http://web.archive.org/web/20140419214821/http://hindini.com/fursatiya/archives/1816
कल ब्लॉगर की डायरी छापी
तो तमाम लोगों ने अपनी-अपनी डायरियों के कुछ अंश मेल कर दिये। सब नये-नये
नाम से। कहते हुये कि भाई ब्लॉगर होने साथ-साथ हम इज्जतदार लोग हैं। ये
डायरियां अपने ब्लॉग पर छापने में हिचकते हैं। आप इसे अपने यहां छाप
दीजिये। सभी डायरियों में किसी दूसरों के बारे में ही लिखा था। सबने दूसरों
का एक्सरे किया हुआ था। डायरियां पलटते हुये एक रोचक बात यह दिखी कि सबमें
कुछ न कुछ फ़ुरसतिया के बारे में जरूर लिखा था। तो सोचा कि आपको वो सब भी
पढ़ा दिया जाये जो लोग फ़ुरसतिया के बारे में सोचते हैं। जब सोचते हैं तो सही
ही होगा। देखा जाये फ़ुरसतिया के बारे में कुछ लोगों के विचार!:)
…ब्लागर की एक और डायरी
By फ़ुरसतिया on February 3, 2011
- ब्लॉगजगत की तमाम फ़साद की जड़ फ़ुरसतिया है! ये जहां रहता है-बवाल करवाता है। बिना बवाल करवाये इसका लगता है खाना नहीं पचता।
- आज हिन्दी ब्लॉगजगत को लोग हल्केपन से लेते हैं उसके पीछे बहुत बड़ा कारण फ़ुरसतिया हैं। ये शुरु से ही कोई हर गम्भीर विमर्श पर हाहा,हीही करते रहे। देखा-देखी दूसरे लोग भी उसी रंग में रंग जाते रहे। अगर ये शुरु में ब्लॉग में न आये होते तो ब्लॉगजगत में इतना हल्कापन न होता।
- मौज लेने की आड़ में ये हमेशा बदतमीजी करता रहता है। बड़े बुजुर्गों की इज्जत का कोई ख्याल नहीं करना। सबकी खिल्ली उड़ाना। इसकी इसी खुराफ़ाती आदत के चलते ब्लॉगजगत के न जाने कितने सम्मानित बुजुर्ग इसके यहां आना छोड़ दिये। अब कोई एक नाम हो तो गिनाया जाये!
- फ़ुरसतिया को लिखना-विखने की तमीज तो है नहीं। बस इधर-उधर के ब्लॉगिंग के सनसनीखेज किस्से लिखकर अटेंशन क्रियेट करता है। महीनों से कोई नई पोस्ट नहीं लिखी। खाली नम्बर बढ़ाने के लिये पुरानी पोस्टों को ठेल-रि्ठेल करता रहता है।
- अपना खुद का ब्लॉग लिखने से ज्यादा पोस्ट इसने चिट्ठाचर्चा में लिखी हैं। उसमें लोगों का जिक्र करके उनको खुश कर देता रहा। फ़िर अपनी कोई सड़ी सी पोस्ट लगा दी। उसमें कोई अच्छी सी कविता लगा दी। लोगों को कविता पसन्द आई तो वाह-वाह कर दी। अब यह कविता पर की गयी वाह-वाह को अपने लिखे पर की गयी वाह-वाह समझकर खुश हो गये। इसी तरह अपना ब्लाग चला रहा है सालों से।
- अगर सही में लिखना आता होता फ़ुरसतिया को सात साल में केवल छह सात सौ पोस्टें होती भला! इतने पोस्टें तो लोगों ने दो साल में डाल दीं। लेकिन ये लिखें तो जब लिखने का सऊर हो इनमें।
- चिट्ठाचर्चा की आड़ में फ़ुरसतिया ने बहुत मनमानी की। केवल कुछ ही अच्छे लोगों की चर्चायें की। इसके अलावा सब आलतू-फ़ालतू लोगों की चर्चायें करते रहे। अच्छे ब्लॉगरों को जानबूझकर नजरअन्दाज किया इन लोगों ने। इससे क्षुब्ध होकर तो कुछ लोगों ने कहा भी कि खबरदार अगर मेरे ब्लॉग का जिक्र किया चर्चा में।
- दिखाने को तो फ़ुरसतिया बड़े उदार बनते हैं। लेकिन बहुत खुराफ़ाती और घुटा हुआ ब्लॉगर है ये। आज किसी ने इसके खिलाफ़ कुछ लिखा तो आज भले न कुछ बोले लेकिन सालों तक उसको मन में रखता है। इसके बाद मौका मिलने पर अपनी खुराफ़ाती हरकत करता है। मेरी एक सहेली ने नाम न बताने का वायदा लेकर बताया कि अगर इसकी तरफ़ एक कंकड़ भी कोई फ़ेंकता तो उस समय भले कुछ न बोले लेकिन मौका ताड़कर पूरा पहाड़ उसपर फ़ेंक देता है।
- कहने को ये कहता है कि ब्लॉगजगत में भाईचारा फ़ैलाना चाहता है लेकिन जानकार लोग बताते हैं कि ये जहां रहते हैं बबाल कराते हैं। इनकी फ़ितरत ही है झगडा करवाना। यहां जितने भी झगड़े हुये आजतक उनमें इसका योगदान जरूर रहा है।
- शुरु से ब्लॉगिंग से जुड़े होने के कारण कुछ पुरानी बातें पता हैं इनको तो उसको ये आतंकित करने वाले हथियार की तरह प्रयोग करते हैं। यह बात एक ब्लॉगर ने दो साल पहले इलाहाबाद में खुले मंच से कही भी थी।
- ऊपर वाली बात की पुष्टि इस बात से भी होती है कि अब जब कुछ भाई लोग ब्लॉगजगत का इतिहास लिखकर उसको सिस्टेमेटिक करने की कोशिश कर रहे हैं तो ये उनके मेहनत लिखी पोस्ट पर खुरपेंच कर आते हैं। ये सही नहीं वो गलत है। चिट्ठाचर्चा 2004 में नहीं 2005 में शुरु हुआ। ये बात इन्होंने नहीं उन्होंने लिखी। अरे भाई तुमको लिखना है तो अपना लिखो। कोई रोकता है तुमको। लेकिन नहीं दूसरे को टोंके बिना इनका खाना हजम नहीं होता। इनको यह तक नहीं पता कि हरेक को अपना खुद का इतिहास लिखने का अधिकार है।
- महिला ब्लॉगरों की तारीफ़ करके ये उनको खुश करता रहता है। वे भी समझती सब हैं लेकिन झूठ-मूठ इसकी तारीफ़ करके इसको बेवकूफ़ बनाती हैं। आखिर तारीफ़ किसको नहीं प्यारी होती। ये बेवकूफ़ समझता है वे इसकी प्रशंसक हैं।
- अपने साथ जुड़े लोगों को भी यह खुराफ़ात के लिये उकसाता रहता है। अच्छे- भले घर नौजवान लड़के इसके बहकावे में आकर बड़े-बुजुर्गों की मजाक उड़ाते रहते हैं। यह उनकी तारीफ़ करके उनको आसमान पर चढ़ाता रहता है।
- ब्लॉगजगत के नामी ब्लॉगरों से ऊपर-ऊपर से तो यह अच्छा व्यवहार जताता है लेकिन अन्दर ही अन्दर जलता है। यह बात समय-समय सारे नामी ब्लॉगर कहते आये हैं। कुछ लोगों ने तो बाकयदा धमकाया भी कि खबरदार अगर दुबारा ऐसी हरकत की। उस समय तो यह चुप हो गया लेकिन बाद में फ़िर वही हरकत। आदत से बाज नहीं आता ये खुरफ़ेंची।
- जिनसे जलता है ये फ़ुरसतिया उनकी इमेज खराब करने में भी लगा रहता है। उनके बारे में उलटी-सीधी अफ़वाहें फ़ैलाना। उनकी खराब छवि बनाना। अच्छे-अच्छे सज्जन विद्वानों की छवि इसने खराब करके महिला विरोधी , गुस्सैल की बना दी। अच्छे प्रयास करने वालों की खिल्ली उड़ाने में न जाने इसको क्या मजा आता है।
- ब्लॉग भले ये सात साल से चला रहे हैं लेकिन तकनीकी जानकारी धेले भर की नहीं। साइट इनकी ई-स्वामी मेन्टेन करते हैं। चर्चा कुश देखता है। कुछ कहो ये कैसे किया तो कहते हैं पूछकर बतायेंगे। कैमरा ले गये वर्धा फ़ोटो सब बेकार खींचे। डिग्री एम.टेक की है लेकिन हैं टेक्निकली जाहिल। इसई लिये भारत तकनीकी रूप से इतना बैकवर्ड है।
- जब देखो तब फ़ुरसतिया कवियों और शायरों की खिल्ली उड़ाते रहते हैं। सच तो यह है कि इनको कविता की धेले भर की तमीज नहीं है। खुद कविता लिखने की कोशिश करते हैं , लिख नहीं पाते तो अच्छे कवियों की मजाक उड़ाते हैं।
- अपने को बड़ा खलीफ़ा ब्लॉगर समझते हैं। पिछले दिनों कोई इनाम नहीं मिला इनको तो मारे खुंदक के इनाम देने वालों की खिलाफ़त करने लगे। इनको यह तक अकल नहीं कि इनाम पाने के लिये भी कोई मूलभूत काबिलियत तो होनी चाहिये न ब्लॉगिंग में भले ही कितने ऊल-जलूल इनाम दिये जायें।
- लोगों का चरित्र हनन करने की इनकी आदत इतनी खराब है कि ऐसे-ऐसे लोगों का चरित्रहनन कर दिया जिनका चरित्र से कोई लेना-देना तक नहीं था।
- इनकी इसी हरकत के चलते लोग इनसे मिलने में कतराते हैं। लोगों को हमेशा खतरा लगा रहता है उनकी सीधी-सच्ची किसी हरकत ये अपनी टेढ़ी-मेढी निगाहों से देखकर उसका बेहूदा चित्रण न कर दें। लोग तो भले और भोले होते हैं- अकल लगाते नहीं सब सच समझ लेते हैं।
- यह ब्लॉगजगत की विडम्बना ही कही जायेगी कि फ़ुरसतिया जैसे बेमतलब के ब्लॉगर को इतने दिन इतना भाव मिलता रहा जिसका वो कत्तई हकदार नहीं है। आशा है अब लोग समझदार होंगे और इनको भाव देना बन्द करेंगे।
Posted in बस यूं ही | 75 Responses
अब इतना पढने के बाद पक्का यकीं हो गया की आपने फुर्सत में आत्म विवेचना की है .
अरे भाई विवेचना तो उन लोगों ने की हैं जिन्होंने अपनी डायरियों में फ़ुरसतिया के बारे में लिखा है। हमने तो खाली टाइपिंग का काम किया है।
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..…ब्लागर की एक और डायरी
भैये अपने ब्लॉग अपडेट नहीं कर पा रहे हैं, नया कैसे चलायेंगे? और क्या करेंगे ब्लॉग हिट कराके!
अच्छे- भले घर नौजवान लड़के इसके बहकावे में आकर बड़े-बुजुर्गों की मजाक उड़ाते रहते हैं।
अच्छे भले घर के नौजवान लडके ? वो भी हिंदी चिट्ठाजगत में ? कौन है भाई ? हम तो नहीं है
बड़े-बुजुर्गो कौन है ? हिंदी चिट्ठाजगत में तो सभी ” अभी तो मै जवान हु” गाते नजर आते है
असली आशीष ‘झालिया नरेश’ की हालिया प्रविष्टी..केप्लर वेधशाला ने एक सौर मंडल खोज निकाला !
डायरी असली ही है- असली आशीष की तरह! तुम नहीं हो तो क्या हुआ बहुत हैं जो अच्छे -भले घर का होने की कसम खाते हैं।
यह बात तो सही लगती है कि ब्लॉगजगत में सब ’अभी तो मैं जवान हूं’ गाते नजर आते हैं।
rachna की हालिया प्रविष्टी..विचार आमंत्रित हैं
वाहे गुरु की तो जय ही कहते है न!
Shiv Kumar Mishra की हालिया प्रविष्टी..रीच्ड होम
सही है! अच्छा किया आपने अपना डायरी अंश खुदै छाप दिया।
वैसे अमन का अभाव है तो कित्ता सुकून देह माहौल है यहां। अमन होता तो कित्ता भभ्भड़ मचता!
जित्ते आरोप आप ने आप पे गिनवाए………..उत्ते में तो कित्ते ब्लॉगर ब्लॉग्गिंग से टंकी आरोहन कर जाते ……….
हमारी समझ से जैसे बापू को कोस कोस कर जित्ते गाँधी टोपी पहन लिए ……….. वैसे ब्लॉग्गिंग में फुरसतिया को कोस कोस कर कई अच्छे ब्लॉगर बन गए.
एक-आध दर्ज़न बार और घोखते हैं …… फिलहाल, केंचुआ टिपण्णी और टिटहरी नेतृत्व -१०० डिग्री तक जमा.
पाई लागूं.
आप भी कहां गांधी जी को यहां ले आये। आगे देखिये लोगों ने उनको तेल लेने भेज दिया।
पर होनी को कौन टाल सकता है..
हमारी भी डायरी खुलेगी चिंता मती करो। तब इस बात का भी हिसाब होगा कि चर्चा मैनेजर चर्चा काहे नहीं करता!
कड़वे सच की तो असांजे ने बहुत पोल खोली है, लेकिन इतनी “मीठी” सच्चाईयाँ बयान करने की तो उसकी भी हिम्मत न पड़ती…
Suresh Chiplunkar की हालिया प्रविष्टी..यदि कोर्ट का निर्णय चर्च के खिलाफ़ है…… तो नहीं माना जायेगा भाग-1 Church- Vatican- Conversion and Indian Judiciary
सही है। ऐसे मीठे खुलासे ब्लॉगर ही कर सकते हैं जूलियन असांजे नहीं।
संजय बेंगाणी की हालिया प्रविष्टी..प्याज के प्रताप से
अरे डायरी का क्या? किसी को भी आउटसोर्स कर दीजिये। तमाम मिल जायेंगे फ़ुरसतिया पर तू-तड़ाक वाला लिखने वाले। अब तू-तड़ाक से इज्जत नहीं जाती। रुतबा बढ़ता है!
“कविताओं की समझ तो आपमें नहीं ही है, लिखने का शऊर भी नहीं है. बबाल करना आदत है, आप साम्प्रदायिक हैं. जब सब शांत देखते हैं रथ यात्रा निकल देते हैं. लेकिन याद रखिये की अब वे दिन लद गए अब तो लाल चौक पर झंडा फहराना होगा… अब चुकी आप वो कर रहे हैं इसलिए आपका भाव कभी कम नहीं होगा”
फिलहाल तो कुछ सूझ नहीं रहा है इसके आगे सर कि क्या जोडूं… ख्याल आते ही बताऊंगा. यह सही है कि आपने जित्ती पोस्ट्स अपने ब्लॉग पर नहीं लिखी उससे ज्यादा चर्चा कि है… ये एक अच्छे आदमी की पहचान है. हिंदी ब्लॉग सेवा है.
Saagar की हालिया प्रविष्टी..पद और गोपनीयता की शपथ
तुमने लिखा- सारे पॉइंट्स भी सही है सिवाए आखिरी को छोड़ कर…
आखिरी पॉइंट् है:
“यह ब्लॉगजगत की विडम्बना ही कही जायेगी कि फ़ुरसतिया जैसे बेमतलब के ब्लॉगर को इतने दिन इतना भाव मिलता रहा जिसका वो कत्तई हकदार नहीं है। आशा है अब लोग समझदार होंगे और इनको भाव देना बन्द करेंगे। ”
क्या सच में तुमको लोगों के समझदार होने की उम्मीद नहीं है!
Saagar की हालिया प्रविष्टी..पद और गोपनीयता की शपथ
अब डर है कि आगे भी उम्मीद करोगे!
आप बड़े निष्ठुर हैं। राष्ट्रपिता को तेल लेने भेज दिया जबकि तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं।
जहां तक ईमानदार आत्मचिंतन/आत्मविश्लेषण की बात है तो मैंने केवल आपके और अन्य मित्रों के मेरे प्रति समझ को शब्द दिये हैं। पहले भी यह कह चुका था http://hindini.com/fursatiya/archives/691/comment-page-1#comments लेकिन शायद सरल कविता में होने के चलते आपको उतना जमी नहीं। आप श्लोक सूत्र बेहतर समझते हैं शायद!
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..कलामे रूमी- एक बेहतरीन काव्य रूपान्तरण
neeraj basliyal की हालिया प्रविष्टी..प्रेमचंद के देश में
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..कलामे रूमी- एक बेहतरीन काव्य रूपान्तरण
दूसरों की तो सब उड़ाते हैं लेकिन अपनी उड़ाना आप ही के बस का है। इस के लिए भी जिगरा चाहिए।
जय हो गुरुदेव की।
सोमेश सक्सेना की हालिया प्रविष्टी..मातृभूमि और राष्ट्रभक्ति
शुक्रिया। गुरु बनने लायक क्षमता नहीं है मुझमें। वैसे भी आज तक जिन-जिन लोगों ने गुरु माना बाद में गुरु के साथ घंटाल भी लगाया है। आप भी हड़बड़ी न करें।
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..कलामे रूमी- एक बेहतरीन काव्य रूपान्तरण
प्रवीण पाण्डेय जी की सलाह अच्छी है मान ही लीजिए.:)
shikha varshney की हालिया प्रविष्टी..एक और तमाचा
आप भी खूब खिंचाई कर लेती हैं। एक तरफ़ डायरियों के खत्म होने की कामना करती हैं दूसरी तरफ़ प्रवीण पाण्डेय जी की बात मानने की सलाह देती हैं। यह तो वैसा ही हुआ कि आप सारे शहर को गंजा करने के बाद कंघी की दुकान खोलने की सलाह दें।
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..कलामे रूमी- एक बेहतरीन काव्य रूपान्तरण
आप भी न.. just कमाल हैं !
Rashmi Swaroop की हालिया प्रविष्टी..जब मैं फ़ुरसत ‘कमा’ लूँगी
आप ऐसे काम करते ही क्यों हो …??
satish saxena की हालिया प्रविष्टी..हर लंगड़ा तैमूर दिखाई देता है -सतीश सक्सेना
हम जो करते हैं वह तो हमारा सहज स्वभाव है- जैसे आप भलेमानस है, मन के अच्छे है तो आदतन अच्छे-अच्छे काम करते हैं , आदतन अच्छी-अच्छी बातें करते हैं। हम स्वभावगत जैसे हैं वैसी हरकते करते हैं।
जैसा तमाम लोग मेरे बारे में सोचते हैं उसको शब्द दिये मैंने बस। बाकी एक सच यह भी है:
जो मैं कभी नहीं था, वह भी दुनिया ने पढ़ डाला।
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..कलामे रूमी- एक बेहतरीन काव्य रूपान्तरण
इतनी चतुराई कहाँ थी छिपायी?
ऐसी सोच वालों की घटियाई
आपने खुले आम दिखायी
सरासर नाइंसाफी है भाई
ऐसे न करें जग हँसाई
सभी अपने हैं लोग और लुगाई
सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी की हालिया प्रविष्टी..हे संविधान जी नमस्कार…
सभी लोग-लुगाई अपने हैं इसई लिये तो सबके सामने यह सब कह लिया।
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..कलामे रूमी- एक बेहतरीन काव्य रूपान्तरण
वह व्यंग्यकार क्या जिसके पीछे लोग हाथ धो कर न पड़ें।
…बहुत सही नहीं …बहुत अच्छा लिखा है आपने।
शुक्रिया। बहुत अच्छा नहीं ..बहुत सही कहा आपने ।
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..कलामे रूमी- एक बेहतरीन काव्य रूपान्तरण
Gyan Dutt Pandey की हालिया प्रविष्टी..सरपत की ओर
सब डायरी मिलजुल गयीं हैं इसलिये बताना मुश्किल है किसकी डायरी के अंश हैं। आप अपनी डायरी के हिस्से पहचान पा रहे हैं क्या?
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..कलामे रूमी- एक बेहतरीन काव्य रूपान्तरण
एक -दो नाम बताने में यही खतरा था कि बाकी के लोग कहते कि हमारा नाम काहे नहीं दिया। नाम गेस कर लिये हों तो बता दो जनता को।
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..कलामे रूमी- एक बेहतरीन काव्य रूपान्तरण
वैसे आपकी डायरी भी अजब है .
Dr.ManojMishra की हालिया प्रविष्टी..आये जिस-जिस की हिम्मत हो
शुक्रिया। सतीश जी यह कह रहे हैं सुधर जाओ अभी भी देर नहीं हुई है।
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..कलामे रूमी- एक बेहतरीन काव्य रूपान्तरण
aradhana की हालिया प्रविष्टी..दर्दे-ए-हिज्र बेहतर है फिर तो तेरे पास होने से
शुक्रिया। कम से कम कहीं तो हमें महत्वपूर्ण माना जाता है चाहे ब्लागजगत को हल्का-फ़ुल्का ही बनाये रखने में। क्या इसको ब्लॉग-कुली कहना सही रहेगा?
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..कलामे रूमी- एक बेहतरीन काव्य रूपान्तरण
चंद्र मौलेश्वर की हालिया प्रविष्टी..मेरी कहानियाँ – माचिस की डिबिया
डायरिया के उपचार के लिये तो गम्भीरता का ग्लूकोस चढ़ाना पड़ेगा।
“चिट्ठाचर्चा की आड़ में फ़ुरसतिया ने बहुत मनमानी की……..”
गंभीर आरोप
“अगर इसकी तरफ़ एक कंकड़ भी कोई फ़ेंकता तो उस समय भले कुछ न बोले लेकिन मौका ताड़कर पूरा पहाड़ उसपर फ़ेंक देता है”
हाँ, वो तो हम सब देख ही रहे हैं. वैसे अब ज़माना भी पहाड़ फेंकने का ही है. गांधी जी की, दूसरा गाल आगे कर देने की नीति में तो पिटना ही नियति बन जायेगी.
“लोगों का चरित्र हनन करने की इनकी आदत इतनी खराब है कि ऐसे-ऐसे लोगों का चरित्रहनन कर दिया जिनका चरित्र से कोई लेना-देना तक नहीं था”
क्या खाल खींची है बारीक चुटकी.
वन्दना अवस्थी दुबे की हालिया प्रविष्टी..सतना में शिमला का अहसास -
शुक्रिया।
“महिला सहिष्णु-ब्लॉगर ” सम्मान के बारे में लोगों का मत था कि वह सम्मान जोड़-तोड़ से हासिल किया गया था इसलिये उसका जिक्र करने में संकोच कर रहा था। लेकिन आपने इशारा कर ही दिया। वैसे मैंने भी बिन्दु १२ में इशारे में लिखा था इसे।
बाकी कंकड़-पहाड़ समीकरण के बारे में हम कुछ न कहेंगे- गोपनीयता के वचन से बंधे हैं।
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..कलामे रूमी- एक बेहतरीन काव्य रूपान्तरण
amit srivastava की हालिया प्रविष्टी..यूँ ही बस बीत गए ’ब्याह’ के इतने बरस
शुक्रिया। दुनिया की याददाश्त पर बहुत भरोसा करना ठीक नहीं इसई लिये हम खुराफ़ात करते हुये याद दिलाते रहते हैं।:)
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..कलामे रूमी- एक बेहतरीन काव्य रूपान्तरण
बिल्कुल सही लिखा आप ने अपने बारे में ,आप से तो बात करनी हो अगर तो बड़ी सावधानी बरतने की ज़रूरत है पता नहीं कब कौन सी बात आप की डायरी में अंकित हो जाए ,वो भी पहाड़ के रूप में
शायरों , ग़ज़लकारों की मौज भी लेंगे और उन का असहमति जताना भी दूभर कर देंगे
लेकिन इन सब के बाद भी आप की रचनाओं के बिना ब्लॉग जगत अधूरा है सर
आशा है आप यूं ही लिखते रहेंगे और हम पढ़ कर आनंदित होते रहेंगे
शुक्रिया।
शायरों और गजलकारों की मौज लेना वाकई बहुत खराब बात है और उनको असहमति जताने का मौका न देना और भी खराब है। कोशिश करते हैं कि ऐसा न किया जाये लेकिन कुछ शायर दोस्त हैं जो बुरा मान जाते हैं अगर उनकी मौज न ली जाये।
आपका आदेश है तो लिखने की कोशिश करते रहेंगे।
रंजना. की हालिया प्रविष्टी..महानायक !!!
आपकी शिकायत का अंदाज है मुझे। बुरा मानने की बात नहीं। कोशिश करूंगा कि आगे आपको दुख न पहुंचाऊं।
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..कलामे रूमी- एक बेहतरीन काव्य रूपान्तरण
टनाटन डायरी है…और टिप्पणी और प्रति-टिप्पणी और भी मस्त.
सही है। आप ब्लॉगजगत की डाक्साब हो। मर्ज की जड़ जानती हो। जैसे प्याज के दाम काबू में आ गये वैसे ही कुछ दिन में फ़ुरसतिया भी औकात में आ जायेंगे।
टनाटन डायरी है…और टिप्पणी और प्रति-टिप्पणी और भी मस्त.
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इसमें पुराना कमेन्ट डिलीट करने कि सुविधा नहीं है अब पिछले कमेन्ट में वेब का अड्रेस गलत छप गया…टाइपो हो गया तो कोई बचाने वाला ही नहीं.
Puja Upadhyay की हालिया प्रविष्टी..तिरासी
और सात साला के सामने अपुन की सिन ही क्या है ! बस देखता ही जा रहा हूँ !
इस चश्मे-कातिल निगाह-गिरी पर यही कहूँगा कि :
” जैसे अब हो गई कातिल, कभी ऐसी तो न थी ” !!
amrendra nath tripathi की हालिया प्रविष्टी..श्री हरिश्चंद्र चंद्रिका – १८८५ ई- मा छपी कबिताई कै यक झलक
क्या बात कही है। शुक्रिया।
अत्यधिक आत्मप्रशंसात्मक , आत्मश्लाघतामक , आत्मस्तुत्यातमक प्रविष्टि है !
आपकी शिकायत बाजिब हो सकती है। वैसे भी मेरा मानना है अपनी बुराई करना रद्दी बेचने जैसा है। इससे कूड़ा का कूड़ा निकल जाता है और दाम अलग खड़े हो जाते हैं। लेकिन आप अपने नाम से टिपियाते तो और मजा आता। आपको क्या डर है भाई सही बात अपने नाम से कहने में?
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..कलामे रूमी- एक बेहतरीन काव्य रूपान्तरण
शुक्रिया।
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..कलामे रूमी- एक बेहतरीन काव्य रूपान्तरण
तारीफ़ उन भाई बहनों की जिन्होंने इतनी शिद्दत से इतना गहन विश्लेषण अपनी डायरी में लिखा . और तारीफ़ आपकी भी जिसने प्रेम-पूर्वक इन जायकेदार , मीठे वचनों को हम तक पहुँचाया.
लेकिन कौन सा पन्ना किसकी डायरी का है , इसका ज़िक्र भी होता तो तड़का जोर का होता . और आपके साहस के लिए ” परमवीर चक्र ” सुनिश्चित हो जाता.
.
zeal की हालिया प्रविष्टी..हम ब्लोगिंग क्यूँ करते हैं
गाँधी जी तेल लेने गये हैं, तो आ भी जाएंगे…जिससे
तेल की समस्या कुछ कम तो हो ही जाएगी…
दुख नहीं हो की कोशिश पर…जब कोई कहे कि कोशिश
करेंगे तब शराबी के अमिताभ की बात नहीं, यह ध्यान रखें
कि हम नहीं करेंगे कुछ…और ऐसे ही रहेंगे…इसका अनुभव है हमें
हम भी ऐसा लिखते…लेकिन आप ने हथिया लिया है
यह खुराफ़ात विभाग…
चंदन कुमार मिश्र की हालिया प्रविष्टी..इधर से गुजरा था सोचा सलाम करता चलूँ…
न जाने किन लोगों की डायरी छाप दी है!
हम तो इन बातों से इत्तेफाक नहीं रखते .
आराधना जी की बातों से सहमत..
आप को तो ब्लॉग जगत को हल्का- फुल्का बनाये रखने का श्रेय मिलता है.
इस्माइली नहीं लगाई है |
amit srivastava की हालिया प्रविष्टी.." मानसिक बलात्कार ….."
…व्यंग्यकार की असली निशानी.
वे भी पढ़ें जो यह समझते हैं कि अनूपजी एक सीधे-सादे इंसान भर हैं !
संतोष त्रिवेदी की हालिया प्रविष्टी..मुनव्वर राना की शायरी और हम लोग !
Rekha Srivastava की हालिया प्रविष्टी..विदेश में धन संचय !