सुबह जब भी उठते हैं अम्मा की याद आती है। यह सोचकर मन उदास हो जाता कि वे अब नहीं रहीं।
मुनव्वर राना का शेर है:
किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकां आई ,
मैं घर में सबसे छोटा था, मेरे हिस्से में मां आई
हमारे यहां घर या मकान तो था नहीं। अलबत्ता हमारी शादी के बाद मां अधिकतर समय हमारे साथ ही रहीं। हमारे परिवार में तीन बेटियां हैं। दो बड़े भाई की, एक बीच वाले भाई की। बड़े भाई आर्थिक रूप से कमजोर थे। अम्मा जब हमारे साथ आईं रहने तो बडे भाई की बिटिया स्वाती को अपने साथ लेकर आईं। मतलब सब भाइयों के हिस्से एक बेटी। स्वाती हमारी ऐसी बेटी बनी कि पूछो मती। अपनी आंटी को लेकर उसका अधिकार भाव इतना तगड़ा रहा है कि अपने सामने वह उनके साथ किसी दूसरे को बर्दाश्त नहीं कर पाती- आंटी के पति को भी नहीं। उसके चलते घर में सबसे छोटा होने के बावजूद कन्यादान का मौका सबसे पहले मुझे मिला।
अम्मा कहतीं थीं -"गुड्डो (हमारी श्रीमती) न होतीं तो हम इतने दिन जिन्दा न रहते।"
गुड्डो कहतीं -"अम्मा जी से ही घर में रौनक है।"
सास-बहू के सम्बन्ध अद्भुत रहे। बहू जब तक घर लौट के नहीं आती थी सास (दिन में)खाना नहीं खाती थीं।बहू आएगी। खाना लगाएगी। तब दोनों साथ खायेंगी।
हम जब घर में होते तो अम्मा चाय हम दोनों के लिए कमरे में धर देतीं।लेकिन बहू अकेली होती तो उसको अपनी चाय किचन से लानी होती। बेटे के लिये अम्मा खुले आम पक्षपाती थीं। जब हम कानपुर जाते तो अम्मा हमारी पसंद की तमाम चीजें बनातीं। उनकी इस मामले में सब मौज लेते- "बेटा आया है। देखना है बेटे के लिए क्या बनेगा आज।"
मेरी चाय की मात्रा अक्सर ज्यादा हो जाती तो पाबंदी लगती। लेकिन जब हमारी चाय के लिए सब लोग (अम्मा सहित) मना कर चुके होते तो कभी-कभी अम्मा अपनी खिंचाई कि परवाह न करते हुए किचन जाकर हमारे लिए चाय बना आतीं और गुप्त सूचना दे देतीं हमें-"चाय धरी है कप माँ। उठा लाव।"
अम्मा अपनी बहू के लिए अक्सर माँ में बदल जाती। रात 11 बजे जगाकर गुड्डो को ठंडा दूध पिलाती। जब कभी बहू को माइग्रेंन होता तो उसका सर दबाती। जब बहू को व्रत रहना होता तो अपना पूजा का कार्यक्रम करते हुये भी उसके नाश्ते की व्यवस्था करतीं। कोशिश करतीं बहू बिना नाश्ता किये स्कूल न जा पाये।
बहू भी सास को हमेशा चकाचक रखतीं। अम्मा को कहीं जाना होता तो उनको तैयार करतीं। एकदम फिट करके भेजती। बहू को हमेशा इस बात की चिंता रहती थी कि उसकी सास की कोई तमन्ना अधूरी न रह जाए। इस मामले में हमारे परिवार के सब लोग घामड़ सरीखे रहे। हम यह महसूस ही नहीं कर पाते कि एक बुजुर्ग हो चुकी स्त्री की भी कुछ तमन्नायें हो सकती हैं। सबसे पहले हरगांव में उनके लिये दांत बनवाये। अम्मा के लिए सोने की चेन,पायल,कील और न जाने क्या-क्या इस पराये घर की लड़की ने अपनी कमाई से ख़रीदे। बाहर जाते समय हम उनकी सेहत के चलते उनको साथ ले जाने में हिचकते लेकिन उनकी बहू कहती-"नहीं अम्मा जी साथ चलेंगी।" दो महीने पहले हम सब साथ पिक्चर गए थे। अम्मा को लगभग उठा-उठाकर एस्केलेटर से ले गये।
वैसे तो अम्मा खुश -खुश ही रहतीं। लेकिन कभी-कभी कोई बात हो जाती तो चुप हो जातीं। नरसिंम्हा राव जी की तरह मुंह फ़ुला कर बिस्तर पर बैठ जातीं। मैं घर में होता तो तुरन्त ही उनको हिला-डुलाकर, बतियाकर उनका अबोला खतम कर देता। हमारे न रहने पर अबोला कुछ खिंचता। हद से हद एकाध दिन। लेकिन फ़ौरन हमें बताया जाता -"अम्मा बोल नहीं रहीं आज।" फ़िर फ़ोन पर वार्ता होती बहाने से। मजे की बात कि हर बार वे अपनी ही गलती मानकर बात खतम करतीं- "हम बहुत सोचते हैं कि ऐसा न हो लेकिन अपनी बेवकूफ़त में मूर्खता कर देेते हैं।" उनके इस डायलाग का इलाज उनको प्यार करके, हिला-डुलाकर हो जाता। वे फ़िर मुस्कराने लगतीं। घर मे फ़िर रौनक लौट आती।
अम्मा को सेहत के चलते मेहनत के काम करने की सख्त मनाही सी थी। लेकिन वे क्लास के शरारती बच्चों की तरह अक्सर ही अनुशासन भंग करती पायी जातीं। कभी बाथरूम में अकेले कपडे धोने लगतीं। कभी कहीं सफ़ाई करने लगतीं। कभी कुछ और। अभी कुछ ही दिन पहले जबकि उनको चलना-फ़िरना तक मुश्किल था अम्मा की बहू को ऐसे ही किचन की तरफ़ जाना हुआ। देखा कि अम्मा किचन प्लेटफ़ार्म पर चढी कुछ सफ़ाई कर रहीं थीं। बहू यह देखकर सन्न रह गयीं। कहा-" अम्माजी आप यह क्या कर रही हैं। मैं अभी इनको बताती हूं।" यह सुनते ही अम्मा सट्ट से किचन प्लेटफ़ार्म से नीचे उतरकर चप्पल समेटकर चल दीं।
यह बात श्रीमती जी ने तीन दिन पहले बताई जब मैंने कानपुर से आते हुये कहा-" आज पहली बार अम्मा के बिना घर से जा रहे हैं।" इस पर उन्होंने इस घटना के बारे में बताया और उस दिन के फ़ोटो भी दिखाये जो उन्होंने खींच लिये थे। फ़ोटो देखकर और यह सोचकर कि अम्मा हमारे नाम से इतना डरतीं थी कि प्लेटफ़ार्म से फ़ौरन नीचे आ गयीं हम लोग बहुत देर तक हंसते रहे।
आज अकेले में यह सब सोचकर रोना आ रहा है।
- Himanshu Kumar Pandey आप इतना लिखते-लिखते न जाने कितनी बार भरे-छलके होंगे, अनुमान लगा रहा हूँ। माँ के वियोग की असह्य कल्पना सिहरा रही है। आपकी यह पंक्तियाँ पढ़ रहा हूँ...आस-पास दिखती अम्मा को निहार रहा हूँ। हर माँ एक-सी होती है ना!
- राजेंद्र अवस्थी अम्मा जब तक होती है बेटा कितना ही बड़ा हो , छोटा ही रहता है ..... खुशनसीब रहे आप जो इतने दिनों तक छोटे रहने का सौभाग्य मिला आपको .... मैं तो मात्र चार वर्ष की आयु में ही बड़ा हो गया था .... आँसू भरे हैं , कुछ न कह पाउँगा .....
- Reena Mukharji Nice
- Rk Nigam अम्मा .................................................................................................. आँखें नम हृदय द्रवित शब्द भीतर ही भीतर पुकार रहे है अम्मा ... अम्मा ... अम्मा ...........
- Nivedita Srivastava माँ और उनकी यादें ..... शाय्द हर माँ में हमको अपनी माँ ही दिखती है .... मैं जब भी कानपुर आयीं हूँ और मिली हूँ लगा कि अपनी माँ ही मिलीं ....
- Rotash Kanwar MAA ki seva karne n karane badhai. is ke dware aapne hamsabko Maa ki sunder yad dila di . kai bar hame bhi ye avsar mila RIP ,bhagwan hamein ye sahane ki shakti de
- Siddhi Siddhi "वो जबसे गई छोड़ मुझे, हर सपना साकार हुआ।
पहुँच किसी अंजान लोक,मेरे काम पर लगी है वो।।" ......
माँ जब होती है तब बस होती है, जब नहीं होती है, तब कुछ अधिक होती है। संसार उसके होने और ना होने के बीच की संवेदनाओं में झूलता रहता है। - Krishn Adhar वहुत दिनों तक सवेरे जव आप जागें गे तो सोचने लगें गे-इसका मतलव अम्मा अभी अभी चली गईं क्योंकि इससे पहले तो वातें कर रही थीं(स्वप्न में सारी रात)
- Lata R. Ojha Apne saath hum sab ko rula dia n bhai..maa ko yaad karna hi nahi padtaa..kabhi bisarti jo nahin...kamzori mein taaqat ..niraasha mein haunslaa..hamesha theen hamesha rahengi wo bhai..aur phir bhi ye shoonyataa harpal rahi hai mann mein..
- पूजा 'कनुप्रिया' दादा अम्मा हैं न , तब तो डर कर उतर गयीं प्लेटफार्म से अब नहीं डरेंगी आपसे जो उन्हें याद करके रोये ज़रा भी और उन्हें पता चला तो वहीँ से झापड़ बजा देंगी तो डर के रहना और रोना नहीं .....
- Sangita Mehrotra Ammaji ko kitchen mein kaam karte dekhne ka Saubhagya humko bhi mila tha .So loving ....!
- Pooja Singh पिछले कई दिनों से आप अम्मा से रिलेटेड पोस्ट से हमे रुला रहे हैं, क्या कर सकते हैं कुछ यादें ऐसी ही होती है
- Naveen Tripathi माँ को श्रद्धांजली । ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें ।
सृष्टि का नियम ही यही जो आया है उसे एक न एक दिन जाना ही है । बिछड़ने का दर्द आजीवन रहता है । खास तौर से माँ का साया उठना तो सर्वाधिक कष्ट दायी । मेरी संवेदनाएं इस दुःख की घड़ी में आपके साथ हैं । धैर्य और ईश्वर का साथ बनाये रखें । - Maitreyee Gairola Namaste uncle. Amma ji ke baare mein pata chala. My condolences. May she rests in peace.
- Sanjai Kumar Singh bhagvan unki atma ko shanti pradan kare. ammaji nahi rahi lekin unka ashirvad hamesha apke parivar par bana rahega
- Arbuda Pal ये यादें सम्बल देती हैं गुज़रे वक्त पे जैसे सोने की वर्क सी चमकती हैं. मां की हर बात कैसे कैसे ज़हन में हूक बन जाती है. मां की कमी को प्रतिपल महसूस करती हूं इसलिये आपके लिखे को दिल से पढ़ पाई. बहुत प्यारा लिखा.
- Parveen Chopra she was a great soul who just spread unconditional love and affection in the whole family. such souls indeed are strong bridges in the family......अम्माजी की मधुर यादों के नाम।
इश्वर उन्हें सद्गति प्रदान करें। indeed life is a bubble! - Rekha Srivastava अम्मा के जाने से यादें ख़त्म नहीं होती बल्कि घर के हर कोने में उनकी यादें जुडी होगीं और वो आप लोगों हर पल यादें ताजा कर जाएंगी. पहले हंसी या गुस्से बनती हैं लेकिन जाने के बाद वही सब रुलाने का सबब बन जाती हैं।
- Astro Sidharth Jagannath Joshi ओह, इस कमी की पूर्ति तो नहीं हो सकती, लेकिन सुखद स्मृतियां संबल बनाए रखेंगी।
- Jitendra Chaudhary मेरी तरफ से अम्मा जी को श्रद्धांजली । ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें । मेरी संवेदनाएं इस दुःख की घड़ी में आपके साथ हैं।
- Jitendra Kumar This is real truth. This will take place when you are looking another place & person with the same circumstances sir.
- DrManoj Mishra बहुत हीभावपूर्ण ,मन भारी हो गया।
धीरज रखिये भाई साहब , यह तो जीवन में सबके साथ होना है --यह अमिट है - Hari Jaipur aapka amma vrittant bahut ruchikar ho gaya hai. ghar ghar aisee amma hain aur jis ghar me nahee hain unhe in ammao ka ashees mile. aur ka kahoo
- Naresh Thakral Deepest Hearty Condolences, may the sacred soul rest in peace.....may almighty give you all the strength to bear this loss
- Sapankumar Mukherjee Amma ke nam aate mujhe onke ladoo ki yaaf aa jati hai.Hum sab jante hai hum sab ko us peram dham me jana hai .swem bhagwan sri Krishn ysh jante hue bhi Abhimanue ko ran me bheja.Hame Amma ka param dham ki yatra safal rahe bhagwan se yah kamna karna chahiye.Asp jaise vayakti ka dheeraj hi hum sab logo ka shKtl hai. Keep ur passions sir.
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