Friday, September 11, 2020

परसाई के पंच- 32

 1. राजनैतिक मुख्य धारा वह है, जिसमें चाहे मैला उतराता हो,पर जिसमें बहने से सत्ता के द्वीप पर पहुंचा जा सकता है।

2. अज्ञानता राजनेता की शोभा है।
3. जो शासक जितना अधिक भ्रष्टाचारी हो, उसे प्रजा को सदाचारी बनाने का उसी अनुपात में प्रयत्न करना चाहिये।
4. जब सत्ताधारी और नेता तथा सारे बड़े लोग जानते हैं, मानते हैं और जिनके पास जीवन से प्रमाणित यह सत्य है कि दुराचरण से ही सुख, सफ़लता और सम्पत्ति मिलते हैं तो सदाचार सिखाकर इन छात्रों की जिन्दगी क्यों बरबाद करने पर तुले हैं?
5. औरत साथ होने से डाकू गिरोह रूमानी हो जाता है।
6. भारतीय कवि अपने स्वार्थ और दूसरे के नुकसान साधने में काइयां है मगर बाकी मामलों में निपट बोदा है, भोंदू है। वह साम्प्रदायिक और संकीर्ण भी है।
7. जो बार-बार डराये , धमकाये कि हाथ-पांव तोड़ दूंगा, जान ले लूंगा , वह भीतर से वास्तविक रूप से कायर होता है। गली के दुमदबाऊ कुत्ते भौंकरे रहते हैं, काटते नहीं।
8. एकाध सुन्दरी युवती पतिव्रता पार्टी के लिये ताकत होती है।
9. इस देश में यह रस्म पड़ गयी है कि जो क्रांति की जितनी ज्यादा बात करता है, वह उतने ही जोर से वास्तविक क्रांति को रोकना चाहता है।
10. तमाम झूठे विश्वासों, मिथ्याचारों, कर्मकाण्डों, तर्कहीन धारणाओं, पाखण्डों को कण्ठ में अंगुली डाल-डालकर और पानी भरकर उल्टी करानी पड़ती है, तब धर्म की अफ़ीम का नशा उतरता है। अगर यह न किया जाये तो आदमी जहर से मर जाता है।
11. नशे को एक के बाद एक ’किक’ चाहिये वरना नशे का चढाव उतर जाता है।

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