http://web.archive.org/web/20110926091728/http://hindini.com/fursatiya/archives/1808
पता नहीं आपमें से कितने लोग डायरी लिखते हैं लेकिन कुछ ब्लॉगर हैं जो
ब्लॉग भले न लिखें लेकिन डायरी जरूर लिखते हैं। ऐसे ही कुछ डायरियों के कुछ
अंश आपको पढ़वाते हैं शायद आपका भी मन करे डायरी लिखने का। ये डायरियां
किसी एक ब्लॉगर की नहीं हैं। मिली-जुली हैं। कोई इसको अपनी समझने का दावा
अपने जोखिम पर करे। डिसक्लेमर की स्वर्णिम परंपरा का निर्वहन करते हुये कह
दें कि किसी की डायरी , नाम या अन्य किसी के साथ मिलान मात्र संयोग होगा
इसके अतिरिक्त कुछ नहीं।
अनूप शुक्ला: पैदाइश तथा शुरुआती पढ़ाई-लिखाई, कभी भारत का मैनचेस्टर कहलाने वाले शहर कानपुर में। यह ताज्जुब की बात लगती है कि मैनचेस्टर कुली, कबाड़ियों,धूल-धक्कड़ के शहर में कैसे बदल गया। अभियांत्रिकी(मेकेनिकल) इलाहाबाद से करने के बाद उच्च शिक्षा बनारस से। इलाहाबाद में पढ़ते हुये सन १९८३में ‘जिज्ञासु यायावर ‘ के रूप में साइकिल से भारत भ्रमण। संप्रति भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत लघु शस्त्र निर्माणी ,कानपुर में अधिकारी। लिखने का कारण यह भ्रम कि लोगों के पास हमारा लिखा पढ़ने की फुरसत है। जिंदगी में ‘झाड़े रहो कलट्टरगंज’ का कनपुरिया मोटो लेखन में ‘हम तो जबरिया लिखबे यार हमार कोई का करिहै‘ कैसे धंस गया, हर पोस्ट में इसकी जांच चल रही है।
एक ब्लॉगर की डायरी
- कल रीता चैट पर मिली थी। कह रही थी बहुत दिन से कोई नयी कहानी नहीं लिखी तूने। तू कितनी अच्छी है। उस बेवकूफ़ को पता भी नहीं है कि अगली कहानी में मैंने उसकी ही कहानी लिखी है। समझ तो पक्का जायेगी लेकिन डिस्कलेमर तो लगा ही दूंगी। फ़िर कुछ कह भी नहीं पायेगी।
- वो बता रही थी कि देखो उन्होंने फ़िर किसी के ब्लॉग पर फ़ूहड़ सा कमेंट किया है। मैंने कहा कि ये तो उनकी आदत है। उसने जबरदस्ती लिंक भी थमा दिया। मैंने देखा तो उसको बताया कि उनका वो कमेंट फ़ूहड़ लग भले रहा है लेकिन उन्होंने अपनी तरफ़ से उसमें फ़ूहड़ता नहीं डाली। मैं अच्छी तरह जानती हूं कि वे जब भी कोई बेहूदी बात करते हैं या फ़ूहड़ कमेंट लिखते हैं तो हा हा हा जरूर लिख देते हैं। और अगर ज्यादा बेवकूफ़ी की बात होती है तो इस्माइली लगा देते हैं।
- आज ही भाई जी से फ़ोन पर बात हो रही थी। मैंने पूछा कि यार ये बताओ कि आप ऐसे कमेट कैसे कर लेते हैं कि उनका मतलब किसी की समझ में न आये। उन्होंने बहुत नानुकर के बाद बताया कि किसी पोस्ट को पढ़कर कुछ कमेंट लिखते हैं। उस कमेंट में उस पोस्ट से संबंधित कोई भी बात नहीं लिखते। फ़िर वाक्य को सूत्र वाक्य के साइज में लाते हैं। देखते हैं कि उसका कोई मतलब तो नहीं निकल नहीं रहा। अगर निकलता है तो फ़िर एकाध शब्द छांट देते हैं। जब टिप्पणी पूरी तरह अबूझ हो जाती है तब उसको पोस्ट कर देते हैं। जल्दी में होने पर वे एक पोस्ट का कमेंट दूसरी किसी पोस्ट पर करते हैं। इससे उसका कोई मतलब निकलने की संभावनायें काफ़ी हद तक कम हो जाती हैं।
- बात-बात में भाईजी ने यह भी बताया कि वे अपने टिप्पणी के स्टाइल का पेटेंट कराना चाह रहे हैं। नाम भी सोच लिया है- केचुआ कमेंट। मुझे लगा कि उनके कमेंट भले समझ में न आयें लेकिन नामकरण फ़ौरन समझ में आने वाला है। केचुआ कमेट जो किसी भी तरफ़ मुड़ जाये, मोड़ा जा सके।
- जब से संकलक बीमार हुये हैं काफ़ी सुकून मिला है। संकलक थे तो न जाने कैसी ऊलजलूल पोस्टें टाप पर आती थीं। हर दूसरी टाप की पोस्ट बेसिर-पैर की। अब कम से कम जो भी कूड़ा पढ़ते हैं वो अपने मन से। किसी की जबरदस्ती से तो नहीं।
- बहुत दिन से कोई कविता नहीं लिखी गयी। तीन कविताओं विशेषांक थे उनमें से अलग-अलग कविताओं की लाइने लेकर सब कविता असेंबल करके पोस्ट कर चुका हुं। नयी कविता की किताबें लानी हैं। बसंत या होली के मौके पर शायद कुछ पत्रिकायें कविता विशेषांक निकालें। सोच रहा हूं कि किसी दिन लाइब्रेरी जाकर पुरानी कवितायें नोट करके लाऊं। उनमें तुक अच्छा जमता है।
- ब्लॉगजगत के लोग लगता है बहुत आलसी हो गये हैं। न कोई लड़ाई न झंझट! बड़ा सूना-सूना सा लगता है। सब चाहते हैं कि कोई दूसरा लड़े वो तमासा देखें। खुद बचते हैं। ऐसे कहां होता है लड़ाई-झगड़े का माहौल। बीचबचाव कराने वाले भी बेचारे मायूस हो जाते हैं। सतीश भाई ने भी शायद इसीलिये ब्लॉगिंग कम करने की बात कही है। ऐसे ही चलता रहा तो अमन का पैगाम भी ठप्प हो जायेगा।
- लड़ाई-झगड़े की कमी है कि मैं बहुत दिन से कोई नयी कहानी नहीं लिख पाया। पहले जिससे लड़ता था उसको अपनी कहानी में विलेन और खुद को हीरो बनाकर कहानी पोस्ट कर देता था। अब सबसे तो लड़ चुका हूं। नयी कहानी के पात्र ही नहीं मिल रहे हैं। लगता है फ़िर से कुछ लोगों से दोस्ती करनी पड़ेगी। बड़ा बोरिंग काम है दोस्ती करना और कुछ दिन निभाना। लेकिन कहानी के लिये सब कुछ करना पड़ता है भाई सब कुछ करना पड़ता है।
- ये ब्लॉगिंग का इतिहास लिखने वाले हमारे ब्लॉग का सारा भूगोल बिगाड़ कर धर दिये हैं। हमने अपना ब्लॉग सन 2005 में शुरु किया लेकिन इतिहासकार ने सन 2004 दर्ज कर दिया है। खुद की जन्मतिथि का मामला हो तो एफ़िडेविट वगैरह से ठीक करवाया जा सकता है। लेकिन ब्लॉग की पैदाइश का विवरण जो इतिहासकार कहेगा वही माना जायेगा। ऐसे न जाने कित्ते ब्लॉग्स का हुलिया बिगाड़ देंगे इतिहासकार भाई साहब। बहुत बार कहा लेकिन वे अपने मेहनत के बुलडोजर से हर चीज कुचल कर आगे बढ़ते जा रहे हैं।
- ये कविता लिखने वाले और गजलकार बाजी बखत तो इतना रोना-धोना करते हैं कि मन करता है इनको किसी सूखाग्रस्त इलाके में ठहराया जाये तो वहां सूखे की समस्या की जगह बाढ़ का खतरा मंडराने लगे। हीरो हीरोइन को जब देखो तब गरीबी अमीरी की तरह अलग-अलग कर देंगे। सच्चा प्रेम बिना रोये गाये मानते ही नहीं। हीरो-हीरोइन को कभी भुले-भटके साथ खड़ा भी कर दिया तो उनको होमवर्क दे देते हैं -अपने वियोग के दिन की प्लानिंग करके बताओ कि कैसे एक दूसरे की याद में रोओगे।
- ब्लॉगजगत को अगर आज किसी बात से खतरा है तो अच्छा लिखने वालों से। अच्छा लिखने वाले कम अच्छा लिखने वालों को एक तरह से धमकाते हैं कि देखो ये होता है असली लेखन। कोढ़ में खाज वर्तनी दोष खोजने वाले करते हैं। खराब और अशुद्ध लिखने वाले ही ब्लॉगिंग की ताकत हैं। उनको साजिशन हतोत्साहित किया जा रहा है। इसके खिलाफ़ आवाज उठानी होगी। अच्छा लिखने वालों को यह बात समझनी पड़ेगी कि उनका लेखन अच्छा सिर्फ़ इसीलिये कहलाता है क्योंकि हम खराब लिखने वाले यहां मौजूद हैं। हमारे खराब लेखन की नींव की ईंट पर ही उनके अच्छे लेखन के कंगूरे टिके हैं। जिस दिन नींव हिल जायेगी अच्छा लेखन औंधे मुंह गिर जायेगी। उसकी बत्तीसी बिखर जायेगी। इसलिये भलाई इसी में है कि कम अच्छा लिखने वालों को समुचित सम्मान मिलता रहे।
- कल मेरा एक दोस्त मुझसे कह रहा था कि ये जो तुम ब्लॉगजगत की सफ़ाई करने, अच्छा बनाने का आवाहन करते हो वह और कुछ नहीं दर असल तुम्हारी चिरकुट टिटहरी नेतृत्व कामनायें हैं। जैसे टिटहरी पैर उलटे करके सोती है कि आसमान गिरेगा तो वह थाम लेगी वैसे ही तुम ब्लॉग जगत की अच्छाई का बहाना बनाकर अपने अच्छेपन का चरित्रप्रमाण पत्र खुद हासिल करना चाहते हो। जित्ती जल्दी हो सके इससे मुक्ति पाओ। न हो तो किसी मनोवैज्ञानिक को दिखाओ। सोच रहा हूं दिखा ही आऊं! कोई अच्छा मनोवैज्ञानिक आपकी नजर में हो तो बताओ!
Posted in बस यूं ही | 78 Responses
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..एक ब्लॉगर की डायरी
कुछ को पहचान गए है ! आप डिस्क्लेमर चिपका दो नहीं तो अगली टिप्पणी में सबके नाम लिख देंगे !
दूसरा आशीष की हालिया प्रविष्टी..परग्रही सभ्यता से संपर्क -परग्रही जीवन श्रंखला भाग ३
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..एक ब्लॉगर की डायरी
और ‘चिरकुट टिटहरी नेतृत्व कामनायें’ झकाझक हइये है
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..एक ब्लॉगर की डायरी
वैसे डायरी के पन्ने हैं मज़ेदार ,जो सुबह सुबह पढ़ ले दिन भर तो सोच सोच कर ख़ुश होगा ही
इतनी व्यस्तता के बीच ऐसा लेखन ???????? कम से कम मेरे लिये तो असंभव है
बधाई हो
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..एक ब्लॉगर की डायरी
इस सादगी पै कौन न मर जाए ये खुदा
लड़ते हैं मगर हाथ में तलवार भी नहीं
satish saxena की हालिया प्रविष्टी..हर लंगड़ा तैमूर दिखाई देता है -सतीश सक्सेना
खांटी फ़ुरसतिया माल ठेला है इस बार …..
क्या क्या बात कही है… ‘कविता असेम्बल’… पहले बताना था न.. हम भी कुछ जुगाड़ किये होते…
सतीश चन्द्र सत्यार्थी की हालिया प्रविष्टी..यूरोपियन यूनियन पर्यवेक्षक दल को बिनायक सेन के मुकदमे की कार्रवाई के निरीक्षण की अनुमति मिलनी चाहिए
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..एक ब्लॉगर की डायरी
सतीश जी ने एक शेर मारा, तो सोचा हमहूं मार देते हैं…
कुछ तो खौफ़े-खुदा कीजिये, इस तरह तो न चलिये
सौ बार तो इस चाल पे तलवार चली है
आप लोग शायर हैं शेर ही मारेंगे जी। मारा भी है जबरवाला!
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..एक ब्लॉगर की डायरी
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..एक ब्लॉगर की डायरी
.इत्ते मजे स्टाक में …खुदा की बरकत है ……
वैसे किसी ज्ञानी ने कहा था …मजाक दरअसल सच को कहने का आसान तरीका है .
चिरकूटो की एक खासियत ओर है ..उन्हें अपनी चिरकुटाई का अहसास नहीं होता ..
शुक्रिया! लेकिन हमें अपनी चिरकुटई का फ़ुल एहसास रहता है!
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..एक ब्लॉगर की डायरी
प्रणाम.
शुक्रिया शुभकामनाओं के लिये।
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..एक ब्लॉगर की डायरी
इस सादगी पै कौन न मर जाए ये खुदा
तोप पर आए हैं हाथों में गुलाब ले कर!
रवि की हालिया प्रविष्टी..माइक्रोसॉफ़्ट बिंग – नक़ल के लिए भी अकल चाहिए!
आपने भी शेर छुआ ही दिया। माने नहीं!
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..एक ब्लॉगर की डायरी
है इक शिकन पड़ी हुई, तर्फ़े निकाब में ।
आप भी। तब तो हो गया काम!
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..एक ब्लॉगर की डायरी
डायरी के पन्ने तो ब्लॉगरों की संपत्ति हैं। न जाने कित्ते हैं। कोई हिसाब नहीं। जित्ते हमें मिले हमने पेश कर दिये।
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..एक ब्लॉगर की डायरी
हा हा हा वाली अट्टहासी हंसी के लिए तो दूसरे मिश्रजी प्रसिद्द हैं:)
और स्माइली के लिए हम आगे हो जाते हैं:)
Nishant Mishra की हालिया प्रविष्टी..नील पसरीचा और 1-000 Awesome Things
आप अच्छा नहीं बहुत अच्छा लिखते हैं। ऐसे ही इस्माइल करते रहें।
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..एक ब्लॉगर की डायरी
वैसे जो शेर हम चुरा कर लाए थे वो तो सतीश जी ने ले लिया पहले ही. अब लाइब्रेरी जाकर दूसरी कविता ढूंढ कर लानी पढेगी तब कमेन्ट लिखेंगे
shikha varshney की हालिया प्रविष्टी..एक और तमाचा
ये डायरी पन्ने तो दोस्त लोगों के हैं। क्या पता आपका भी कोई हो लेकिन दिख न रहा हो। लाइब्रेरी से लौटने पर आपके लिखे जाने वाले कमेंट का इंतजार है!
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..एक ब्लॉगर की डायरी
mai bhi likhti hu
..
par aapki dairy mast lagi
..
कभी अपनी डायरी पढ़वाइयेगा।
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..एक ब्लॉगर की डायरी
कहीं ऊ महाभारत का संजय जी वाला दृष्टि आपको भी तो नहीं मिल गया ?????
ई डायरी तो भाई लोग नेट पर खुल्ला छोड़कर चले जाते हैं। वहीं से दिखी। संजय का नजर हरेक के पास कहां हो सकता है!
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..एक ब्लॉगर की डायरी
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..एक ब्लॉगर की डायरी
ये अच्छी बात है कि हम भी याद आये वर्ना ब्लॉगर को कौन याद करता है आजकल!
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..एक ब्लॉगर की डायरी
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..एक ब्लॉगर की डायरी
लगे हाथ केंचुआ कमेन्ट की बानगी भी देख लो, अब आगे से यह न पूछना कि यार ये बताओ कि आप ऐसे कमेट कैसे कर लेते हैं ?
” सोच रहा हूं कि किसी दिन लाइब्रेरी जाकर पुरानी कवितायें नोट करके लाऊं, पर नयी कविता की कुछ किताबें भी लानी हैं। अब कम से कम जो भी कूड़ा पढ़ेंगे तो अपने मन से। किसी की जबरदस्ती से तो नहीं। मगर ऐसे ही चलता रहा तो अमन का पैगाम भी ठप्प हो जायेगा। लगता है फ़िर से कुछ लोगों से दोस्ती करनी पड़ेगी। जिनको साजिशन हतोत्साहित किया जा रहा है। इसके खिलाफ़ आवाज उठानी होगी। अच्छाई का बहाना बनाकर अपने अच्छेपन का चरित्रप्रमाण पत्र खुद हासिल करना होगा। कोई अच्छा मनोवैज्ञानिक आपकी नजर में हो तो बताओ ! ”
शुक्रिया! आपका ये केचुआ कमेंट आने वाले समय में मील का कमेंट के रूप में जाना जायेगा।
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..एक ब्लॉगर की डायरी
जीवन के फ़लसफ़े वाली बात नहीं पता थी वर्ना न छापते। लेकिन अब जो हुआ सो हुआ।
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..एक ब्लॉगर की डायरी
इनके मन मस्तिष्क किसी की नहीं धौस
किसी की नहीं धौस खुली चर्चा ब्लॉगर की।
झलक दिखाते भले-बुरे-मद्धम तेवर की॥
बहुतेरे ब्लॉगर आये, निज धाम सिधारे।
फुरसतिया ने सबके दर्द यहाँ लिख मारे॥
सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी की हालिया प्रविष्टी..हे संविधान जी नमस्कार…
इनके मन मस्तिष्क पर किसी की नहीं धौस॥
किसी की नहीं धौस, खुली चर्चा ब्लॉगर की।
झलक दिखाते भले-बुरे-मद्धम तेवर की॥
बहुतेरे ब्लॉगर आये, निज धाम सिधारे।
फुरसतिया ने सबके दर्द यहाँ लिख मारे॥
सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी की हालिया प्रविष्टी..हे संविधान जी नमस्कार…
आप तो पक्के राग वाले कवि हो गये।
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..एक ब्लॉगर की डायरी
शुक्र कहां अभी तो वृहस्पतिवार ही है। १२ के बाद भी हो सकता है।
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..एक ब्लॉगर की डायरी
सब गधे अभी बेवलाग पर आ नहीं पाये हैं। अब आपकी देखा-देखी वे भी शायद वेबलाग पर आयें। आप उनके लिये नजीर बन सकते हैं।
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..एक ब्लॉगर की डायरी
neeraj basliyal की हालिया प्रविष्टी..प्रेमचंद के देश में
सही कहा आपने।
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..एक ब्लॉगर की डायरी
बहुत सारे खण्ड हैं। उनको छांटना है अभी।
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..एक ब्लॉगर की डायरी
वैसे एक बात है, आपकी हर पोस्ट से एक न एक नया शब्द ज़रूर सीखने को मिलता है, मसलन- “टिटहरी नेतृत्व कामना ” कमाल का शब्द-सृजन करते हैं आप. सोचती हूँ ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी की तर्ज़ पर’ फुरसतिया डिक्शनरी’ निकाल दूं अनुमति अपेक्षित है.
अब कुछ पेस्टिंग भी-
“जल्दी में होने पर वे एक पोस्ट का कमेंट दूसरी किसी पोस्ट पर करते हैं। इससे उसका कोई मतलब निकलने की संभावनायें काफ़ी हद तक कम हो जाती हैं।”
“अब कम से कम जो भी कूड़ा पढ़ते हैं वो अपने मन से। किसी की जबरदस्ती से तो नहीं”
कूड़ा?? (तुम भये कूड़ा प्रभु, हम भये करकट……)
” नयी कविता की किताबें लानी हैं। बसंत या होली के मौके पर शायद कुछ पत्रिकायें कविता विशेषांक निकालें। सोच रहा हूं कि किसी दिन लाइब्रेरी जाकर पुरानी कवितायें नोट करके लाऊं। उनमें तुक अच्छा जमता है”
“ये कविता लिखने वाले और गजलकार बाजी बखत तो इतना रोना-धोना करते हैं कि मन करता है इनको किसी सूखाग्रस्त इलाके में ठहराया जाये तो वहां सूखे की समस्या की जगह बाढ़ का खतरा मंडराने लगे।”
हाँ, सच्ची यहाँ सतना तो भेज ही दीजिये, सूखाग्रस्त इलाका है .
“अच्छा लिखने वालों को यह बात समझनी पड़ेगी कि उनका लेखन अच्छा सिर्फ़ इसीलिये कहलाता है क्योंकि हम खराब लिखने वाले यहां मौजूद हैं। हमारे खराब लेखन की नींव की ईंट पर ही उनके अच्छे लेखन के कंगूरे टिके हैं।”
बहुत सही. चेतावनी सी है ये तो
भगवान् बचाए उन सबको आपसे, जिन्हें आप अगली डायरी में लपेटने के चक्कर में हों……
वन्दना अवस्थी दुबे की हालिया प्रविष्टी..सतना में शिमला का अहसास -
आपने तो टिप्पणी में इत्ता कुछ लिखकर हमको शरमाने पर मजबूर कर दिया !
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..एक ब्लॉगर की डायरी
आपने तो टिप्पणी में इत्ता कुछ लिखकर हमको ढेर सारा लजाने पर मजबूर कर दिया !
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..एक ब्लॉगर की डायरी
बढियां है ये ब्लागानुभव ! ईश्वर करे आपको कच्छा माल मिलता रहे
@ अनुराग जी ,
शायद जिन ज्ञानी की आप बात कर रहे हैं , वे हैं :
” हास्य गम्भीर बात कहने का एक तरीका है। ” ~ [ टी एस इलियट ]
( ज्ञान जी ने बज पर एक बार शेयर किया इसे , वहीं से जाना )
amrendra nath tripathi की हालिया प्रविष्टी..शीत पर दो छंद
शुक्रिया टी.एस.इलियट के कथन के बारे में बताने के लिये।
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..एक ब्लॉगर की डायरी
ePandit की हालिया प्रविष्टी..ऍण्ड्रॉइड स्मार्टफोन पर स्क्रीन कैप्चर कैसे करें
फ़ुरसतिया लीक्स शुरु करने की सोची लेकिन असांचे की परेशानियां देखकर इरादा बदल दिया।
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..एक ब्लॉगर की डायरी
मजा आ गया सर।
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..…ब्लागर की एक और डायरी
शुक्रिया! वैसे डायरी बढिया लिखने वाले लिखते हैं इसीलिये हम निश्चिंत है कि किसी डायरी में हमारा नाम न होगा!
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..…ब्लागर की एक और डायरी
फुरसतिया इस्टाइल डायरी विवेचन…जय हो!
खूब मौज ले ली डायरी के बहाने!
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..…ब्लागर की एक और डायरी
———
अमल करते हुये कब सम्मानग्रस्त किया जायेगा हमें?
Gyan Dutt Pandey की हालिया प्रविष्टी..सरपत की ओर
आपका सम्मान आपके खाते में जमा हो रहा है! जिस दिन आपने अच्छा लिखना शुरु किया उसी दिन कम अच्छा लिखने वाले दिनों का सारा सम्मान इकट्ठा करके आपको सम्मानित कर दिया जायेगा।
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..…ब्लागर की एक और डायरी
ऐ डायरी चुराने वाले तेरा……
मुंह घी शक्कर से भर जाए
चंद्र मौलेश्वर की हालिया प्रविष्टी..मेरी कहानियाँ – माचिस की डिबिया
…..और इसके बाद तू सुगरफ़्री चीनी पर आ जाये!
अनूप शुक्ल की हालिया प्रविष्टी..…ब्लागर की एक और डायरी