Tuesday, July 27, 2021

भय अफवाह से चलता है

 भय नहीं, भय अफवाह से चलता है, राजनीतिज्ञों का जीवन। राजनेता के लिए उगाया गया भय उसके चरित्र को चासनी देता है। उसमें चमक आती है। इस सारे प्रबन्ध के पीछे सुरक्षा से अधिक विज्ञापन का ध्यान रहता है। यह एक ऐसा ब्योरा है जो साधारण आदमी को अपनी ओर खींचता है। पंजों पर खड़े होकर , कामधाम छोड़कर रास्ते की बाड़ से गर्दन उचकाने का मौका देता है।

-धूमिल की डायरी से
12 जनवरी, 1970

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