यह तो हम इंसान हैं जो धरती को अपनी बपौती समझ गदर काटते रहते हैं। अपने को सबसे बुद्धिमान प्रजाति समझते हुए दुनिया की सबसे बड़ी बेवकूफियां करता रहता है। जिस धरती पर रहता है उसी को बर्बाद करने की हरकतें करता रहता है। उसके बाद नाटक करता है और धरती के नष्ट होने का स्यापा करता है।
सच कहा जाए तो इंसान की धरती विरोधी हरकतों के चलते धरती नहीं नष्ट होगी। गर्मी बढ़ने पर समुद्र का स्तर बढ़ेगा तो शहर डूबेंगे, आदमी तबाह होगा। धरती तो ऐसे ही अपनी धुरी पर घूमती रहेगी।
हो सकता है आज से सैकड़ों, हजारों साल बाद कोई और उन्नत प्रजाति के लोग धरती के बारे में अपनी राय बनाते हुए लिखें कि पहले धरती पर डायनासोर रहते थे जो किसी उल्कापिंड के चलते खत्म हुए। उसके बाद इंसान बुद्धिमान प्राणी थे। उन्होंने अपनी बुदगुमानी और लालच के चलते ही धरती का वातावरण इतना बर्बाद कर लिया कि निपट गए।
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