बालू का तिकोन मानो नदी परिवार नियोजन का प्रचार कर रही हो |
कल बहुत दिन बाद साइकिल 'स्टार्ट' की। हफ्तों खड़ी रहने के बावजूद टायर की हवा निकली नहीं थी। मर्द साईकल है भाई। हफ्तों बाद भी अकड़ बनी हुई है।
बाहर निकलते ही सड़क पर जिंदगी धड़कती मिली। एक कुत्ता जीभ निकाले आंख बंद किये धूप सेंक रहा था। जीभ गोया उसका सोलर पैनल हो जिससे उसकी चार्जिंग हो रही हो।
क्या पता कुछ सालों में हमारे पास धूप इसी तरह पहुंचे। कहीं मील भर दूर किसी पैनल से इकट्ठा हुई धूप हमारे कमरे में आकर फैल जाए। धूप की मात्रा कम/ज्यादा की जा सके। जनवरी में जून का स्विच दाबकर धूप की तेजी बढा ली जाए।
आगे एक महिला धूप में प्याज के छिलके उतार रही थी। जो प्याज खराब हो से हो गए थे वे छिलके उतरते ही चमकने लगे थे जैसे कोई बेवकूफ टाइप अफसर बढ़ी कुर्सी पाते ही चेकोलाइट हो जाता है। कोई गुंडा मंत्री बनते ही माननीय हो जाता है।
उसकी दुकान पर ठेलिया बिना पहिये के खड़ी थी।ठेलिया पर सब्जी की दुकान सजी थी। खड़ी ठेलिये का उपयोग। इसी तरह जड़/ठस रूढ़ियों और परंपराओं पर लोग अपनी राजनीति की दुकान चलाते रहते हैं।
नदी पूरी तसल्ली से लेती धूप सेंक रही थी। पानी कम सा था। कई जगह नीचे का तल दिख रहा था। पानी की सतह पर एक जगह ऐसे निशान बने थे मानो नदी धूप में लेती हुई अपना बदन खुजा रही हो और नाखून के निशान उसके शरीर पर बन गए हैं। कुछ देर में निशान खत्म हो गए। नीचे की बालू से मिलकर तेज बहते पानी में बुलबुले उठते दिखे। ऐसा लगा नदी के पेट में गैस बन रही हो। नदी गैस निकालते हुए तसल्ली से धूप में लेटी रही।
पानी की कमी के चलते नदी के बीच टापू निकल आया है। शुरुआत में तिकोन सा बन गया है। मानो नदी परिवार नियोजन का आह्वान कर रही हो। छोटा परिवार रहेगा, तभी पानी बचेगा।
पुल के नीचे से निकलकर पानी खिलखिलाता सा बह रहा था। सूरज की किरणें उसको और चमकाए दे रहीं थीं। पुल के ऊपर मालगाड़ी गुजर रही थी। नीचे नावों पर आवाजाही कर रहे थे।
साइकिल की दुकान पर धूप सेंकते बुजुर्ग |
लौटते हुए साईकल की दुकान पर रुकते हुये बतियाये। बुजुर्गवार की आंख अब ठीक हो रही है। कुछ दिन में चश्मा बनना है। लड़का शादी नहीं किया है। 38 साल की उम्र। बोला - 'भोले बाबा की सेवा करना है। पिता की सेवा करना है। शादी करेंगे तो कैसे चलेगा यह सब।'
नदी किनारे रहते हैं लेकिन पानी ख़रीदकर नहाते हैं। 20 रुपये में चार डब्बा पानी खरीदते हैं। 16 लीटर का डब्बा। मतलब करीब 30 पैसे लीटर। पानी वाले की तारीफ करते हैं बुजुर्गवार। मेहनती लड़का है। सुलभ शौचालय अब मुफ्त है। तीन माह पहले 5 रुपये निपटान के देने होते थे।
रिक्शे वाले छुट्टी पर हैं शायद। अपने रिक्शे चमका रहे हैं। टेढ़ा करके टायर धो रहे हैं।
एक महिला मोटर साइकिल पर अपने शौहर के साथ जा रही है। गन्ने का रस पीते हुए बुरका हटाकर अपने बच्चे को प्यार कर रही है। गन्ने का रस भी पिला रही है।
मूंगफली की दुकानें सज रही हैं। मूंगफलियां धूप में अपने को गरमा रही हैं। मस्तिया रही हैं।
रेडियो पर पाकिस्तान द्वारा सीमा पर हमले की खबर आ रही है। चार जवान शहीद हो गए। अब वे धूप नहीं सेंक पाएंगे। संतुलन के लिए पाकिस्तान की चौकियां तबाह करने की खबर भी चल रही है। स्कूल बंद कर दिए गए हैं। करारा जबाब दिया जा रहा है।
एंकर चिल्लाते हुए पूंछ रही है - 'पाकिस्तान को एक बार सबक क्यों नहीं सिखा देते।' हमारे कने एंकर के सवाल का जबाब नहीं है। हमको फैक्ट्री भी जाना है। देश को मजबूत करने के लिए साजो-सामान बनाना है।
उधर एक खबर और चल रही है। दिल्ली में अंकित को जब मारा गया तो लोग वीडियो में आते-जाते दिख रहे हैं। लेकिन कोई सहायता के लिए आगे नहीं आ रहा है।
एक बहुत डरे हुए , बर्बर समय में जी रहे हैं हम लोग।
हम चलते हैं। आप अपना ख्याल रखना। बाकी का किस्सा भी जल्ली ही सुनाएंगे।
https://www.facebook.com/anup.shukla.14/posts/10213627303930375
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