर्ड में भी सेक्सनवाद चलता है क्या भाई! :)
प्रांजल ने हाईस्कूल की परीक्षा नागपुर के काटोल रोड स्थित सेंटर प्वाइंट स्कूल से दी। उसके अनुसार स्कूल में पढ़ाई का काफ़ी अच्छा माहौल था और अध्यापकों ने बहुत अच्छी तरह पढा़या। सारी पढ़ाई स्कूल और घर में ही करने वाले प्रांजल ने कोई ट्यूशन वगैरह नहीं किया।

प्रांजल अपने मम्मी-पापा और छोटी बहन प्रियांशी के साथ
पापा-मम्मी ने पढ़ाई में कोई सहयोग नहीं किया सिवाय पूछते रहने के कि बेटा पढ़ाई ठीक चल रही है। :) हालांकि मम्मी श्रीमती नीरज सक्सेना ने बच्चे की हर सुख सुविधा का ख्याल रखा। हालांकि बातचीत करते हुये जिस अंदाज में वो अपने बेटे की पढ़ाई के बारे में बात कर रहीं थीं उससे लग रहा था कि उनकी बहुत कड़ी निगरानी रही होगे बेटे की पढ़ाई के प्रति।
आउटडोर खेलों के शौकीन नीशू साइंस के पेपर के पहले भी खेलने गये और भारत-श्रीलंका मैच देखा। बाद में जब भारत हारने लगा तो टीवी बंद कर दिया।
गिटार बजाने के शौकीन प्रांजल से जब पसंदीदा गाना पूछा तो बताया- पसंद तो बदलती रहती है। फिलहाल की पसंद मेट्रो फिल्म का गाना- अलविदा-अलविदा …है।
प्रांजल के बारे में लिखते हुये उसकी एक आरकुट सहेली ने लिखा है-
प्रांजल सक्सेना का नाम सुनते ही मेरे दिमाग में जो सबसे पहली बात आती है वह है-हाई स्कूल का टापर। पढ़ाई के अलावा वह बैडमिंटन का अच्छा खिलाड़ी है, बहुत अच्छा गिटार बजाता है और फुटबाल का खिलाड़ी है। इसके अलावा मैं उसके बारे में कुछ नहीं जानती मेरा मतलब उसकी ‘एक्ट्रा करीकुलर’ गतिविधियों से है। वह बहुत बड़ा छुपा रुस्तम है। अब एक गंभीर बात। वह कुछ हफ्ते पहले मेरा दोस्त बना और वह वास्तव में मेरा सच्चा मित्र बन गया। वह बहुत सरल, मासूम (यह चेहरे से साफ़ पता चलता है) और बहुत प्यारा दोस्त है। खूब मनोरंजन कर सकता है। और क्या कहूं -वह हीरा है।
अब जब दोस्तों ने कहा है तो सच ही होगा। किसी को सबसे अच्छी तरह उसके दोस्त ही जानते हैं जो उसके साथ ज्यादातर समय बिताते हैं। जब टापर वाली बात सच है तो दूसरी भी सच ही होंगी।
आरकुट पर अपने बारे में लिखते हुये प्रांजल ने लिखा है- nobody is perfect. i am nobody
संजीव किशोरजी से जब मैंने पूछा- कैसा लग रहा है? तो ठहाका लगाकर बोले- आई एम फ़ीलिंग ग्रेट यार! आपके कितने नंबर आये थे हाईस्कूल में के जवाब में वे बोले भूल गया यार। भाभीजी से मैंने पूछा -कितने नंबर के आशा कर रहीं थीं आप ? तो वे बोलीं – हमें ९५% तक की आशा थी लेकिन इसने हमारी उम्मीद से ज्यादा किया। हम बहुत खुश हैं।
प्रांजल के साथ ही स्कूल में पढ़ने वाली प्रत्यूषा मुखर्जी के भी इसके बराबर ही नंबर आये हैं।
प्रांजल के ९७.४% अंक आने पर मैंने कहा- अब इसकी छोटी बहन पर इन नंबरों का बोझ रहेगा और एक चुनौती भी कि भैया से ज्यादा नंबर लाने हैं। इस पर भाभीजी ने बताया कि हमारी प्रियाशी हमेशा अपने भैया के ज्यादा या बराबर नंबर लाती रही है।
चूंकि ये बच्चे नागपुर में पढ़े हैं अत: इनकी खोज नागपुर के अखबार कर रहे होंगे। लेकिन बच्चा कानपुर में है लिहाजा कैमरे के फ्लैश और सवालों की बौछार से दूर है। इसीलिये यह छोटा सा परिचय प्रांजल का यहां पर दिया ताकि उसके नागपुर में न होने की कमी कुछ पूरी हो सके सनद रहे। वैसे शाम को यही फोटुयें मेल से नागपुर के अखबार वालों को टेलीइंटरव्यू के लिये भेजी गयीं हैं। यह समाचार कल वहां के अखबारों में छपेगा। जबकि हमारे यहां अभी छप गया। ब्लागिंग जैसे तेजी और कहां! :)
प्रांजल को उसके उज्ज्वल भविष्य के लिये शुभकामनायें।

12 responses to “हाई स्कूल का टापर- प्रांजल”

  1. Jagdish Bhatia
    आपके इन लेखों से यह भी पता चलता है कि आप निजी तौर पर भी अच्छी प्रतिभाओं का प्रोत्साहन करते होंगे।
    कई बार जब आप हमें भी चिट्ठा लिखते रहने के लिये भी प्रोत्साहित करते हैं तो लगता है आपका यही गुण काम कर रहा होता है।
  2. Jagdish Bhatia
    प्रांजल को हमारी तरफ से बधाई और उज्जवल भविष्य के लिये शुभाकामनायें।
  3. रचना
    वाह!!! आपके अडोस-पडोस मे तो बडे ही होनहार बच्चे रहते है‍! (घर् मे तो है ही!)
    धन्यवाद आपका जो आपने हमे इन दोनो से मिलवाया…आनन्द और प्रान्जल दोनो का ही अभिननदन और उनके उज्ज्वल भविष्य के लिये शुभकामनाएं…
  4. एकलव्य -सम्मान « शैशव
    [...] एकलव्य -सम्मान 28 05 2007     फुरसतिया ने आयुध परिसर में रहने वाले मेधावी छात्रों के बारे में लिखा है । मुझे उम्मीद है कि इन बच्चों का सम्मान भी किया जाएगा ।  [...]
  5. masijeevi
    इतने ज्‍यादा अंक…हमें तो घबराहट होने लगती :) गनीमत है हिंदी पढ़ाते हैं हमारे बच्‍चों के न इतने नंबर आते है़ न वे इतनी अपेक्षाओं से दो-चार होते है़।
    इन दोनों लेखों के लिए धन्‍यवाद
  6. समीर लाल
    प्रांजल को हमारी तरफ से बधाई और उज्जवल भविष्य के लिये शुभाकामनायें।
    अब क्या कहें, आज फिर हमारी तरफ से मिठाई खा लेना. :)
    मुझे तो लगने लगा आपके फेक्टरी में गोला बारुद के अलावा टॉपर बनाने की मशीन भी फिट है.
    हमें तो गणित और संस्कृत का पेपर आऊट भी हो जाये तो १०० में से १०० नहीं ला पायें. :)
    वाकई, बहुत होनहार बच्चे हैं. आपका साधुवाद की आपने यह जानकारी हम तक पहुँचाई. प्रांजल के परिवार तक अब हमारी बधाई पहुँचाने का कष्ट करें.
  7. abhay tiwari
    कल की मेरी प्रतिक्रिया का आशय ये था कि मुद्दो की चकाचौंध में हम उन पर प्रतिक्रिया करते करते कब महज एक भोंपू बन के रह जाते हैं.. पता नहीं चलता.. अपने भीतर और अपने आस पास की दुनिया दिखा सकने के कौशल में ही हमारा निजत्व झलकता है.. और उसी से हमारा अनोखापन भी उभर कर सामने आता है.. वरना किसी विचारधारा का मुखपत्र बन जाना तो सबसे आसान है.. इसी संदर्भ में मैंने आपको रास्ता दिखाने वाला माना..
    प्रांजल जैसे बच्चे हमारा भविष्य हैं.. और अपने भविष्य से रू ब रू होना कौन नहीं चाहता..
  8. PRAMENDRA PRATAP SINGH
    प्रांजल को हार्दिक शुभकामानऐं
  9. RC Mishra
    प्रान्जल को बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनायें,
    कृपया सी. बी. एस. सी. को सी. बी. एस. ई. से बदल दें।
    धन्यवाद।
  10. yunus
    प्रांजल को बधाई । साथ में एक बात और कहना चाहता हूं । आई आई टी की प्रवेश परीक्षा में सीटों की तादाद और परीक्षार्थियों की तादाद का अनुपात काफी बेमेल है । हर किसी को तो आई0आई0टी0 में प्रवेश नहीं मिल सकता ना । तो भैया जिन लोगों का तमाम उम्‍मीदों के बावजूद सिलेक्‍शन नहीं हुआ, वो किसी अवसादित राह पर ना जायें । जिंदगी और मौका देगी । मेरा स्‍वयं का एक शेर ऐसे लोगों के लिए
    अश्‍क़बार हैं तो क्‍या, नाउम्‍मीद तो हम नहीं
    जिंदगी हम जैसों को ज्‍यादा ना ठुकरा पायेगी
  11. Srijan Shilpi
    Aajkal ke in honahaar bachchon ke kaarnamon ko sunkar taazub bhi hota hai aur khushi bhi hoti hai.
  12. : फ़ुरसतिया-पुराने लेखhttp//hindini.com/fursatiya/archives/176
    [...] हाई स्कूल का टापर- प्रांजल [...]

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