Friday, September 17, 2021

जन्मदिन पर शुभकामनाओं के लिए आभार



कल जन्मदिन के मौकों पर घर-परिवार के लोगों, मित्रों-सहेलियों, अग्रजों-अनुजों, शुभचिंतकों-अशुभचिंतकों, आदरणीयों-आत्मीयजनों और अन्य तमाम लोगों की शुभकामानाएं मिलीं। कुछ शुभकामनाएं रास्ते में हैं उनको भी कल की ही तारीख में ग्रहण कर लिया है। जो मित्र शुभकामनाएं देना भूल गए या किसी कारणवश नहीं भेज पाए उनकी तरफ से दुगुनी शुभकामनाएं हमने जबरिया ग्रहण कर लीं हैं। जो होगा देखा जाएगा। 🙂
शुभकामनाओं, आशीर्वचनों, दुआओं के लिये पूरे मन से धन्यवाद, आभार। 💐💐
जन्मदिन के मौके पर लफड़ा एक तो लफड़ा यह होता है कि लगता है जिये भले इतने दिन लेकिन किया क्या? मुक्तिबोध की बातें याद आ जाती हैं:
अब तक क्या किया,
जीवन क्या जिया?
कविता का जवाब कविता ही हो सकती है। इसीलिए बहाना भी मिल जाता है वली असी के जरिये:
तमाम काम अधूरे पड़े रहे मेरे,
मैं जिंदगी पर बहुत एतबार करता था।
तो इसी सवाल और जबाब से दाएं-बाएं होते हुए जन्मदिन वाला दिन बीत जाता है। शुभकामनाएं बटोर के खुश होते हैं।यह लगता है कि और कुछ करें या न करें लेकिन शुभचिन्तकों की दुआओं के पात्र तो बने रहें। उनको यह न लगे कि भले ही डिजिटल रूप में दी लेकिन किसी 'कायदे के इंसान'' को देते तो बढ़िया रहता।
'कायदे का इंसान' होना भी बड़ा लफड़े का काम है। उसके चक्कर में पड़ने की बजाय शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद देकर फूट लेना अच्छा।
आप सभी की शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद, आभार।

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