कानपुर आये करीब डेढ़ महीना हो गया।इस बीच पंकज बाजपेई से मुलाकात नहीं हुई। Indra Awasthi ने हाल पूछे भी थे।
लेकिन थोड़ा आगे बढ़ने पर सड़क पर टहलते हुए दिख गए पंकज। हॉर्न बजाया तो देखकर मुस्कराये। गाड़ी रोक दी हमने। पंकज ने गाड़ी के पास आकर 45 डिग्री हाथ टेढ़ा करके 'दूर प्रणाम' किया और बोले -"बहुत दिन बाद आये। कहाँ चले गए थे?"
साथ मामू की चाय की दुकान पर आए। पंकज कई जेबों वाली पैंट की जगह तहमद नुमा कुछ लपेटे हुए थे। सीना सदाबहार खुला हुआ। चाय का ग्लास आगे करके चाय ली पंकज ने। वहीं खड़े होकर पीने लगे। साथ खड़े लोग मौज लेने लगे -"आज तो पंकज की चांदी है। पूरा का पूरा कड़ाही में हैं पंकज।"
पंकज चुपचाप डिवाइडर के पास जाकर चाय पीने चले गए। लोगों ने हमसे पूछा -"बहुत दिन बाद आये। कहाँ चले गए थे?"
एक आदमी के हाथ में चोट लगी थी। पैर भी चुटहिल। किसी ई रिक्शा चलाता है। पिछले दिन किसी से भिड़ गया गया रिक्शा। उसका वीरतापूर्ण विवरण कर रहा था। हर वाक्य के शुरुआत मां की गाली, खात्मा बहन की गाली से। ऐसे जैसे वाक्यों की शुरुआत में गालियों के ब्रैकेट लगा रहा हो।हर वाक्य मुंह से विदा करते हुए गालियों से स्टेपल कर रहा था। शायद संवाद प्रभावी बनाने का लालच रहा हो। बन भी रहे थे।
बता रहा था वह आदमी। हमसे भिड़ गया वो। ( ऐंठने लगा)। हमने कहा-(पुलिस में बन्द करा देंगे)। हम बोले-(पुलिस से डरे वो जिसका घर-बार हो)। (खटिया-बिस्तरा हो)। (हमारे पास तो कुछ है नहीं)। (फुटपाथ और डिवाइडर, रेलवे स्टेशन ,बस स्टेशन पर सोने वाले)। (हमको कौन पुलिस का डर?)। (पकड़ेगी तो झक मारकर खाना खिलाएगी)। (हमको अकेले थोड़ी पकड़ेगी)। (साथ में तुमको भी अंदर करेगी)। (हुलिया बिगड़ जाएगी एक ही दिन में)। (चुपचाप चला गया)।
ऊपर के पैरा में जहां ब्रैकेट लगे हैं वहां उस आदमी ने मां या बहन की या बहन या मां की गलियां देते हुए अपनी बात कही। हमने बीप-बीप वाले अंदाज में कही बात। आप अपने हिसाब से बांच लीजिएगा।
चाय पीकर पंकज के पास आये। हाल-चाल पूछे। कोहली, नोट, तालिबान और न जाने किन-किन बातों का जिक्र किया। वीडियो में सुनिए।
चलते समय बोले-"आज पांच सौ रुपये लेंगे। समोसा भी नहीं लाये।" हमने बताया-"समोसा अगली बार लाएंगे।"
बीस रुपये खर्चे के लिए दिए तो ठुनकते हुए बोले -"पांच सौ रुपये लेंगे। फिर सौ, पचास होते होते बीस पर ही मान गए।"
बातचीत में इस बार तालिबान का जिक्र भी किया। यह भी कहा -"हम सफाई से रहते हैं।"
अगली बार मिलने का वायदा करके हम वापस आ गए।
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