Wednesday, September 14, 2011

इनकम अपन की डबल है, अब तू फ़ैसला सुना

न कोई गिला न शिकवा न तोहमत न कोई इल्जाम,
ये कौन सा तरीका है यार मोहब्बत निभाने का!

मोहब्बत करने चला है तो मोहब्बत का सलीका तो सीख,
जिंदगी को तहा के धर दे, मरने की कसम खाना तो सीख!

लिखा है खत स्याही से , तू इसे खून मत समझना,
पेन भी वो वाला जिससे, लिखते-लिखते लव हो जाये!

जा भाग के ब्लड बैंक से, खून की बोतल ले आ,
लिखना है मुझे खत , अपने कुछ ’लवर्स’ के नाम! 

खत जो लिखे रकीब ने, उसे तू मेरे समझ ले,
इनकम अपन की डबल है, अब तू फ़ैसला सुना।

वे मिले अकेले में, बहुत लम्बे समय के बाद,
बनाते रहे प्लान कैसे रोयेंगे बिछड़ने के बाद!

-कट्टा कानपुरी

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