किताब के विमोचन के सिलसिले में एक दिन पहले ही पहुँच गये लखनऊ। विमोचन की जगह तय हुयी थी शीरोज कैफे । पता लगा कि एसिड हमले की शिकार लड़कियां चलाती हैं इसे। आगरा में शुरुआत हुई थी, लखनऊ में दूसरा है। गोमती नगर में ताज होटल के पास, अम्बेडकर पार्क के सामने, मेट्रो रेल आफिस के बगल में।
कार्यक्रम के पहले जगह देखने के हिसाब से 18 जून की शाम को शीरोज हंट पहुंचे। खुली जगह और छत के नीचे खुले रेस्तरां का खूबसूरत संगम है शीरोज हंट। शाम 5 बजे से रात 10 बजे तक खुलता है। चाय, काफी, शाकाहारी नाश्ता और बैठने की बेहतरीन सुविधा के साथ बढ़िया कैफे। काउंटर पर सर्विस के लिए एसिड हमले ने घायल लड़कियां। किचन के काम के लिए सहयोगी लोग हैं।
हम वहीँ पर हमको भूपेंद्र जी मिले जो अपनी एनजीओ छाँव की तरफ से कैफे की व्यवस्था देखते हैं। होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई की है भूपेंद्र जी ने। उन्होंने इस एन जी ओ और इसमें सरकार के सहयोग की जानकारी दी। कैफे में काम करने वाली लड़कियों को रहने के लिए हॉस्टल सुविधा सरकार की तरफ से प्रदान की गयी है। मासिक तनख्वाह और अन्य सुविधाएँ मिलती हैं एनजीओ प्रदान करता है। इस मंशा से जिससे कि अपने जीवन निर्वाह के लिए किसी पर निर्भर न रहना पड़े उनको।
भूपेंद्र जी ने काउंटर पर बैठी एक बच्ची को बुलाकर हमसे परिचय कराया। रानी नाम है इस बहादुर बच्ची का। उड़ीसा के कटक के पास के एक गाँव की रहने वाली रानी जब 11 वीं में पढ़ती थी तब उसके घर के पास फौजियों का एक कैम्प लगा था। उनमें से एक फौजी, जिसकी उम्र उस समय 27 साल करीब थी , ने रानी का पीछा करना शुरू किया। रानी उस समय 16-17 साल की थी। उस फौजी ने रानी से शादी करने की बात कही। रानी ने मना किया। उसने जिद की और पीछा करता रहा। फौजी ने एक दिन रास्ते में रानी का हाथ पकड़कर बदतमीजी की। रानी ने उसको थप्पड़ मार दिया। इस पर उस फौजी ने रानी के चेहरे, शरीर पर तेज़ाब फेंक दिया।
तेजाब के हमले से रानी 1 महीने कोमा में रही, 9 महीने आई सी यू में रही। घर में पिता थे नहीं। बहुत पहले उनका निधन हो चूका था। माँ और दो बहने (एक बड़ी एक छोटी) और हैं। आँख भी चली गयी इस बर्बर तेजाबी हमले में। घर के लोग अपनी आँख देने को तैयार थे लेकिन जिस तरह नुकसान हुआ है आँख का उसमें किसी दूसरे की आँख नहीं लग सकती।
घर के लोग सहयोग में असमर्थ हो गए पर रानी बेस्ट फ्रेंड ने उसको सहयोग किया और अब यहां शीरोज हंट में रानी अपनी माँ के साथ रहती है। माँ कैफे की किचन स्टाफ हैं।
रानी की पढाई छूट गयी। पर वह अब पढ़ना चाहती है। आई.ए. एस. बनना चाहती है। अपनी जैसी तमाम लोगों का हौसला बढाना चाहती है।
जिस फौजी ने रानी पर तेजाब फेंका था रानी उसको सजा दिलवाना चाहती है। अभी तक केस नहीँ हुआ उस पर। वह घर वालों को हमेशा धमकाता रहता था। घर वाले डर और सामान्य हैसियत के चलते चुप रहे। लेकिन रानी उसको सजा दिलवाने के लिए संकल्पित है।
रानी को कहानी सुनने का शौक है। बातें करने का और गाने सुनने का भी। 'रानी डांस भी बहुत अच्छा करती है' - भूपेंद्र जी ने बताया।
खट्टी चीजें खाने में ज्यादा अच्छी लगती हैं रानी को। हमने कहा तुमको एक दिन पानी के बताशे खिलायेंगे। इस पर उसने कहा -'हमको अकेले नहीँ , हमारी सब दोस्तों को खिलाइयेगा।' हमने कहा - 'पक्का।'
रानी की आँखों में रौशनी अभी नहीं है। पर उसके लिए कोशिश चल रही है। जिस दिन हमारी किताब का विमोचन होना था उस दिन रानी को चेन्नई जाना था शंकर नेत्रालय में आँख की जांच और इलाज के लिए। कार्यक्रम में न रहने का अफ़सोस प्रकट किया रानी ने। हमने कहा कोई नहीं -'तुम लौट के आओगी तब फिर करेंगे विमोचन।' इस पर वह हंसी और बोली--'आप मुझे फोन पर विमोचन की खबर बताना।'
अगले दिन विमोचन के समय हमने फोन किया तब रानी ट्रेन में थी और उस समय की सब खबरें उसने पूछी और शुभकामनाएं दीं।
रानी ने फोन नम्बर देने के बाद उत्साह से बताया मोबाईल में सबसे फास्ट मेसेज वो करती है। उससे तेज कोई मेसेज नहीं कर पाता। हाथ कुर्सी के पीछे ले जाकर बताया कि मैं ऐसे भी करती हूँ तब भी सबसे तेज मेसेज करती हूँ।
स्कूटी में बैठे हुये फ़ोटो देखकर मैंने पूछा -’तुम स्कूटी चला लेती हो?’
’ हां मैं जब कटक से आई थी तो 47 किलोमीटर तक चलाकर लाई थी स्कूटी मेरा फ़्रेन्ड मुझे बताता जा रहा था बस। मैं चलाती जा रही थी।’- रानी ने बताया।
जिस लड़की को आँख से दिखता न हो उसके लिए क्या कुर्सी के आगे और क्या पीछे। लेकिन कुर्सी के पीछे से भी सबसे तेज मेसेजिंग की बात कहना इस बात की तरफ इशारा है कि कभी उसकी आँखे थीं जब पीछे हाथ करके मोबाईल ने लिखना कठिन लगता होगा। जिसको एक विक्षिप्त मर्द की बर्बर हरकत ने आसान सा बना दिया।
रानी का फेसबुक खाता भी है। उसका खाता उसका एक मुंहबोला भाई चलाता है। रानी के फेसबुक खाता उसका एक मुंहबोला भाई देखता है लेकिन उसकी वाल पर स्टेटस का हौसला रानी का अपना है।
एक लड़की जिसकी आँख 17 की उम्र में चली गयी हो, जिसका शरीर तेज़ाब में झुलस गया हो जिस हौसले से और विश्वास से बात कर रही थी उसे देख ताज्जुब हुआ। लग रहा था कि वह हमारा हौसला बढ़ा रही हो। महादेवी वर्मा जी कि कविता पंक्ति को साकार जैसा करती हुई
अन्य होंगे चरण हारे
और हैं जो लौटते, दे शूल को संकल्प सारे
और हैं जो लौटते, दे शूल को संकल्प सारे
शीरोज की परिकल्पना से जुड़े लक्ष्मी और आलोक दीक्षित को रोल माडल मानती है रानी। उनसे उसको जीने का और आगे बढ़ने का हौसला मिला है। लेकिन हमें तो रानी के हौसले से प्रेरणा मिल रही थी।
अभी चेन्नई में है रानी। आँख की जाँच जारी है। उम्मीद है कि कोई रास्ता मिलेगा कि उसको फिर से दिखना शुरू होगा।
Rani Rituparna Saa, Sheroes Hangout, Kanchan Singh Chouhan, Nirupma Ashok
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