फ़ुरसतिया
हम तो जबरिया लिखबे यार हमार कोई का करिहै
लेबल
अमेरिका यात्रा
(75)
अम्मा
(11)
आलोक पुराणिक
(13)
इंकब्लॉगिंग
(2)
कट्टा कानपुरी
(119)
कविता
(65)
कश्मीर
(40)
कानपुर
(305)
गुड मार्निंग
(44)
जबलपुर
(6)
जिज्ञासु यायावर
(17)
नेपाल
(8)
पंचबैंक
(179)
परसाई
(2)
परसाई जी
(129)
पाडकास्टिंग
(3)
पुलिया
(175)
पुस्तक समीक्षा
(4)
बस यूं ही
(276)
बातचीत
(27)
रोजनामचा
(896)
लेख
(36)
लेहलद्दाख़
(12)
वीडियो
(7)
व्यंग्य की जुगलबंदी
(35)
शरद जोशी
(22)
शाहजहाँ
(1)
शाहजहाँपुर
(141)
श्रीलाल शुक्ल
(3)
संस्मरण
(48)
सूरज भाई
(167)
हास्य/व्यंग्य
(399)
Friday, July 02, 2021
जहां-जहां उपस्थित हो तुम
जहां-जहां उपस्थित हो तुम ,
वहां-वहां बंजर कुछ नहीं रहना चाहिए ,
निराशा का कोई अंकुर फूटे,
तुम्हें ऐसा कुछ नहीं कहना चाहिए|
-भवानी प्रसाद मिश्र
https://www.facebook.com/anup.shukla.14/posts/10222610951595952
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment