चांद ने सूरज को समझा दिया आहिस्ते से,
भटक जाओगे अंधेरे में, गर रात को न निकला मैं!
बिखर जायेगा सारा तामझाम, हवा-पानी,सब जलवा,
अगर दलाली छोड़ दी मैंने, रोशनी की रात के अंधेरे में
शाइर से गुफ़्तगू हुई , उसने तखल्लुस उड़ा लिया
दुनिया में भले आदमियों की, अभी कोई कमीं नहीं!
-कट्टा कानपुरी
भटक जाओगे अंधेरे में, गर रात को न निकला मैं!
बिखर जायेगा सारा तामझाम, हवा-पानी,सब जलवा,
अगर दलाली छोड़ दी मैंने, रोशनी की रात के अंधेरे में
शाइर से गुफ़्तगू हुई , उसने तखल्लुस उड़ा लिया
दुनिया में भले आदमियों की, अभी कोई कमीं नहीं!
-कट्टा कानपुरी
No comments:
Post a Comment