Monday, May 01, 2017

कट्टा कानपुरी

ठोंक दिया सरेआम, फिर गुदगुदा दिया अकेले में,
बोले-तुम्हारे तो बड़े ऐश हैं, यार इस तबेले में।
दुनिया के मजदूरों एक हो, एक साथ शोषण होगा,
मजा नहीं आता यार, लोग झेलें अकेले,अकेले में।
दुनिया भाग रही है, हड़बड़ाती सी आँख मूंदे हुए
लोग ठेले चले जा रहे हैं, एक दूजे को जैसे मेले में।
अबे अब्बी तक एक नहीं हुये, सुबह हुई कब की
फौरन उठ ,इंकलाब बोल, और ये झंडा भी ले ले।
-कट्टा कानपुरी

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