Wednesday, February 08, 2017

आलोक पुराणिक के बहाने -2


कल की पोस्ट के आगे https://www.facebook.com/anup.shukla.14/posts/10210500383959330
Alok Puranik ने लिखना 15 साल की बाली उमर से शुरु कर दिया था। पूछने पर दो उन्होंने कारण बताये:
1. इसके पहले लिखना शुरु करते तो 14 साल वाला ’बाल श्रम कानून’ लागू हो जाता।
2. 15 साल की उमर में अगर लिखना न शुरु करते तो जवानी वाले काम करने का मन होता। उस समय ये सब मंहगा था। आर्थिक समझ होने के कारण मुझे पता था कि बाद में लव पर डिस्काउंट मिलेगा। इसीलिये लिखने में लग गये। बाद में फ़ायदा भी हुआ।सन्नी लियोनी, राखी सावंत, मल्लिका जी सबसे बिन्दास दोस्ती है।
कल वाली पोस्ट में मनीष मोहन ने टिप्पणी की :
"आलोकजी बहुत बड़े लेखक और व्यंग्यकार हैं. उनके योग्य पाठक बनने में पता नहीं हमें कित्ता समय लगेगा. हमारी टिप्पणियों को उन्होंने कभी respond नहीं किया. हम तभी समझ गए थे कि वे बड़े आदमी भी हैं. फिलहाल बधाइयों की पुनरावृत्ति उन तक पहुँचे "
उस पर हमारा जबाब था:
"अरे आलोक पुराणिक अभी लिखना ही सीख रहे हैं भाई जी। टिप्पणियों के जबाब देना भी सीख जाएंगे जल्दी ही।"
आलोक पुराणिक ने इसकी पुष्टि करते हुये लिखा:
"जी जो बात अनूपजी कह रहे हैं,वह व्यंग्य नहीं है।"
समय का हिसाब है वर्ना आलोक पुराणिक तगड़े टिप्पणीबाज हैं। कभी उनके बारे में लिखा था हमने:
"वे जित्ते अच्छे लेख लिखते हैं टिप्पणी उससे कहीं अधिक मनभावन करते हैं। बल्कि सच तो यह है कि वे टिप्पणी अपने लेखन से बेहतर करते हैं। कुछ लोग कभी-कभी तो तो कहते हैं कि आलोक पुराणिक को ब्लाग लेखन के मुकाबले टिप्पणी लेखन पर ध्यान देना चाहिये। "
वो तो अच्छा हुआ कि आलोक पुराणिक ने हमारी बात पर ध्यान नहीं दिया और लिखने-पढने में लगे वर्ना इत्ती किताबें न आतीं।
आलोक पुराणिक के बारे में अपनी राय व्यक्त करते हुये हमने कभी लिखा था:
"व्यंग्य लेखन के अखाड़े में सक्रिय जितने भी पहलवान हैं उनमें से मैं आलोक पुराणिक को सबसे तगड़ा पहलवान मानता हूं। ऐसा मानने का कारण है उनके लेखन की विविधता और रेंज। आज व्यंग्य लेखन का जैसा चलन है उसके लिहाज जैसे ही मीडिया में किसी घटना की सूचना आती है वैसे ही व्यंग्य लेखक उस पर लिखने के लिये टूट पड़ते हैं। आलोक पुराणिक की खूबी यह यह है कि जिस घटना पर बाकी लेखक एकाध लेख ही निकाल पाते हैं उसी घटना से वे अलग-अलग कोण से तीन-चार लेख बड़े आराम से निकाल लेते हैं।"
पिछले दिनों उन्होंने नोटबंदी पर जितने लेख लिखे ..............अब इसके आगे आप अपने आप जोड लीजिये। कुछ विकल्प ये हो सकते हैं:
(i) .......उतनी बार सन्नी लियोनी , राखी सावंत जी से बात तक न की।
(ii)........उतनी बार तो मुलायमसिंह जी ने अपने बयान भी न बदले।
(iii).......उतने बार तो रामगोपाल जी सपा से बाहर भी न निकाले गये।
(iv) ......उतनी बार व्यंग्य लेखकों ने व्यंग्य के बारे में फ़तवे भी न जारी किये।
आलोक पुराणिक पर और कुछ लिखा जाये तब तक आप उनकी किताबों के नाम जान लीजिये। शीर्षक के साथ में हमारी जुगलबंदी। हमने आपकी सहूलियत के लिये खराब जुगलबंदी से शुरुआत की है। आप अपनी बढिया वाली बताइये:
1. नेकीकर अखबार में डाल: पड़ा रहेगा तो कभी काम आयेगा ।
2. लव पर डिस्काउंट: आनलाइन आर्डर पर पिटाई स्वयंसेवक मुफ़्त में।
3. बालम तू काहे न हुआ एनआरआई: जा मैं तुझसे बात नहीं करती।
4. नेता बनाम आलू: चुनाव में एक भाव बिके ।
5. व्हाइट हाउस में रामलीला: राम का रोल ट्रंप ने छीना, नारी पात्र दहशत में।
6. मर्सिडीज घोड़े बनाम 800 सी घोड़े: पेट्रोल के इंतजार में घुड़साल में
7. पापा रिस्टार्ट न हुये: उनका स्पार्क प्लग चोरी हो गया।
8.कारपोरेट पंचतंत्र: आलोक पुराणिक का लेटेस्ट प्रपंच।
फ़िलहाल इतना ही। शेष अगले अंक में जल्दी ही ...

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