तानाशाह लोग बेफालतू बदनाम किये जाते हैं जनता पर जुल्म के लिए। उनके जनता के मनोरंजन के लिए किए प्रयास अनदेखे किये जाते हैं जानबूझकर। देखिए कितना बढ़िया इंतजाम किया है उत्तरी कोरिया के तानाशाह ने। हंसने पर प्रतिबंध लगा दिया। उत्तरी कोरिया के लोग छुपकर और बाकी दुनिया के लोग खुलकर हंस रहे होंगे इस खबर पर।
लेकिन सोचिए कि कहीं ऐसा सब जगह हो गया तो क्या होगा? हंसने पर प्रतिबन्ध, बोलने पर प्रतिबन्ध, उठने पर प्रतिबंध,बैठने पर प्रतिबंध, सांस लेने पर, सांस छोड़ने पर प्रतिबन्ध। मतलब हर हरकत पर प्रतिबंध। प्रतिबन्ध पर प्रतिबंध। प्रतिबन्ध न भी लगे तो टैक्स ही लग जाये। पता लगा खजाने भर जाएं सरकारों के टैक्स की रकम से। दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाएं सरपट दौड़ने लगे। विकास दरवाजे पर खड़ा होकर हल्ला मचाने लगे और पूछे -'क्या मैं अंदर आ सकता हूँ।'
रघुवीर सहाय जी इस बवाल से परिचित होंगे तभी बहुत पहले लिखे थे -'हंसो, हंसो, जल्दी हंसो।'
हमको भी अंदाज था कुछ कुछ इस बात का। तभी तो लेख लिखा था -'हंसी पर टैक्स।' (लिंक कमेंट बॉक्स में)
बहरहाल , आप इस सब पचड़े में मत पड़िए। सब कुछ छोड़कर पहले हंस लीजिए। हंसी अभी टैक्स फ्री है। कल का कोई भरोसा नहीं, हंसी पर भी टैक्स लग जाये। देखिए सूरज भाई हंस रहे हैं मेरी बात पर। उनके साथ किरणें भी लग ली हैं। हंस रही हैं। खिलखिला रही हैं। पूरी कायनात के यही हाल हैं।
आप क्यों पीछे रहें। आप भी हंस लें। अभी यहां हंसी पर न कोई प्रतिबन्ध है,न कोई टैक्स। हंसिये मुंह खोलकर, जो होगा देखा जाएगा।
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