1. अनाज की दुकानों के सामने थैला हाथ में लिये कतार में खड़ा आदमी सूख रहा है। जब तक उसका नम्बर आता है, दाम बढ जाते हैं और घर से लाये पैसे कम पड़ जाते हैं।
2. भुखमरी से हममें अन्तर्राष्टीय चेतना आ गयी। अगर अकाल पड़ जाय, तो हर भारतीय अपने को विश्व-मानव समझने लगेगा।
3. कोई ऋषि मोटा नहीं हुआ। वे सब सूखे और क्रोधी होते थे। कोई उनके चरण न छुये तो उसे शाप देकर बन्दर बना देते थे।
4. एक और तरह की सर्जरी है, जिसमें बिना चाकू के पेट काटा जा सकता है। वर्तमान सभ्यता में इस रक्तहीन सर्जरी ने काफ़ी उन्नति की है। जो दस-पांच के पेट काट सके उसका पेट बड़ा हो जाता है। वे सारे पेट उनके पेट से चिपक जाते हैं।
5. जिनकी तोंदे इन 17 सालों में बढी हैं, जिनके चेहरे सुर्ख हुये हैं, जिनके शरीर पर मांस आया है, जिनकी चर्बी बढी है, उनके भोजन का एक प्रयोगशाला में विष्लेषण करने पर पता चलता है कि वे अनाज नहीं खाते थे; चन्दा, घूस, काला पैसा, दूसरे की मेहनत का पैसा या पराया धन खाते थे। इसलिये जब कोई मोटा होता दिखता है तो सवाल उठते हैं। कोई विश्वास नहीं करता कि आदमी अपनी मेहनत से ईमान का पैसा कमाकर भी मोटा हो सकता है।
6. पापड़ का जिसने भी आविष्कार किया है, कमाल किया है। यह भोजन में शामिल है भी और नहीं भी। इसे चुगते हुये बड़े-से- बड़े पेटू का साथ दिया जा सकता है। खाने के सिवा यह मुहावरे बनाने के काम भी आता है, जैसे पापड़ बेलना और पापड़ तोड़ना। एम.एल.ए. बनने के लिये बड़े पापड़ बेलने पड़ते हैं।
7. किसी भी दफ़्तर में ’लंच’ के बाद ऊंघनेवाली पलटन देखी जा सकती है। साहब के कमरे में तो आराम-कुर्सी खाकर सोने के लिये ही होती है। 1 बजे से 3 बजे तक तो सारा राष्ट्र ऊंघता है।
8. पीड़ा के गवाह न हों तो वह बेमजा हो जाती है। बहुत तरह की पीड़ायें गवाह देखकर पैदा हो जाती हैं। जैसे कुछ स्त्रियों के पति के घर आते ही सिर दर्द होने लगता है।
9. खूबसूरत चिकने पत्थर बड़े खतरनाक होते हैं। इस पर पहले तो सिर्फ़ फ़िसलने का डर था। मेरे देखते ही बहुत लोग चिकने पत्थरों को कुचलने का हौसला लेकर गये और फ़िसलकर ऐसे गिरे कि अभी तक उनका सिर पत्थर से चिपका है। अब तो वे इसे नियति मानते हैं और उठने की कोशिश को बेवकूफ़ी समझते हैं।
10. अच्छे घाव से बड़े काम होते हैं। उससे रूठी हुई प्रेमिका लौट आती है। प्रेम की परीक्षा भी हो जाती है। कहते हैं, कृष्ण की अंगुली कट गयी थी, तो राधा ने फ़ौरन साड़ी फ़ाड़कर पट्टी बांध दी। दूसरी गोपियां साड़ी के मोह में हार गयीं।
11. घाव सर पर हो और पगड़ी की तरह पट्टी बंधी हो, तो लोग आधा घण्टा हाल पूछता हैं। हाथ में चोट हो और हाथ ’स्लिंग’ से लटका हो तो आदमी कितना अच्छा लगता है। ये इज्जतदार घाव हैं। घाव को दुकान के साइनबोर्ड की तरह होना चाहिये। सामने टंगा हो और रंग-बिरंगे बल्ब लगे हों। जो अपना साइनबोर्ड अलमारी में रखता है, उसकी दुकान बरबाद न होगी?
No comments:
Post a Comment