Monday, August 19, 2013

तेरा साथ रहा बारिशों में छाते की तरह

http://web.archive.org/web/20140420082515/http://hindini.com/fursatiya/archives/4616

तेरा साथ रहा बारिशों में छाते की तरह

कल पानी हचक के बरसा। दिन भर बरसता रहा। पानी बन्द होने का एहसास देते-देते फ़िर से बरसने लगता जैसे कोई गाली-गलौज करता आदमी चुप होते-होते कुछ और नया याद आने पर फ़िर से शुरु हो जाये। भर शहर बरसात हुई। शहर का कोई शायर शिकायत नहीं कर सकता:
भर शहर बरसात हुई,
एक मेरा घर छोड़कर।
पूरा शहर घुटनों तक पानी में डूब गया। कहीं तो और ज्यादा। एक लड़का लोगों के मना करने के बाद भी नाले के पार जाने की कोशिश करने में डूब गया। बी.ई. का छात्र था। जवान लड़का। उसके घर में न जाने कित्ते दिन आंसुओं की बरसात होती रहेगी।
फ़ैक्ट्री में भी जगह-जगह पानी भर गया। उत्पादनशालाओं तक में पानी भरा रहा। इतवार होने के बावजूद काम जारी था। लेकिन इंद्र भगवान बखेड़ा कर दिये।
सुबह जब पानी शुरु हुआ था तो मन किया कि निकल के जायें खुल्ले में। नहायें पानी में। लेकिन सोचा भीग जायेंगे। यह भी कि पानी ठंडा होगा। मेघराज से बात करने का मन किया कि उनको सुझायें कि पानी जरा गुनगुना करके भेजा करो भाई। लेकिन बात नहीं हो पायी। नेटवर्क ध्वस्त था।
सोचा बाढ़ में नर्मदा जी के दर्शन किये जायें। नहीं गये। शहर की हर सड़क नर्मदा बनी हुई थी। आज अखबार से पता चला कि ग्वारीघाट शहर से कट गया। बिलहरी में नाव चली। अखबार ने एक कालम बनाकर लिख डाला है:
  1. 50 इलाकों में रहे बाढ जैसे हालात
  2. 10 हजार लोग बारिश और बाढ़ से प्रभावित
  3. 45 राहत शिविरों में दी गई लोगों को शरण
  4. 05 करोड़ की तत्काल सहायता सीएम ने दी
  5. 64 ट्रांसफ़ार्मरों से बंद की गयी आपूर्ति
  6. 72 घंटों में फ़िर भारी बारिश की चेतावनी
इन स्थानीय खबरों के सामने देश-विदेश की महत्वपूर्ण खबरें इस तरह थीं:
  1. प्रधानमंत्री पद की दौड़ में नहीं शिवराज
  2. भाजपा चुनाव समित ने बनाया मिशन-272 का प्लान
  3. बमबाज हकीम टुंडा के बारूदी खुलासे
  4. डायना की मौत में ब्रिटिश सेना का भी हाथ
  5. सिर्फ़ स्कोर बुक के आधार पर न हो चयन: तेंदुलकर
  6. वोट न देने का खामियाजा
अगर दोनों को मिला दिया जाये तो देखिये ऐसा बनेगा मामला:
delhi
  1. 50 इलाकों में रहे बाढ जैसे हालात: प्रधानमंत्री पद की दौड़ में नहीं शिवराज
  2. 10 हजार लोग बारिश और बाढ़ से प्रभावित: भाजपा चुनाव समित ने बनाया मिशन-272 का प्लान
  3. 45 राहत शिविरों में दी गई लोगों को शरण: बमबाज हकीम टुंडा के बारूदी खुलासे
  4. 05 करोड़ की तत्काल सहायता सीएम ने दी: डायना की मौत में ब्रिटिश सेना का भी हाथ
  5. 64 ट्रांसफ़ार्मरों से बंद की गयी आपूर्ति: सिर्फ़ स्कोर बुक के आधार पर न हो चयन: तेंदुलकर
  6. 72 घंटों में फ़िर भारी बारिश की चेतावनी: वोट न देने का खामियाजा
अब देखिये लोकल और ग्लोबल मुख्य खबरों में कोई जुगलबंदी बनती है क्या? बनती तो है देखिये। खाली पहला और आखिरी देखिये। बाकी आप मिलाइये:
  1. बाढ़ जैसे हालात में प्रधानमंत्री की दौड़ चल रही है।
  2. 72 घंटों में फ़िर बारिश की धमकी अगर वोट न दिये गये
इन दो को अगर मिला दिया जाये तो खबर बन सकती है:
देश में प्रधानमंत्री पद की दौड़ चल रही है। अगर उसके लिये वोट न दिये गये तो खामियाजा भुगतना पड़ सकता है और 72 घंटे में भारी बारिश हो सकती है।
प्रधानमंत्री पद की दौड़ वास्तव में आज देश का सबसे अहम मुद्दा बना रखा है मीडिया ने। मीडिया की लगता है कारपोरेट से सेटिंग सी है और कारपोरेट मीडिया से कहता है:
तुम देश को अगले प्रधानमंत्री की बहस में उलझाये रहो तक तक हम देश को कब्जे में लेकर ठिकाने का इंतजाम कर लेंगे।
मीडिया के लोगों को अपने तीन सौ से ज्यादा लोगों को चैनलों से निकालने की कोई खबर दिखाने की न चिंता है, न हिम्मत और न ही जज्बा। वह मुस्कराते और चिल्लाते हुये देश में अगले प्रधानमंत्री की बहस कराने में जुटा हुआ है।गोया अगला प्रधानमंत्री चुने जाते ही देश फ़िर से सोने की चिड़िया बन जायेगा और लोग गाना गाने लगेंगे:
“जहां डाल-डाल पर सोने की
चिड़ियां करती हैं बसेरा
वह भारत देश है मेरा।”
ओह कहां से चले थे ,कहां पहुंच गये। आज विश्व फ़ोटोग्राफ़ी दिवस है। इस मौके पर पुरानी फ़ोटूयें देखते हुये ये ऊपर वाली दिखी। सोचा फ़िर से लगा लें और इससे जुड़ा शेर भी फ़िर से सुना दें:
तेरा साथ रहा बारिशों में छाते की तरह
भीग तो पूरा गये पर हौसला बना रहा।
अच्छा है न। सामयिक भी है। चलिये आप कहते हैं तो इसई के अद्धे को पोस्ट का शीर्षक बना के पोस्ट कर देते हैं।
दूसरी वाली फोटो दो साल पहले दिल्ली में खैंची गयी थी। हुमायूं का मकबरा देखने गये थे। दो बच्चे हाथों में फ़ूल लिये भागते दिखे। उनकी तस्वीर खैंच ली हमने। सामने से खैंचने के चक्कर में बहुत देर कैमरा साधे रहे लेकिन वो पोज न मिला। विश्व फ़ोटोग्राफ़ी दिवस के बहाने दिखा दिये आपको फ़िर से।
चलिये अब बहुत हुआ। आज के लिये इत्ता ही। बकिया फ़िर।

7 responses to “तेरा साथ रहा बारिशों में छाते की तरह”

  1. arvind mishra
    दो ख़बरों के जोड़ने की हास्यमूलक जुगत सूंड फैजाबादी ने पहले पहल ढूंढी थी जिसे वे मंचों सुना सुना कर अकूत तालियाँ बटोरते थे -उनका स्मरण हो आया! दोनों फोटुयें मस्त हैं !
    arvind mishra की हालिया प्रविष्टी..हिन्दी ब्लॉगर अपना विरोध अवश्य दर्ज करें!
  2. दीपक बाबा
    ओह आज तो फुर्सत में खबरों की बैचेनी फुरसतिया पर छा गयी..
  3. देवांशु निगम
    हा हा हा हा हा :) :)
    प्रधानमंत्री की बहस बहुत बढ़िया लगती है | हर कोई लगा है लाइन में :) :)
    देवांशु निगम की हालिया प्रविष्टी..१५ अगस्त का तोड़ू-फोड़ू दिन !!!
  4. भारतीय नागरिक
    जोड़ तोड़ (सच में नहीं) की पोस्ट बड़ी अच्छी लगी।
    भारतीय नागरिक की हालिया प्रविष्टी..नाग ने आदमी को डसा ….
  5. राहुल सिंह
    खबरों को मिला कर पढ़ने का प्रयोग किसी कवि सम्‍मेलन के मंच से पहली बार सुना था, कवि थे, शायद शैल चतुर्वेदी-
    नंदिनी सतपथी पराजित, अंधों ने मतदान किया.
    किशोरी से बलात्‍कार, हमारे प्रतिनिधि द्वारा.
    राहुल सिंह की हालिया प्रविष्टी..केदारनाथ
  6. प्रवीण पाण्डेय
    जय हो, अब यदि बारिश बंद हो गयी हो तो बाहर घूम आते हैं।
    प्रवीण पाण्डेय की हालिया प्रविष्टी..मन – स्वरूप, कार्य, अवस्थायें
  7. : फ़ुरसतिया-पुराने लेख
    [...] तेरा साथ रहा बारिशों में छाते की तरह [...]

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