भैयालाल को पांच साल पहले एक टैंकर ने ठोंक दिया। पैर चले। हौसला बरकरार है। सामने की पट्टी में कई साबुत शरीर वाले भीख मांगते हैं। भैयालाल मेहनत पर भरोसा करते हैं।बताया आमदनी से दाल रोटी चल जाती है।
हमको एक बार फिर याद आई यह बात- :"दम बनी रहे घर चूता है तो चूने दो।"
- Mukesh Tiwari इन्दौर की खोजखबर ली जा रही है, भैयालाल को देखते हुए न जाने कितनी बार गुज़रा हूँ, लेकिन परिचय आपने करवाया अनूप जी।
अम्माँ के स्वस्थ सुधार के बारे में जानकर ख़ुशी हुई .....
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