प्रश्न: पंडित सुभाष और नेहरू में क्या मतभेद थे?
कटनी से सुभाष आहूजा देशबन्दु अखबार दिनांक १२.१०.१९८६
उत्तर: पंडित नेहरू और सुभाष बोस दोनों का विश्वास समाजवाद में था। पर नेहरू गांधीजी के तथा उनकी नीतियों के अधिक निकट थे। हालांकि उनके गांधीजी से उजागर मतभेद भी थे।सुभाष बोस गांधीजी के प्रति श्रद्धा रखते थे , पर उनके विचारों से बहुत हद तक सहमत नहीं थे। खासकर साध्य और साधन की पवित्रता के मामले में। गांधीजी ने अहिंसा को धर्म माना था पर बोस उसे केवल एक रणनीति मानते थे, वे हिंसा का प्रयोग अनुचित नहीं मानते थे। दक्षिणपन्थी चेले राजेन्द्र प्रसाद, वल्लभ भाई पटेल आदि सुभाष बोस के खिलाफ़ थे।
सुभाष बोस नेहरू का समर्थन चाहते थे। उनका मानना था कि पंडित नेहरू भी समाजवाद चाहते हैं और दक्षिणपन्थी उनके भी खिलाफ़ हैं। दोनों मिलकर कान्ग्रेस को वामपन्थी दिशा देंगे- ऐसा सुभाष बोस का विश्वास था। पर जब त्रिपुरी में गोविन्द वल्लभ पन्त यह प्रस्ताव लाये कि सुभाष बोस कार्यकारिणी समिति गांधीजी की सलाह से बनायें, नेहरू ने इसका विरोध नहीं किया। सुभाष बोस का साथ नहीं दिया। नेहरू और सुभाष बोस का पत्र व्यवहार नेहरू के पत्रों के संग्रह ’ए बन्च ऑफ़ ओल्ड लेटर्स’ में छपा है। पंडित नेहरू ने सुभाष को लिखा था कि संगठन जिस प्रकृति का है, उसमें इस तरह सीधा विभाजन करने से कांग्रेस टूट जायेगी। इसलिये फ़िलहाल समझौता करना जरूरी है। दूसरे अंतर्राष्ट्रीय राजनीति को लेकर दोनों में मतभेद थे। मैंने यह पत्रव्यवहार पढा है। मेरा निष्कर्ष है कि नेहरू की राजनीतिक सूझ-बूझ सुभाष से अधिक परिपक्व तथा सही थी।
-परसाई
-राजकमल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक -’पूछो परसाई से’ से।
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