Monday, September 12, 2011

शायर दोस्त मिले हैं

शायर दोस्त मिले हैं, एक लम्बे समय के बाद
कर रहे हैं हिसाब अपने मुकर्रर औ इरशाद का।

पच्चीस मुकर्रर औ तीस दाद का कुछ भी पता नहीं,
शायर टटोल रहे हैं, एक दूसरे को शक की निगाह से।

जब मिला न हिसाब तो अपनी गजले निकाल ली,
सुना रहे हैं आपस में ,औ जोड़ रहे हैं मुकर्रर, इरशाद।

-कट्टा कानपुरी

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