Monday, September 04, 2017

आलोक पुराणिक के पंच




आज फ़िर कुछ पंच आलोक पुराणिक के व्यंग्य संग्रह ’ मर्सीडीज घोड़े बनाम 800 सीसी घोड़े’
1. चैन स्नेचर युवकों, उचक्के युवकों के चारित्रिक पतन के लिए कोई पारिवारिक मजबूरी नहीं, गर्लफ्रेंड्स जिम्मेदार हैं।
2. सही ट्रांसफार्मरों में गूगल का इंटरेस्ट नहीं है। सही ट्रांसफार्मरों में बिजली विभाग के इंजीनियरों, अफसरों की दिलचस्पी भी नहीं और गूगल की भी नहीं। इस लिहाज उखर्रा के बिजली विभाग वाले और गूगल वाले एक सा सोचते हैं। ग्लोबल फिनामिना इसे ही कहते हैं।
3. पहले पुरानी हिंदी फिल्मों में विनम्रता, सौम्यता की प्रतिमूर्ति निरुपा राय की तरह बात करती थीं, अब एक झटके में राखी सावंत टाइप अंदाज में निपटाने का अंदाज होता है। गूगल यह भी नहीं बताता कि पुराने से अंदाज में बात करने वाली सुंदरियां कहां मिलेंगी।
4. गूगल पर काफी जानकारियां हैं, पर काम की जानकारियां कम हैं। गूगल से निवेदन है कि कुछ काम की जानकारियां उपलब्ध कराये। जैसे ऐसे टीचर कहां मिलेंगे जो बगैर ट्यूशन के पढ़ाते हों। ऐसे क्रिकेटर कहां मिलेंगे, जो सिर्फ और सिर्फ क्रिकेट में मन लगाते हों।
5. 1947 के बाद से पैदा हुए भारतीयों ने सालों साल से एक खबर लगातार देखी है कि भारत और पाकिस्तान में वार्ता का दौर चालू है। सरकार ठप हो जाती हैं, पर दौर ठप नहीं होता। मसले जैसे के तैसे रखे रहते हैं। पर इधऱ वाले उधर जाते रहते हैं, उधर वाले इधर खाते रहते हैं। पता नहीं क्या बातें होती हैं।
6. जिस व्यक्ति को मोबाइल के संबंध में आवश्यक जानकारियां ना हों, उसे मोबाइल निरक्षर माना जाना चाहिए।
7. विवेकानंद कौन थे, इस बात की जानकारी युवा पीढ़ी को भले ही ना हो, बारह मेगा पिक्सल कैमरे का मतलब क्या है, यह वह जरुर जानती है। यह ज्ञान और साक्षरता के नये लेवल हैं।
8. पानीपत की तीसरी जंग किन किन पार्टियों के बीच हुई थी, यह सवाल नयी पीढ़ी के कई नौजवानों के लिए अप्रासंगिक है। प्रासंगिक सवाल यह है कि टाप टेलीकाम प्लेयरों के बीच जो जंग चल रही है, उसमें से कौन कौन से नये आफर निकल कर आ रहे हैं।
9. कई बुजुर्ग परस्पर ये सवाल पूछते हुए पाये जाते हैं कि वैसी वाली बैबसाइटों को देखा था, अब उनकी हिस्ट्री मोबाइल रिकार्ड में दर्ज हो गयी है। वैबसाइट्स तो अच्छी थीं, पर उनकी हिस्ट्री का दर्ज होना ठीक नहीं है। इस हिस्ट्री को कैसे मिटाया जाये।
10. एक शहर में एक सड़क उन पार्षद के नाम है, जो उस शहर में नगरमहापालिका के मेयर थे और अपने मेयर काल में करीब सत्तावन करोड़ का घपला किया। उनके चेले चांटे आज भी हर साल उनकी पुण्यतिथि पर बताते हैं कि नौजवानों को पार्षदजी के बताये हुए रास्ते पर चलना चाहिए।
11. दिल्ली में बहादुरशाह जफर मार्ग जितना लंबा है, उसकी एक दहाई जगह भी अगर बहादुर शाह को दिल्ली में नसीब हो गयी होती, तो फिर उन्हे रंगून में बुरा वक्त ना काटना पड़ता।
12. बड़े बड़े दुश्मनों को पछाड़ने वाला स्पाइरमैन अपनी कंपनी को, खुद बिकने से नहीं रोक पाया, काहे का हीरोजी। मंदी विकट दुश्मन है,स्पाइडरमैन का बूता नहीं है, उससे लड़ने का।
13. मंदी अच्छे अच्छों से उठाईगिरी भी करवा देती है।
14. पुराने टाइप की सुंदरियां बहुतै सीधी हुआ करती थीं। बाइक कार की जिद नहीं करती थीं। तांगे और रिक्शे पर भी चल निकलती थीं। पर नयी चाल की हीरोइनें रिक्शे और तांगे वाले की तरफ देखती भी नहीं हैं।
15. कंपलसरी झूठ बोलना हर हजबैंड के लिए जरुरी होगा। मतलब यह होगा कि हर हजबैंड कहेगा कि वह खाना बनाने जा रहा है, पर वह नहाने चला जायेगा।
16. अभी कुछ हजबैंडों को बतौर माडल बनाकर साफ्टवेयर बनाने का काम हो रहा है। कोई भी पत्नी नहीं चाहती कि उसका हजबैंड बिल क्लिंटन जैसा हो। उधर हर रीयल हजबैंड दिल में बिल क्लिंटन बनने का अरमान लिये घूम रहा है। कोई कंप्यूटरी हजबैंड अगर कभी क्लिंटन जैसा बन गया, तो उसका इलाज यह होगा कि उसके दिमाग में किसी बाबा का साफ्टवेयर डाल दिया जायेगा, तब वह सिर्फ ब्रह्मचर्य का महत्व बताने लगेगा।
17. योग और मार्निंग वाक से बंदा साठ सालों के बजाय पिच्चासी साल जीता है। इससे तरह तरह की समस्याएं पैदा होती हैं। जैसे पिच्चासी साल के बुजर्ग बताते हैं कि उन्होने पाँच रुपये किलो के हिसाब से असली घी खरीदा है। और एक रुपये के पच्चीस किलो बासमती चावल खरीदे हैं। दिलीप कुमार की फिल्मों का टिकट दो रुपये पच्चीस पैसे में मिलता था। सोना सौ रुपये का एक किलो मिलता था। अब ये सब सुनकर 85 वर्षीय बुजुर्ग पर गुस्सा आता है कि भईया सोना सौ रुपये किलो मिल रहा था, तो काहे नहीं खरीद लिए एकाध कुंतल। अब हम परेशान हुए घूम रहे हैं 30,000 रुपये में दस ग्राम भी नहीं आ रहा है। सिर्फ बताने भर के हैं बुजुर्ग हैं कि सौ रुपये किलो सोना था और सौ रुपये कुंतल चाँदी मिलती थी। इससे नयी पीढ़ी में बुजुर्गों के प्रति, पुरानी पीढ़ी के प्रति आक्रोश पनपता है।
18. सुबह चार बजे बुजुर्गवार उठते हैं, तो नयी पीढ़ी के उन नौजवानों को बहुत तकलीफ होती है, जो देर रात तक तरह तरह की वैबसाइटों पर भ्रमण करके सोते हैं। रात को तीन बजे नयी पीढ़ी सोती है और सुबह चार बजे दादाजी खटपट शुरु कर देते हैं कि चलो घूमने।
19. योग मार्निंग वाक से साठ के बजाय पिच्चासी साल अगर जी भी जाये, तो क्या यह देखने कि आईटीओ दिल्ली पर ट्रेफिक जाम इतना हो गया है कि लोग मंडे की नौकरी के लिए शनिवार रात को निकलते हैं, फिर भी आईटोओ में फंस जाते हैं। या इसलिए कि वह देखे आलू 5000 रुपये के दस ग्राम मिल रहे हैं। उसके बचपन में जो टमाटर खाने के काम आता था, उसके पिच्चासी सालों की उम्र तक पहुंचने पर वह टमाटर 10,000 रुपये में सिर्फ दस ग्राम मिलने लगा। ऐसे दुखद सीन देखने को बंदा जीवित ही क्यों रहे।
20. मुझे एक साथ हनुमान भक्त समूह और मल्लिकाजी के समूह से जोड़ दिया गया। बाद में मुझे पता लगा कि मैं दोनों समूहों में हूं। और मेरा आचरण यथोचित होना चाहिए।
21. पेपर के लीक होने का भारतीय शिक्षा पद्धति में बहुत महत्व है।
22. जिन नलों में पानी रेगुलर आना चाहिए, वहां महीनों महीनों पानी जरा सा भी लीक नहीं होता। पर पेपर धड़ाधड़ लीक हुए चले जाते है। इंजीनियरिंग के, डाक्टरी के, अफसरी के पेपर लीक हो जाते हैं।
23. सांप्रदायिक सौहार्द्र बढ़ाने के लिए पेपर लीकीकरण को प्रोत्साहन देना चाहिए। इस तरह की स्कीम बनायी जानी चाहिए, कि हिंदू मुसलिम सिख ईसाई सब मिलकर सामूहिक तौर पर पेपर खऱीदें। इस तरह से सांप्रदायिक सौहार्द्र की भावना प्रगाढ़ होती है।

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