बरामदे में बैठे चाय पी रहे थे। सुबह-सुबह। मन किया सेल्फ़िया के फेसबुकिया दें -'टी चैलेंज।' राजभाषा महीने का ख्याल आया तो 'टी चैलेंज' को 'चाय चुनौती' कर दिया। 'चाय चुनौती' में विदेशी भाषा के शब्दों का देशीकरण भी हो गया। 'राजभाषा' माह के साथ-साथ 'आत्मनिर्भर भारत' का भी निर्वाह हो गया।
'चाय-चुनौती' में अनुप्रास की छटा भी दर्शनीय बन पड़ी है। 'बन पड़ी है' आलोचना घराने की जुमलेबाजी है।' बन पड़ी है' मतलब बन के पड़ी है। पड़ी ही रहेगी। कोई उठाने न आएगा इसको। इसी तरह पड़े-पड़े सड़ जाएगी। कुकुरमुत्ते उगेंगे इस पर। वे भी सड़ जाएंगे। अब कोई उनके समर्थन में न कहने वाला -'अबे सुन बे गुलाब...।'
हां तो बात हो रही थी चैलेंज वाली। आजकल सोशल मीडिया पर चैलेंजों की भरमार हो रखी हैं। 'कपल चैलेंज', 'सिंगल चैलेंज' , 'पर्सनालिटी चैलेंज' , 'नो मेकअप चैलेंज' , 'साड़ी चैलेंज' और भी न जाने कैसे-कैसे चैलेंज। लोग चैलेंज स्वीकार कर रहे हैं। बहादुर भी बन रहे हैं। बिना किसी खतरे के किये जाने वाले काम का चैलेंज को स्वीकार करने का रोमांच ही अलग होता है।
ई फोटोबाजी वाले चैलेंज की कड़ी में क्या पता कल को 'दिगम्बर चैलेंज' चला दे। कोई किसी कचहरी का बाबू या आरटीओ दफ्तर का सेवा प्रदाता 'सुविधा शुल्क चैलेंज' की शुरुआत कर दे। कोई मतदाता चुनाव के समय वोट के लिए 'वोटर दारू चैलेंज' की शुरआत कर दे।
ये अब चैलेंज तो जब होंगे तब देखेंगे अभी सामने के चैलेंज देखे जाएं। बरामदे में कुछ चिड़ियां फुदक रही हैं। फुदक-फुदककर फर्श से कुछ उठाकर चोंच में रखती जा रही हैं। फुदकते हुए खाने से लगता है कि जितना खा रही हैं उतना वर्कआउट करते हुए पचाती भी जा रही हैं।
सामने चिड़ियों का एक जोड़ा बिना मास्क लगाए , बिना सोशल डिस्टेनसिंग की परवाह किये सटा हुआ है। उसकी हरकतों से लग रहा है कि यह भी' कपल चैलेंज ' के लिए फ़ोटोबाजी कर रहा है। फोटो खिंचाकर फेसबुक पर डालेगा।
चिड़ियों का जोड़ा तरह-तरह के पोज बना रहा है। अपनी चोंच से पीठ खुजाते-खुजाते दोनों एक-दूसरे की पीठ खुजाने लगे। कुछ देर में एक चिड़िया छिटककर दूर खड़ी हो गयी। क्या पता उसने दूसरी से कहा भी हो -'क्या करते हो, हटो कोई देख लेगा।'
इसके बाद दूसरे चिड़िया ने , शायद वह चिड़ा रहा हो, अपने पंख फुला लिए। चिड़े के पंख फुलाने का अन्दाज शोहदों के मसल्स फुलाने वाले अंदाज की बेहतर नकल थी। चिड़िया ने फूले हुए पंख के अंदर अपने सर छिपा लिया जैसे सिनेमाओं में नायिकाएं, नायकों के सीने में सर छिपा लेती हैं। लगता है 'चिड़िया जोड़ा' हिंदी फिल्मों का प्रेमी है और सिनेमा हालों की झिर्रियों से मुफ्त फिल्मों देखता होगा। मुफ्त की चीजें ज्यादा मजा देती हैं।
इस चिड़िया के जोड़े से कुछ दूरी पर एक और चिड़िया खड़ी इनको ताक रही थी। शायद वह 'सिंगल चैलेंज' के लिए पोज दे रही हो। यह भी हो सकता है यह चिड़िया उस चिड़िया में से किसी एक की प्रेमी/प्रेमिका रही हो। मामला आगे बढ़ न पाया हो तो अलग हो गए हों। आज उनको 'कपल चलेंज' के लिए पोज देते देख सोच रहा हो। अब क्या सोच रहा हो यह आप अच्छे से समझ सकते हैं। हम क्या बताएं।
आज जब दुनिया में जिंदा रहना ही सबसे बड़ा चैलेंज है तो इस तरह के चैलेंज मन बदलाव के चोंचले हैं। ये वाले चैलेंज तो खूबसूरत भी लगते हैं। लेकिन अनगिनत ऐसे चैलेंज हैं तो फुल बेशर्मी से चल रहे हैं और हम उनको देखते हुए भी देख नहीं पा रहे। उन बेशर्म और बेहया और दिन पर दिन ताकतवर होते चैलजों के चलते आम आदमी के लिए अगली सांस लेना भी एक बड़ा चैलेंज है।
हर इंसान के अपने-अपने चैलेंज हैं। लोग अपने हिसाब से अपने चैलेंज चुन लेते हैं। जो नहीं चुन पाते उनपर बचे हुए चैलेंज थोप दिए जाते हैं। आम इंसान के पल्ले जिंदा रहने का पड़ा है।
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