Monday, February 07, 2011

कलामे रूमी: एक बेहतरीन काव्य रूपान्तरण

http://web.archive.org/web/20140331063957/http://hindini.com/fursatiya/archives/1826

31 responses to “कलामे रूमी: एक बेहतरीन काव्य रूपान्तरण”

  1. amrendra nath tripathi
    एक अच्छी किताब पर आत्मीय और तन्मय होकर लिखा है आपने ! सुन्दर जी !
    amrendra nath tripathi की हालिया प्रविष्टी..कवि रमाशंकर यादव विद्रोही १ – मां
  2. असली आशीष 'झालिया नरेश'
    रूमी के बारे में सुना खूब था ! अब पढ़ने का भी मौक़ा मिल गया ! अगली बार जरूर खरीदेंगे यह किताब !
    असली आशीष ‘झालिया नरेश’ की हालिया प्रविष्टी..कहां है वे – परग्रही जीवन श्रंखला भाग ४
  3. zeal
    .
    रूमी के बारे में सिर्फ सुना भर था । आज उनका परिचय पढ़कर जानकारी में वृद्धि हुई , उसके लिए आपका एवं अभय जी का आभार। जहाँ तक बेहतर अनुवाद की बात है , उसके लिए ज्यादा सोचना ही नहीं चाहिए । केवल अपना श्रेष्ठ दे सकें , बस इतना ही ध्येय होना चाहिए।
    ” मैं पल दो पल का शायर हूँ , पल दो पल मेरी हस्ती है …
    कल और आयेंगे कहने वाले , मुझसे बेहतर कहने वाले , तुमसे बेहतर सुनने वाले..”
    In my humble opinion , one should live in present and enjoy every single moment !
    .
  4. अभय तिवारी
    शुक्रिया अनूप भाई..
    अभय तिवारी की हालिया प्रविष्टी..शब्दों के रहस्यों का पर्दाफ़ाश
  5. Dr.ManojMishra
    आपसे कुछ नया पता चलता रहता है,
    सबसे पहले भाई अभय को बहुत बधाई.
    और आपको भी कि आपनें बहुत सिलसिलेवार ढंग से प्रस्तुत किया है.
  6. प्रवीण पाण्डेय
    भाषाओं के बीच की दूरी को पूरा का पूरा भर पाना असंभव ही है पर विषय को समझने वाला उसकी आत्मा में रच बस कर जो शब्द और विन्यास ढूढ़ता है, वही उसका सार्थक अनुवाद होता है।
  7. arvind mishra
    जीवन के चालीस शरद बसंत देख चुके …अभय एक प्रतिभाशाली युवा हैं -कलामें रूमी उनकी अध्ययन प्रियता और चिंतन मनन शीलता का दस्तावेज है मगर उनके मैग्नम ओपस की अभी भी उम्मीद है -अभी तो यह डेबू है !इस व्यक्ति चित्र के लिए विशेष आभार !हाँ मुझे वे थोडा बोहेमियन से लगते हैं .अब इसका अर्थ बेहयाई मत लगा लीजियेगा !
  8. सतीश सक्सेना
    बढ़िया विवरण दिया है किताब पढनी पड़ेगी ! शुभकामनायें आपको !
  9. ashish
    अभय तिवारी से मिलकर अच्छा लगा . साधुवाद आपको उनसे मिलवाने के लिए .
  10. Shiv Kumar Mishra
    बहुत बढ़िया लिखा है आपने. इतना बढ़िया कि अभय जी की किताब तुरंत पढ़ने का मन हो रहा है.
    Shiv Kumar Mishra की हालिया प्रविष्टी..बीरबल का ईनाम
  11. कुश भाई गुलाबी नगरी वाले
    बुक स्टोर पर किताबो से उलझते हुए कलामे रूमी पर भी नज़र गयी.. सुन तो पहले ही चुका था किताब के बारे में.. ली इसलिए नहीं कि इतनी समझ नहीं है कि पढ़ सकु.. पर हाँ उनकी फिल्म सरपत देखने की इच्छा ज़रूर रही वो भी बड़े परदे पर.. फेसबुक पर अभय जी के स्टेटस बड़े अच्छे होते है.. उनकी कहानिया कई बार यहाँ वहां पढ़ी थी.. अब उनके कॉलम शांति में उन्हें पढता हूँ.. फैन हुआ जा रहा हु उनके विचारों का और विचारों के एक्जीक्यूशन का.. लाजवाब है.. हम नहीं जानते थे कि कानपुर में ऐसे लोग भी जन्मे है.. हमें तो लगा कि खाली आप ही……………….. आगे तो आप समझ ही गए होंगे..
    कुश भाई गुलाबी नगरी वाले की हालिया प्रविष्टी..ज़िन्दगी में और भी रंग है खुदको रंगने के लिए
  12. Shikha Varshney
    रूमी के बारे में सुना ही था ..अब काफी कुछ जाना .बहुत मन से लिखा है आपने..अनुवाद के बारे में प्रवीण जी ने एकदम सही कहा है.
  13. vijay gaur
    बहुत बहुत आभार पुस्तक से परिचित कराने का | बधाई और शुभकामनाएं अनुवादक को |
  14. Ashish Pandey
    अग्रज भ्राता श्री राजन अवस्थी के माध्यम से इस साईट का पता लगा निसंदेह कलाम -ऐ -रूमी बेहतरीन है
  15. Tweets that mention : कलामे रूमी एक बेहतरीन काव्य रूपान्तरण -- Topsy.com
    [...] This post was mentioned on Twitter by Ravishankar, Ravishankar. Ravishankar said: : कलामे रूमी एक बेहतरीन काव्य : ऐसा बताया जाता है कि एक रोज रूमी के किसी मुरीद ने… http://goo.gl/fb/YZKKE [...]
  16. भारतीय नागरिक
    देखिये कब पढ़ने को मिल पाता है समय या पुस्तक या फिर दोनों ही..
    भारतीय नागरिक की हालिया प्रविष्टी..आईटीबीपी भर्ती से लौट रहे लड़कों के साथ शाहजहांपुर में विकराल हादसा
  17. Abhishek
    मुंबई जाना हो रहा है तो लेकर आता हूँ मैं भी.
  18. sanjay jha
    उरी बाबा ………. किसी तरह बाहर तो आया………….का भाईजी आप का लिंक्वा वाली गली तो न जाने कहाँ से कहाँ लेजाकर पटक दिया………पोस्ट के अन्दर पोस्ट के बाहर पोस्ट के बाएं पोस्ट दायाँ पोस्ट ऊपर पोस्ट निचे पोस्ट……एह, तीन दिन से भटकते भटकते आज बाहर आने पाए हैं…………………..
    प्रणाम.
  19. चंद्र मौलेश्वर
    `भारत में सबसे पहले पाकेट बुक्स की शुरुआत की। ‘
    हां जी, हम उसकी घरेलू लाइब्रेरी योजना के बरसों तक मेंबर रहे और द्स रुपये में तीन चार पुस्तकें घर पर आ जाती थीं।… गुज़र गया वो ज़माना कैसा…. कैसा :)
    निर्मल आनंद के तो हम फालोअर थे पर रूमी का पता नहीं था… अब उसके भी फालोअर बन कर उनका पीछा करेंगे:) इसके लिए हम आपके आभारी हैं॥
    चंद्र मौलेश्वर की हालिया प्रविष्टी..जीवन मूल्य
  20. eswami
    प्रथमदृष्टया लेख को पासिंग मार्क्स दिये जा सकते हैं.
    लेख अनौपचारिक है और कई महत्वपूर्ण प्रश्न अनुत्तरित छोडता है, मसलन-
    इस को सॉफ़्ट कॉपी [पीडीएफ़] में भी खरीदा जा सकता है क्या?
    भारत के बाहर इसे पाने के स्मगलिंग के आलावा क्या रस्ते हैं?
    इस पुस्तक में रूमी की किन-किन पुस्तकों या किसी पुस्तक विशेष को को समेटा गया है?
    अभय ने रूमी को ही क्यों चुना? और क्या इनके अलावा किसी और के कृतित्व का अनुवाद करने की योजना है?
    क्या अनुवाद के दौरान अभय की बढी दाढी ने सुफ़ियाना माहौल बनाने कोई भूमिका अदा की या उस दौर में उस्तरे/साबून का खर्च कम रखना मात्र ही ध्येय था?
  21. रंजना.
    बड़ा सुखद लगा ….
    आभार आपका इस सुन्दर पोस्ट के लिए…
    अभी लिंकों पर नहीं जा पाई हूँ,पर मेरे रूचि का विषय है यह,सो हाथ में समय रखकर भ्रमण करुँगी…
    रंजना. की हालिया प्रविष्टी..नेता
  22. रंजना.
    निर्मल आनंद की नियमित पाठिका हूँ…अभय जी की प्रतिभा और विद्वता उनके आलेखों में स्पष्ट दीखता है… और यह नतमस्तक करता है…
    रंजना. की हालिया प्रविष्टी..नेता
  23. Neeraj Basliyal
    Abhay’s blog is also very good.
    Neeraj Basliyal की हालिया प्रविष्टी..प्रेमचंद के देश में
  24. वन्दना अवस्थी दुबे
    भाषाएँ सीखने का शौक तो मुझे भी है, लेकिन फारसी!! अभय जी ने रूमी के अनुवाद को जूनून की तरह लिया, और इसीलिये वे न केवल फारसी सीख सके, बल्कि इस कठिनतम भाषा की पुस्तक का हिंदी अनुवाद भी कर सके. बहुत श्रम और समय साध्य कार्य किया है अभय जी ने. जल्दी ही पुस्तक पढनी होगी.
    पुस्तक के जिस भाग में अभय जी ने रूमी के गुस्से का ज़िक्र किया है, उस भाषा से मैं सहमत नहीं हो पा रही. रूमी दरवेश थे, सूफ़ी संत थे, तब क्या वे ऐसी भाषा का इस्तेमल करते होंगे? खैर, अनुवाद अभय जी ने किया है, फ़ारसी भी उन्हीं ने पढी है, सो सही ही होगा.
    शानदार समीक्षा के लिये बधाई.
    वन्दना अवस्थी दुबे की हालिया प्रविष्टी..तिरंगे लहरा ले रे
  25. : देख लूं तो चलूं उपन्यासिका आफ़ द ब्लागर, बाई द ब्लागर एंड फ़ार द ब्लागर
    [...] ले गये। साथ में अभय तिवारी की किताब कलामें रूमी भी ले गये थे। किताबों का साइज और वजन [...]
  26. अभय तिवारी
    स्वामी जी के लिए उत्तर:
    १. नहीं।
    २. नहीं। लेखक या प्रकाशक से आपकी यारी हो तो मैं नहीं जानता।
    ३. तीनों किताबों के अंश इस अनुवाद में हैं; मसनवी, गज़लों के दीवानों का कुल्लियात, और उपदेशों का संकलन – फ़ी ही मा फ़ी ही।
    ४. रूमी को चुनने के पीछे शुद्ध सनक। सोचकर प्रेम थोड़ी किया जाता है। और कोई योजना भी नहीं है पर दिल की गति कौन जाने!
    ५. दाढ़ी तो यूँ भी बढ़ती है, नाई हसरत से आते-जाते देखते हैं।
    वन्दना जी के लिए :
    सैनिटाईज़्ड भाषा तो आजकल का चलन है। असल में विक्टोरियन अवशेष। नहीं तो न तो अपने वैदिक और पौराणिक साहित्य में ऐसी कोई वर्जना काम करती है और न ही इस्लामिक परम्परा में। अलबत्ता मैंने कई हिस्से इसलिए नहीं डाले कि लोगों की नैतिकता आहत न हो जाय!
    अभय तिवारी की हालिया प्रविष्टी..एक दिन मौल
  27. मनोज कुमार
    धन्यवाद अनूप जी। इस पोस्ट का लिंक देने के लिए। आजकल सूफ़ीमत पढ़/लिख रहा हूं सो इस विषय पर विशेष रुचि रहती है। समीक्षा तो आपने लाजवाब लिखी ही है, एक व्यक्तित्व के तौर पर अभय जी का विस्तार से वर्णन भी अच्छा लगा।
    इस गंभीर साहित्य (समीक्षा) पर हास्यास्यात्मक टिप्पणी से खीज भी हुई।
    मनोज कुमार की हालिया प्रविष्टी..साउथ अफ़्रीका में इंडियन ओपिनियन
  28. फ़ुरसतिया-पुराने लेख
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