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बस स्टैंड पर महिला
By फ़ुरसतिया on March 9, 2013
कल महिला दिवस था। फ़ेसबुक और ब्लॉगजगत में कई पोस्टें इस बारे में पढीं। कुछ महिलाओं की बहादुरी के किस्से टेलिविजन पर देखे।
इस मौके पर मुझे कुछ महीने पहले कानपुर के झकरकटी बस अड्डे पर मिली एक महिला की याद आई। हम अपने रिश्तेदार को बस पर बैठाने गये थे। देखा कि एक महिला वहां बैठी थी। साथ में दो झोलों में कुछ सामान। वह कुछ-कुछ बोलती जा रही थी- आत्मालाप जैसा। वहां पान-मसाले की दुकान पर खड़े कुछ लड़के उनसे चुहलबाजी कर रहे थे!
हम लोगों को उन लोगों का उस महिला से चुहलबाजी करना पसंद नहीं आया। हम लोगों ने उनको टोंका तो चुप हो गये। हमारी श्रीमतीजी ने पास की दुकान से खाने का सामान लेकर उस महिला को दिया। वो चुपचाप खाने लगी। वह कुछ बोलचाल नहीं रही थी। आत्मालाप में व्यस्त। कुछ गाते हुये अपने से बातें कर रही थी।
कुछ देर में उन लोगों से ही हमने उस महिला के बारे में पूछा जो महिला से चुहलबाजी कर रहे थे। उन लोगों ने बताया कि महीनों पहले से वह महिला बस स्टैंड पर रहती है। बिहार की किसी जगह की रहनी वाली है शायद। कहां से आयी पूछने पर कुछ बताती नहीं। कहती है अब तो यही घर है। जहां खाने को मिले वही घर।
लोगों ने यह भी बताया कि बस स्टैंड की दुकान और आसपास के लोग उसके खाने का इंतजाम करते हैं। और किसी से वह कुछ लेती नहीं। चाहे भूखी रह जाये। हम लोगों से खाने का सामान कैसे ले लिया इस पर उनको किंचित आश्चर्य था।
इतनी बातचीत के दौरान वे यह बताने नहीं चूके कि हमने उनको उस महिला से चुहलबाजी करने से टोका तो उन्होंने जबाब नहीं दिया लेकिन वे उससे ऐसे ही बतियाते हैं। वह भी ऐसे ही उनसे संवाद करती है। उनके उससे संवाद के ऐसे ही संबंध हैं।
बहुत दिन हो गये सो अब महिला के बारे में और तमाम बातें भूल गयीं जो उन लोगों ने बताई थीं। यह याद आ रहा है कि उसको उसके घर से बहला-फ़ुसलाकर कोई लाया था। फ़िर यहां छोड़ गया।अब वह वापस घर जाना नहीं चाहती। शायद उसके घर की परिस्थितियां ऐसी हों। उसकी मानसिक स्थिति ऐसी थी कि वह कुछ ठीक से बता भी नहीं पा रही थी। या बताना नहीं चाहती होगी।
घर से बाहर तमाम लोग जाते हैं। स्त्री,पुरुष और बच्चे। कोई अपनी मर्जी से कोई परिस्थितिवश। यह महिला मजबूरी में ही घर से बाहर आई होगी।
इस बार बजट में किसी निर्भया फ़ंड का प्राविधान किया गया है। क्या वह इस महिला के लिये भी होगा?
उस महिला की फ़ोटो और वीडियो यहां लगा रहा हूं यह सोचते हुये कि शायद उससे जुड़ा कोई उसको पहचान सके और वापस घर ले जा सके। उसका इलाज कराकर सामान्य जीवन जीने लायक बना सके।
तो यह हमेशा जरूरी नहीं है
कि कोई लड़का भी भागा होगा
कई दूसरे जीवन प्रसंग हैं
जिनके साथ वह जा सकती है
कुछ भी कर सकती है
महज जन्म देना ही स्त्री होना नहीं है
तुम्हारे उस टैंक जैसे बंद और मजबूत
घर से बाहर
लड़कियां काफी बदल चुकी हैं
मैं तुम्हें यह इजाजत नहीं दूंगा
कि तुम उसकी सम्भावना की भी तस्करी करो
वह कहीं भी हो सकती है
गिर सकती है
बिखर सकती है
लेकिन वह खुद शामिल होगी सब में
गलतियां भी खुद ही करेगी
सब कुछ देखेगी शुरू से अंत तक
अपना अंत भी देखती हुई जाएगी
किसी दूसरे की मृत्यु नहीं मरेगी
आलोक धन्वा
इस मौके पर मुझे कुछ महीने पहले कानपुर के झकरकटी बस अड्डे पर मिली एक महिला की याद आई। हम अपने रिश्तेदार को बस पर बैठाने गये थे। देखा कि एक महिला वहां बैठी थी। साथ में दो झोलों में कुछ सामान। वह कुछ-कुछ बोलती जा रही थी- आत्मालाप जैसा। वहां पान-मसाले की दुकान पर खड़े कुछ लड़के उनसे चुहलबाजी कर रहे थे!
हम लोगों को उन लोगों का उस महिला से चुहलबाजी करना पसंद नहीं आया। हम लोगों ने उनको टोंका तो चुप हो गये। हमारी श्रीमतीजी ने पास की दुकान से खाने का सामान लेकर उस महिला को दिया। वो चुपचाप खाने लगी। वह कुछ बोलचाल नहीं रही थी। आत्मालाप में व्यस्त। कुछ गाते हुये अपने से बातें कर रही थी।
कुछ देर में उन लोगों से ही हमने उस महिला के बारे में पूछा जो महिला से चुहलबाजी कर रहे थे। उन लोगों ने बताया कि महीनों पहले से वह महिला बस स्टैंड पर रहती है। बिहार की किसी जगह की रहनी वाली है शायद। कहां से आयी पूछने पर कुछ बताती नहीं। कहती है अब तो यही घर है। जहां खाने को मिले वही घर।
लोगों ने यह भी बताया कि बस स्टैंड की दुकान और आसपास के लोग उसके खाने का इंतजाम करते हैं। और किसी से वह कुछ लेती नहीं। चाहे भूखी रह जाये। हम लोगों से खाने का सामान कैसे ले लिया इस पर उनको किंचित आश्चर्य था।
इतनी बातचीत के दौरान वे यह बताने नहीं चूके कि हमने उनको उस महिला से चुहलबाजी करने से टोका तो उन्होंने जबाब नहीं दिया लेकिन वे उससे ऐसे ही बतियाते हैं। वह भी ऐसे ही उनसे संवाद करती है। उनके उससे संवाद के ऐसे ही संबंध हैं।
बहुत दिन हो गये सो अब महिला के बारे में और तमाम बातें भूल गयीं जो उन लोगों ने बताई थीं। यह याद आ रहा है कि उसको उसके घर से बहला-फ़ुसलाकर कोई लाया था। फ़िर यहां छोड़ गया।अब वह वापस घर जाना नहीं चाहती। शायद उसके घर की परिस्थितियां ऐसी हों। उसकी मानसिक स्थिति ऐसी थी कि वह कुछ ठीक से बता भी नहीं पा रही थी। या बताना नहीं चाहती होगी।
घर से बाहर तमाम लोग जाते हैं। स्त्री,पुरुष और बच्चे। कोई अपनी मर्जी से कोई परिस्थितिवश। यह महिला मजबूरी में ही घर से बाहर आई होगी।
इस बार बजट में किसी निर्भया फ़ंड का प्राविधान किया गया है। क्या वह इस महिला के लिये भी होगा?
उस महिला की फ़ोटो और वीडियो यहां लगा रहा हूं यह सोचते हुये कि शायद उससे जुड़ा कोई उसको पहचान सके और वापस घर ले जा सके। उसका इलाज कराकर सामान्य जीवन जीने लायक बना सके।
मेरी पसन्द
अगर एक लड़की भागती हैतो यह हमेशा जरूरी नहीं है
कि कोई लड़का भी भागा होगा
कई दूसरे जीवन प्रसंग हैं
जिनके साथ वह जा सकती है
कुछ भी कर सकती है
महज जन्म देना ही स्त्री होना नहीं है
तुम्हारे उस टैंक जैसे बंद और मजबूत
घर से बाहर
लड़कियां काफी बदल चुकी हैं
मैं तुम्हें यह इजाजत नहीं दूंगा
कि तुम उसकी सम्भावना की भी तस्करी करो
वह कहीं भी हो सकती है
गिर सकती है
बिखर सकती है
लेकिन वह खुद शामिल होगी सब में
गलतियां भी खुद ही करेगी
सब कुछ देखेगी शुरू से अंत तक
अपना अंत भी देखती हुई जाएगी
किसी दूसरे की मृत्यु नहीं मरेगी
आलोक धन्वा
Posted in बस यूं ही, सूचना | 13 Responses
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प्रणाम.
ajit gupta की हालिया प्रविष्टी..हम चिड़ियाघर की तरह अपने-अपने कक्ष में बैठे हैं
ज्यादा मुग्लाते में मत रहिये. सरकारी प्राविधान सिर्फ सरकारी लोगों के लिए होता है;)
दीपक बाबा की हालिया प्रविष्टी..प्रणाम
दयानिधि की हालिया प्रविष्टी..जूता चल गया
यह महिला घर से बाहर आई नहीं, कर दी गयी शुक्ला जी.
पता नहीं कितने विक्षिप्त/अर्धविक्षिप्त स्त्री-पुरुष ऐसी निर्वासित ज़िंदगी जी रहे हैं. स्टेशन या बस स्टैंड ही उनका बसेरा होता है अक्सर, यानी जहाँ परिजन छोड़ गए, उससे आगे की सीमा वे जानते ही नहीं.
प्रवीण पाण्डेय की हालिया प्रविष्टी..हम जिये है पूर्ण, छवि व्यापी रहे
aradhana की हालिया प्रविष्टी..Freshly Pressed: Friday Faves
एक और लड़का घूमा करता है | जितना पता चला है उस हिसाब से उसके बड़े भाई ने घर से निकाल दिया है और इलाज भी नहीं करवाया वरना जायदाद का लफड़ा हो जाता |
आपने ये अच्छा किया की फोटो और विडियो डाल दिए , शायद कुछ भला हो जाए इस महिला का | मेरे हिसाब से महिला दिवस पर इससे अच्छी पोस्ट नहीं हो सकती है !!!!
देवांशु निगम की हालिया प्रविष्टी..वो दिन कैसा होगा !!!!