दिल्ली एयरपोर्ट पर ऑटो और पब्लिक ट्रांसपोर्ट की अनुमति नहीं है। जहां तक ऑटो की अनुमति है वहां से एयरपोर्ट करीब 3 किलोमीटर है। हालांकि टैक्सी धड़ल्ले से जा सकती है। मतलब आम जनता की सवारी पर पाबंदी। भीड़ कम करने के लिए ऐसा किया गया होगा। यह भी मजेदार है कि हवाई जहाज के यात्री बढ़ते जा रहे हैं। लेकिन आम आदमी की सवारी पर प्रतिबन्ध है।
सर्च करने पर पता चला कि ऑटो पर पाबंदी सभी एयरपोर्ट पर नहीं है। हैदराबाद एयरपोर्ट पर ऑटो आ सकते हैं लेकिन यह सलाह भी दी गयी है कि अगर सामान ज्यादा है तो ऑटो की सवारी से बचें।
जहां सोनू तिवारी ने मुझे छोड़ा वहां से एयरपोर्ट के लिए बस की सुविधा है। पता चला थोड़ी देर बाद बस आएगी। थोड़ी देर वहीं स्टॉप पर इंतजार किया। टीवी चल रहा था। लोग बेंचों पर बैठे इन्तजार कर रहे थे। कोई कोई अपने बच्चों को तैयार कर रहा था। कंघी-चुटिया, बिंदी-टिकुली सजावट भी होती दिखी।
कुछ देर में एयरपोर्ट की बस आई। बैठकर पहुंचे टर्मिनल। पैदल चलना पड़ता इतना तो बारह बज जाते। कई ग्राम पसीना निकल जाता।
टर्मिनल पर फोटो परिचयपत्र में फोटो थोड़ी धुंधली होने के कारण सुरक्षा जवान ने कई बार देखा। हालांकि हमारे पास साफ फोटो वाला आधार कार्ड भी था लेकिन दिखाया हमने ड्राइविंग लाइसेंस ही। जेब में पड़े-पड़े, हमारी गाड़ी की तरह, वह भी बुजुर्ग हो चुका है। साल में दस-बीस बार ही उसकी मुंह दिखाई होती है। इसलिये बेचारा निस्तेज होता जा रहा है।
बहरहाल, सुरक्षा जवान ने कई बार देखने के बाद हमको घुसने दिया एयरपोर्ट में। बोर्डिंग पास बनवाकर सिक्योरिटी जांच के लिये गए तो वहां छुटकी कैंची धरा ली गयी। कई बार ऐसा हो चुका है। कभी सिक्योरिटी वाले जाने देते हैं, कभी धरा लेते हैं। अलग-अलग एयरपोर्ट पर भी अलग-अलग मानक।
सिक्योरिटी से सकुशल निकल जाना मतलब इम्तहान पास करने जैसा लगता है। जो लोग रोज इम्तहान देते हैं उनकी बात अलग। हम तो छठे छमाहे हवाई यात्रा करने वाले ठहरे। पिछली हवाई यात्रा शायद दिसम्बर 2019 में की थी। उसके बाद पहली बार आना हुआ था जहाज सवारी के लिए।
सिक्योरिटी जांच के बाद अंदर घुसे तो पेट बोला -'हमारा भी इंतजाम किया जाए कुछ।' नाश्ते के लिए तमाम दुकानें थीं वहां। सामने दिख रहे 'टिफिन एक्सप्रेस' में जगह खाली दिखी तो वहीं कूपन लिया। इडली, उत्तपम और सूजी हलवा। 299 रुपये दाम।
हवाई अड्डे पर टिफिन एक्सप्रेस मतलब हवाई जहाज चलने की जगह पर खाने की रेल। जहां कोई वाहन चलने की अनुमति नहीं वहां एक्सप्रेस चल रही है। इंसान की प्रकृति वर्जनाएं तोड़ने की होती है। पहले अनुशासन बनाना फिर भंग करना। इसी आदत के चलते सांड, शेर, चीता जैसे जानवर जो अन्यथा हमारे जीवन से बेदखल हो गए हैं, वे हमारी बातचीत में शामिल रहते हैं। छिपकर रहने वाली पूंजी का व्यापार करने वाली जगह स्टॉक एक्सचेंज का प्रतीक सांड है। किसी डरपोक आदमी की शेर बताकर हल्ला किया जाता है। सब मामला उलट-पुलट। जो नहीं है वह बताया जा रहा है। जो है वह छिपाया जा रहा है। दुनिया सही में छलावा होती जा रही है।
299/- का नाश्ता करते हुए तमाम तुलनात्मक अध्ययन कर डाले। खाली बैठे आदमी तुलना करने लगता है। 299/- में नाश्ता करने वाला सोच रहा था कि तमाम लोगों की दिहाड़ी नहीं होती इतनी जितने का नाश्ता है। फिर याद आया कि कहीं तो एक चाय/काफी के दाम कम से कम 500/- हैं। किसी के पास बहुत पैसा , कोई कंगाल।
यह बात हम अक्सर सोचते हैं कि दुनिया में पांच-दस साल बाद सबकी आमदनी बराबर कर दी जाए। दुनिया के सबसे अमीर आदमी एलन मस्क की संपत्ति और सोनू तिवारी की संपत्ति बराबर कर दी जाए। दुनिया की सारी संपत्ति दुनिया के लोगों में बराबर बंट जाए। फिर से शुरू करो हिसाब-किताब। ये नहीं कि एक बार कमा लिया तो पूरी जिंदगी ऐश कर रहे। पैसे की चर्बी छंटती रहे पांच-दस साल में तो दुनिया चुस्त-दुरुस्त बनी रहेगी।
जैसे वाहनों में स्पीड गवर्नर लगा होता है वैसे दुनिया में 'संपत्ति गवर्नर' लग जाये। एक सीमा से ज्यादा किसी के पास पैसा नहीं होगा। पैसा नहीं होगा तो एक आदमी के पास दुनिया को जबरियन प्रभावित करने के अधिकार भी नहीं होंगें। ताक़त और संपत्ति के नशे में लोग न जाने कितना अहित करते हैं दुनिया का। यह सोचते हुए पुरानी पढ़ी बात याद आई - 'दुनिया में आधा नुकसान उन लोगों के द्वारा किया गया है जो अपने को खास समझते हैं।' Half of the harm to the world has been done by the people who think that they are important.
नाश्ता कर चुकने के बाद लगा कि कितनी फालतू बातें सोच डालीं। फिर लगा खाली समय और भरे पेट के चलते हुआ ऐसा।
टिफिन एक्सप्रेस से चलकर हम श्रीनगर के लिए जहाज के लिए अपने गेट पर आ गये। फ्लाइट समय पर थी। बैठ गए जहाज में। पहली कश्मीर यात्रा के लिए।
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