Saturday, September 05, 2020

परसाई के पंच-27

 1. चरित्रवान और चरित्रहीन में कुल इतना फ़र्क होता- एक पकड़ा नहीं जाता और दूसरा पकड़ा जाता है। जिसकी दबी है वह चरित्रवान और जिसकी खुल गयी वह चरित्रहीन।

2. निराशा की नैतिकता भी स्थाई नहीं होती।
3. इमर्जेन्सी के दौरान भी, और अब भी, मन्त्री को देखते ही विद्वान ’इमर्जेन्सी’ की बात करने लगते हैं। तब उसके समर्थन में बोलते थे, अब विरोध में बोलते हैं।
4. एक बेचारी मामूली क्रांतिकारी होता है, जो क्षेत्र में काम करता है। भूखा रहता है। रोटी और प्याज झोले में लेकर चलता है, पिटता है, जेल जाता है। यह मामूली क्रांतिकारी है। एक अतिक्रांतिकारी होता है, विशिष्ट। यह दिन में दाढी ’ट्रिन’ कराता है, काफ़ी हाउस में बैठकर कॉफ़ी पीता है, बिटर कॉफ़ी। क्रांति एक कड़वी चीज है। कॉफ़ी में शक्कर डली हुई आयी हो, तो चम्मच से उसे निकालकर टेबिल पर डाल देता है, जिस पर मक्खियां भिनकती हैं। सिगरेट को क्रोध में मरोड़कर बुझाता है, जैसे बुर्जुआ का गला घोंट रहा हो। दिन में यह क्रांतिकारी मार्क्स, लेनिन, माओ के जुमले याद करता है, रात को दोस्तों के साथ शराब पीता है और क्रांतिकारी जुमले दुहराता है। फ़िर मुर्गा इस तरह खाता है, जैसे पूंजीवाद को चीथ रहा हो।
5. क्रांति के लिये हमेशा दूसरे के बाप की तलाश करनी चाहिये। अपने बाप को खून चूसने की सुविधा दी जाती है क्रांति में। उस खून का एक हिस्सा क्रांतिकारी बेटा भी पीकर सर्वहारा का नेतृत्व करने बढ जाता है।
6. जवानी में जैसे अच्छे कपड़े, अच्छे जूते, अच्छी टाई का शौक होता है, वैसे ही सम्पन्न घरों के कुछ युवकों को क्रांति का शौक हो जाता है। क्रांतिकारिता को वे एक और अच्छा सूट, एक और अच्छी टाई, एक और अच्छा जूता समझते हैं। इससे शोभा बढती है, प्रतिष्ठा बढती है।
7. मैं कुछ क्रांतिकारियों को जानता हूं जिनकी बाकी जिन्दगी इस प्रचार को धोने में गुजरती है कि वे कम्युनिस्ट थे। क्रांतिकारिता , जिसे उन्होंने कभी द्वार पर रंगोली की तरह सजाया था, अब पांवों में कांटे की तरह चुभती है। उसे वे नष्ट कर देना चाहते हैं।
8. क्रांतिकारिता के पानी में जो मछली ज्यादा उछलती और उतराती है उसे अमेरिकी बगुला उतनी ही फ़ुर्ती से पकड़ता है।
9. अमेरिकी अस्मिता उस औरत की तरह है, जिसकी तरफ़ देखने से ही उसका सतीत्व भंग हो जाता है।
10. मजहबी उन्माद की पूंजीवाद से ही पटती है।
11. तनाव से डर पैदा किया जाता है। डर से हथियार की बिक्री होती है।

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