Tuesday, September 13, 2011

भटक जाओगे अंधेरे में

चांद ने सूरज को समझा दिया आहिस्ते से,
भटक जाओगे अंधेरे में, गर रात को न निकला मैं!

बिखर जायेगा सारा तामझाम, हवा-पानी,सब जलवा,
अगर दलाली छोड़ दी मैंने, रोशनी की रात के अंधेरे में

शाइर से गुफ़्तगू हुई , उसने तखल्लुस उड़ा लिया
दुनिया में भले आदमियों की, अभी कोई कमीं नहीं!

-कट्टा कानपुरी

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