आजकल टहलते हुए कदम घड़ी बांधे रहते है। घड़ी बताती है कि कितने कदम चल लिए। रोज का लक्ष्य दस हजार कदम का रहता है। अक्सर पूरा हो जाता है। कभी-कभी रह भी जाता है। बीच में तो 15 हजार तक भी गए कई दिन।
रामलीला मैदान में और आसपास लोग अपने-अपने हिसाब से कसरत कर रहे थे। एक आदमी चप्पू जैसा चलाते हुए हवा को आगे से खींचकर पीछे कर रहा था। एक भाई जी हाथ में पकड़ी ईंट को ऊपर नीचे कर रहे थे। लग रहा था खींचकर जमीन पर मारेंगे।
मार्निंग वाकर ग्रुप के सदस्य आने लगे थे। पता चला तीस-चालीस साल से चल रहा है ग्रुप। लोग रोज आते हैं , मिलते हैं, बातें साझा करते हैं। शहर का सूचना स्थल है मार्निंग वाकर ग्रुप वाली बेंच।
वहीं एक बेंच पर एक भाई जी कुछ स्केच बनाते दिखे। हम ठहरकर देखने लगे उनको। बतियाना शुरू किए। पता चला भाई जी हरफनमौला हैं। दिल्ली में काम करते हैं। लाकडाउन में काम कम हुआ तो शाहजहांपुर आ गए। यहां बच्चों को शतरंज सिखाते हैं। संगीत सिखाते हैं। और न जाने क्या-क्या सिखाते हैं।
शतरंज पर काफी बात हुई। बताया रियाज अहमद जी ने कि उन्होंने तमाम लोगों को शतरंज सिखाई। उनके सिखाये बच्चे चैम्पियन हैं। तमाम लोगों को शतरंज का बोर्ड और गोटियां दी हुई हैं। शहर में शतरंज और संगीत सिखाने के लिए कोचिंग भी देते हैं। मुफ्त में। पियानो भी सिखाते हैं। बताया कि सीखने वाले तीन-चार दिन में सीख जाते हैं। हमको लगा हम भी सीख लें। लेकिन लगने से क्या होता है।
शतरंज से जुड़ी कई बातें बताई रियाज जी ने। कम्प्यूटर भी सिखाता है लेकिन उससे लोग सालों तक नहीं सीख पाते। विश्वनाथन आनन्द की रेटिंग सबसे ज्यादा है। और भी तमाम जानकारियां।
अपनी छोटी बेटी मायरा को शतरंज सिखा रहे हैं रियाज। दो साल की है। उसको यूरोप ले जाएंगे कम्पटीशन में। चाहे जितना पैसा लगे। उसके नाम ही शतरंज अकादमी खोलेंगे। बड़े सपने हैं।
दिल्ली में लाकडाउन के चलते घर आये हैं रियाज। बताते हैं दिल्ली में जो लोअर 12 रुपये में सिला जाता है उसकी सिलाई यहां शाहजहांपुर में 25 रुपये है। वहां बाहर से आये लोग कम पैसे में सिलाई करते हैं।
पैसे की बात चली तो बताया जिंदगी जीने के लिए बहुत पैसे की दरकार नहीं होती। 29-30 हजार में आराम से काम चल जाता है। ज्यादा पैसा भी किसी न किसी बहाने निकल ही जाता है। लोगों की सहायता से जो दुआएं मिलती हैं, जो सुकून मिलता है वह असली कमाई है।
आज के आपाधापी वाले जमाने में सहायता, सुकून, दुआयें वाली बात दकियानूसी समझी जाती हैं। लेकिन आज भी ऐसे लोग हैं जो इस पर भरोसा करते हैं। दुनिया ऐसे ही लोगों से खूबसूरत बनी हुई है।
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