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कभी तो दो-चार पैसे बचाना सीखिये।
लैला-मजनू में पट नहीं रही आजकल,
उनको लिव-इन के फ़ायदे गिनाना सीखिये।
bahut achchi lagi aapki ye panktiyan
bahut sunder
मुश्किलों में मुस्कुराना सीखिए
टांग फटने से बचाना सीखिए
सर्दियों की शाम में पानी गरम कर
टांग को बस गुनगुनाना सीखिए
फिर भी गर फट जाए तो मुश्किल नहीं
क्रीम बढ़िया सी लगाना सीखिए
क्रीम से भी काम गर जो न बने
मोजों में रुई घुसाना सीखिए
गैर के पैसे को हिल्ले से लगाना सीखिये।
बहुत बढिया है जी ! आपके आदेश का पालन करते हुए हम तो पहले ही लट्ठ छोड़ कर फटे में टांग उलझाने को तैयार रहते हैं !:)
उनको लिव-इन के फ़ायदे गिनाना सीखिये।
जलवे हैं आशिकों के आजकल बहुत,
न मिले कोई तो खुद लटपटाना सीखिये।
“ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha kya kmaal kee class lee hai aaj aapne, bhut kuch seekha diya….. or han vo apkee janch ka kya hua, koee inquery vgerh beethaee kya…report aa jaye to ek photopocy humko bhee dejega”
Regards
कैसे न अड़ाया जाये फटे में टांग, वह संयम सिखाने का यत्न करें महामहिम ब्लॉगर जी!
लिखा (ऐज यूजुअल) बहुत बढ़िया है!
देश के हालत बड़ी खराब है दोस्तों,
तसल्ली से इस पर बहसियाना सीखिये।
मज़ा आगया।
थामिये कम्पूटर ओर फुरसतियाना सीखिये
लगता है ….दीवाली के बाद अभी भी छुट्टियों का खुमार है….टांग अडा ही दी !
फुरसतिया की तरह जमीनी बातें करना सीखिए !
अब और क्या चाहते हो, इस मासूम से ?
फिर वहां से भाग जाना सीखिए
लैला बेचारी है रोये जार-जार
मंजनू से उसको रुलाना सीखिए
बुश की हालत देखकर हैं सब खुशी
कुछ तो उसपे तरस खाना सीखिए
आपने पिटवा दिया मासूम को
थोड़ा मरहम भी लगाना सीखिए
बस ….मजा आ गया
उनको सही जगह मरहम लगाने की जगह दिखाना सीखिए
उनको लिव-इन के फ़ायदे गिनाना सीखिये।
जलवे हैं आशिकों के आजकल बहुत,
न मिले कोई तो खुद लटपटाना सीखिये।
गैर की तारीफ़ तो फ़िजूल है यार,
अपनी तारीफ़ों के कनकौवे उड़ाना सीखिये।
अब इसे तर्रन्नुम में सुनाना सीखिये.
अपना लिखा तो सभी पढ़वाते हैं, मियाँ
आप गैरों को पढ़ कर टिपियाना सीखिये. (ये दूसरों के लिए है, आप तो सीखे सिखाये हो. :))
-बहुत उम्दा!! वाह वाह!!
गाहे गाहे हिनहिनाना सीखिये.
नक्ल में भी अक्ल लाज़िम है जनाब,
यो हीं मत भोंपू बजाना सीखिये.
दिल भी मिल जायेंगे इक दिन देखना,
हाथ तो पहले मिलाना सीखिये.
आप लिखती हो ग़जब की शायरी
मछलियाँ ऐसे फँसाना सीखिये.
हम अछूतों से रखे हो दूरियाँ,
पांव बुलबुल के दबाना सीखिये.
वज़्न से गिरते हो फुरसतिया चचा,
ग़ज़ल पहले गुनगुना सीखिये.
चार्वाक जिंदाबाद।
अब ग़जल को आजमाना सीखिए॥
हैं ग़जलगो ब्लॉग में बिखरे हुए।
अब इन्हें पहचान जाना सीखिए॥
काफिया जो तंग हो कम वज्न भी।
तो बहर को भी भुलाना सीखिए॥
मौका-ए-फुरसत अगर मिल जाय तो।
ग़जल की कक्षा में जाना सीखिए॥
हमने सीख ली, आप भी फुरसतिया ग़ज़ल कहना सीखिए
भाई वाह क्या व्यंज़ल है!
धन्यवाद इस टांग अडाई की नसीयत के लिये,
अपने पैसे से ऐश किये तो क्या किये,
गैर के पैसे को हिल्ले से लगाना सीखिये।
गैर की तारीफ़ तो फ़िजूल है यार,
अपनी तारीफ़ों के कनकौवे उड़ाना सीखिये।
waah
गैर के पैसे को हिल्ले से लगाना सीखिये।
Wah wah…
शुभ्कामनाए
नीरज