नानी के साथ कमलेश पाण्डेय, आलोक पुराणिक और अनूप शुक्ल — Kamlesh Pandey के साथ. |
सबेरे कमरे से निकलते ही ओला खरीद लिए। ठहराव स्थल से भोपाल ताल तक के 155/- रुपये धरा लिए अगले ने। बैठते ही अपन ने पूछा तो ड्राइवर बाबू बोले -'रात भर चलाई है टैक्सी। नींद आ रही है।'
अपन ने कहा -'भाई नींद आ रही हो तो तुम पीछे आ जाओ। हम चला लेंगे।' लेकिन उसको हमारी ड्राइविंग पर भरोसा नहीं था शायद। हम अपनी जान और मोबाइल हथेली में लिए चुपचाप बैठ गए। हमारे चेहरे पर हवाइयों और सुबह की खूबसूरती की सम्मिलित हवा उड़ती देख सूरज भी इतनी तेज मुस्कराये कि सुबह और चमकदार हो गयी।
चलते हुये कमलेश पांडेय को मोबाइलियाये। सो रहे थे। आवाज सुनकर लगा नींद के साथ अंतरंग मुद्रा में हैं। हमने उनको भोपाल ताल पर ही बुलाया।
आलोक पुराणिक के साथ भोपाल ताल किनारे टहलते हुए जायजा लेते रहे। राजा भोज की मूर्ति पर कबूतर कबड्डी और छुआछुओव्वल खेल रहे थे। राजा भोज तलवार नीची किये चुपचाप अपने सर पर उड़ते कबूतरों को देखते रहे।
इस बीच कमलेश जी का फोन आया। हम लोग एक दूसरे को बहुत देर तक खोजते रहे। इस बीच बेग साहब से मुलाकात हुई। उनका किस्सा अलग से।
कमलेश जी ने इस बीच बताया कि वो नानी की दुकान वाली जगह पर खड़े हैं। दुकान बन्द है। हमें लगा दुकान बंद हो गयी। उजड़ गयी होगी। दुख हुआ। बाद में पता चला कि नानी की दुकान बंद नहीं हुई थी, बल्कि अभी खुली नहीं थी।
राजा भोज सेतु पर करते हुए भोपाल के मूल निवासी RD Saxena जी का फोन नम्बर आया। हमने मिला दिया। पता लगा वो अभी शहर से बाहर हैं। बाहर रहते हुए भी हम पर निगाह रखे हुए थे। बात करते हुए बताया -'आलोक पुराणिक हमारे लिए द्रोणाचार्य सरीखे हैं।' हमे लगाया अब आलोक पुराणिक के खिलाफ अंगूठा कटवाने की रिपोर्ट होने ही वाली है। लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं। हमारे साथ होने का फायदा मिला आलोक पुराणिक जी को। बच गए।
आगे नानी की दुकान पर कमलेश जी मिले। आज उनके बच्चे का पच्चीसवां जन्मदिन है। नानी की चाय पीते हुए जन्मदिन की शुभकामनाएं दी गयी बच्चे को। नानी के साथ पुरानी यादें ताजा हुई। नानी। ने चाय पिलाई। पीते ही दूसरी की फरमाइश हो गयी आलोक पुराणिक की। हमने नानी से कहा -'तुम भी पियो हमारे साथ चाय।' नानी बोली हम बिना चीनी की पियेंगे।
हमने पूछा -'पिछले साल तो नहीं थी यह समस्या।' बोली -'इस बीच तबियत खराब रही। इस लिए चीनी छोड़नी पड़ी।'
चाय पीते हुए पोहा की तैयारी भी होती रही। हमने नानी को बताया कि उनसे पिछले साल मुलाकात पर पोस्ट लिखी थी। उसी पोस्ट को पढ़कर Alok Nigam ने नानी से मिलने की बात याद दिलाई। नानी को पिछले साल लिखी पोस्ट भी पढ़ाई। मुस्कराते हुए पढ़ते हुए नानी भावुक सी हो गयीं। हमने देखा कि उनके पति के न रहने का जिक्र था उस जगह जहां वे रुक गयीं थीं। आगे उनके जज्बे की तारीफ थी। उसे पढ़कर फिर चमक गयीं नानी।
कहने लगीं -'इंसान को हौसला नहीं हारना चाहिए। मेहनत और ईमानदारी से काम करना चाहिए।'
कहने लगीं -'इंसान को हौसला नहीं हारना चाहिए। मेहनत और ईमानदारी से काम करना चाहिए।'
नानी से बात करते हुए यह बात तय हुई कि महिलाओं में विपरीत परिस्थितयों को झेलते हुए हौसला रखने का अद्भुत साहस होता है।
उनके फोन नबंर की बात हुई। बताया नम्बर तो वही है लेकिन फोन नया लेना है। गल्ला काटने वाली नातिन रोशनी पढ़ने गयी है। आज छोटी बहन रश्मि थी दुकान पर।
इस बीच पोहा आ गया। खाते ही आलोक जी बोले 👌। एक और खाएंगे। खिलाया गया। नानी ने पूछा -'पिछले साल के मुकाबले कैसा बना है पोहा ? ' हमने बताया -' बेहतरीन।' नानी खिल गयीं।
चलते समय हिसाब हुआ। 9 चाय, 6 पोहे के 120 रुपये हुए। 200 रुपये नानी को। नानी पैसे वापस करने लगीं। इस पर उनको 20 रूपये और दिए गए -'कम्पट, चॉकलेट खाने के।' इस पर नानी हंसने लगी।
नानी से मिलकर लगा किसी बेहद अपने से बहुत दिन बाद मिले हैं। इंसानियत का रिश्ता , बेहद अपनापे का।
लौटते हुए ओला घड़ी ने बताया 135 रुपया। ऑटो वाले को भी रोक लिया था इस बीच। उसने 150 रूपये मांगे। हमने बताया ओला वाला 135 मांग रहा है। ओला वाला बोला -'वो डीजल से चलती है।' आलोक पुराणिक ने अर्थशास्त्र फैलाया कहते हुए -'डीजल विजल की बात नहीं। जो हमें सस्ते में और आराम से ले जाएगा। हम उससे जाएंगे।'
अगले ने आलोक जी के अर्थशास्त्र के पेंच यह कहते हुए काट दिए -'हम आपको ताजी हवा भी तो खिलाएंगे।' इस डायलॉग के पंच से हम उबरे भी नहीं थे कि उसने उलाहना देते हुए जो कहा उसका लब्बो लुआब यह समझिए -'ऑटो वाले से मोलभाव करते शर्म नहीं आती।'
हम चुपचाप सर झुकाकर ऑटो में घुस गए। सर उठाने से ऑटो की रेलिंग लगने का खतरा था।
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