'आखिरी झटके का लौंडा है इसीलिए फुर्तीला है।'
पुड़िया और चाय की संयुक्त गुमटी पर मसाले की पुड़िया लटकाते हुए बच्चे की तरफ इशारा करते करवाते हुए एक जन बोले। बच्चा इससे बेपरवाह मसाले की लटें बिजली की झालर की तरह लटकाता रहा।
'आखिरी झटके का लौंडा' किसी आदमी की आखिरी सन्तान होगी। पेटपोंछना बच्चे का पुल्लिंग शब्द युग्म है -'आखिरी झटके का लौंडा।'
खड़े होकर उनकी बातें सुनने के बाद फोटो खींचने लगे तो बच्चे ने मुंह छिपा लिया। एक बोला -'कल अखबार में छपेगी फोटो। बाल श्रम कानून के उल्लंघन की खबर के साथ।' साथ के लोग हंसने लगे। बच्चा भी मुस्कराया।
'अरे घर के काम करना बाल श्रम में थोड़ी आता है। बच्चा स्कूल जाता है। सुबह दुकान आ जाता। काम के बहाने कसरत हो जाती है।' -दूसरे ने बच्चे का वहां होना सही ठहराते हुए कहा।
भगौने में चाय बन रही थी। स्टोव के किनारे अर्धचन्द्राकार टीन की चाहरदीवारी सी उठी थी ताकि लपटें सामने न जाएं। चाय बनाता हुआ आदमी आग की लपटों और चाय की भाप से हाथ सेंक रहा था।
सड़क पार एक बालक अपनी दुकान के सामने का कूड़ा झाड़ू लगाते हुए आगे खिसका रहा था। अपनी दुकान के सामने की सफाई करते हुए पड़ोस गन्दा कर रहा था। इस मामले में उसकी हरकत विकसित देशों की तरह ही लगी जो अपना सारा कूड़ा करकट तीसरी दुनिया के देशों में ठेलती रहती हैं। हालांकि बालक इस मामले में उदार है कि वह बगल की दुकान वाले से अपने कूड़े की कीमत नहीं मांग रहा था। विकसित देश तो अपने कूड़े के ऊंचे दाम वसूल लेते हैं।
पास में स्कूल जाती दो बच्चियां दिखीं। एक की सायकिल की चेन उतर गयी थी। उसको दुकान वाला चढ़ा रहा था। बच्चियां चेन चढ़ने का इंतजार करते हुए अपनी सहेलियों के बारे में बतिया रहीं थीं।
चौराहे पर दो बाइक और एक स्कूटी पर कुछ बच्चे दिखे। सब बिना हेलमेट के। बच्चे किसी का इंतजार करते हुए रुक गए। हमने भी रुककर हेलमेट की अनिवार्यता और जरूरत पर सलाह दी। बच्चों ने उसे बेफालतू की बात वाले अंदाज में ग्रहण किया। स्कूटी वाले ने बाइक वालों के तेज चलाने की शिकायत की। सबके पास दूसरों की कमियों की फेहरिस्त सहज सुलभ होती है।
सड़क पर एक बंदर परिवार टहलता हुआ जा रहा था। एक बन्दरिया अपने बच्चे को पीठ पर बस्ते की तरह लादे हुए टहल रही थी। आगे चलता बन्दर अपनी पूंछ को झंडे की तरह फहराते हुए चलता अपने परिवार को नेतृत्व प्रदान कर रहा था। क्या पता बंदरो के समुदाय में चुनाव होते या नहीं। होते होंगे तो किसी इसी तरह के बन्दर के नेतृत्व में आस्था व्यक्त करते हुए वोटिंग होती होगी।
दूसरी तरफ सड़क पर एक बन्दर गन्ना चूस रहा था। गन्ना पास के खेत से उखाड़ा हुआ था। गन्ना गन्नों की बिरादरी में नवजात शिशु जैसा ही था। बन्दर उस नवजात गन्ने को बेरहमी और बेतकुल्लुफी से चूसते हुए उसके सड़क पर फेंकता जा रहा था। स्वच्छता अभियान की धज्जियां उड़ा रहा था।
पास के पेड़ पर चिड़ियां चहचहा रही थीं। उचकते, फुदकते और उड़ते हुए पेड़ पर उछलकूद कर रही थीं।
एक जगह सड़क किनारे नाली जैसी जगह की धूल में एक कुत्ता सुबह की नींद ले रहा था। मलाई नींद। उसको कोई जगाने वाला होता तो जगाता कहते हुए :
'उठो लाल अब आंखे खोलो
पानी लाई हूं मुंह धोलो।'
क्या पता हो भी कोई लेकिन कुत्ता उसको अनसुना करके यहाँ आकर सो गया हो।
सुबह निकलते हुए सुबह की सैर वाले साथी भी मिले। उन्होंने मैदान के पास बेंच बनवाने के वायदे के बारे में याद दिलाया। महीने भर पहले दिए आश्वासन को अभी तक पूरा न होने की शर्मिंदगी हुई। जल्द ही बनवाने के आश्वासन देकर आगे बढ़े।
टहलते हुए वापस आ गए गए। घड़ी ने बताया दो किलोमीटर टहल लिए। बैटरी 10% बची। बैटरी चार्ज होने के लिए लगा दी।
अपन तो टहलते हुए ही चार्ज हो गए।
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