http://web.archive.org/web/20110925220423/http://hindini.com/fursatiya/archives/38
सूखे अधरों पर राग मल्हार लिये ,घूमे
टूटे मन में ,मादक संसार लिये घूमे
हमने तो यह जीवन इस तरह जिया यारो
हम खाली जेबों में बाजार लिये घूमे ।
हम शब्द,रूप ,रस,गन्ध, परस के आराधक
जिसकी हर सिद्धि कलंकित है ऐसे साधक
ऊपर वाले ने इतनी मस्ती दी हमको
हो गये स्वयं हम ही अपनी गति में बाधक।
भीगी पलकों पर बाग -बहार लिये घूमे
हम बिना बही-खाता व्यापार लिये घूमे
हमने तो यह जीवन इस तरह जिया यारों
बकवासों में वेदों का सार लिये घूमे।
बचपन से ही हम जिये विरोधाभासों में
भूखे भी सोये, तो -शाही अहसासों में
फुटपाथों पर चलने की अनुमति थी हम पर
पर ध्यान हमारा फिरा सात आकाशों में ।
गाली के बूते पर व्यवहार लिये घूमे
अपमानित हो-होकर आभार लिये घूमे
हमने तो यह जीवन इस तरह जिया यारों
जीवन भर हम-जीवन का भार लिये घूमें।
-कन्हैयालाल बाजपेयी
कानपुर।
टूटे मन में ,मादक संसार लिये घूमे
हमने तो यह जीवन इस तरह जिया यारो
हम खाली जेबों में बाजार लिये घूमे ।
हम शब्द,रूप ,रस,गन्ध, परस के आराधक
जिसकी हर सिद्धि कलंकित है ऐसे साधक
ऊपर वाले ने इतनी मस्ती दी हमको
हो गये स्वयं हम ही अपनी गति में बाधक।
भीगी पलकों पर बाग -बहार लिये घूमे
हम बिना बही-खाता व्यापार लिये घूमे
हमने तो यह जीवन इस तरह जिया यारों
बकवासों में वेदों का सार लिये घूमे।
बचपन से ही हम जिये विरोधाभासों में
भूखे भी सोये, तो -शाही अहसासों में
फुटपाथों पर चलने की अनुमति थी हम पर
पर ध्यान हमारा फिरा सात आकाशों में ।
गाली के बूते पर व्यवहार लिये घूमे
अपमानित हो-होकर आभार लिये घूमे
हमने तो यह जीवन इस तरह जिया यारों
जीवन भर हम-जीवन का भार लिये घूमें।
-कन्हैयालाल बाजपेयी
कानपुर।
Posted in कविता, मेरी पसंद | 6 Responses
आँखों में सपने चार लिये घूमे
सपनों में सोने सा संसार लिये घूमे
हमने तो जीवन इसतरह जिया यारों
दिल में ही घर बार लिये घूमे..
प्रत्यक्षा
.
लक्ष्मीनारायण