Thursday, October 02, 2014

सीनियर कूड़ा, जूनियर कूड़ा

स्वच्छता अभियान का पहला दिन। कूड़ा नगरी में  हल्ला है कि आज उसको साफ़ करने के लिये लोग आने वाले हैं। फ़ोटो वगैरह भी होगा। पता चला कि सफ़ाई करने वाले लोग वही हैं जो गंदगी फ़ैलाते हैं। रोज की  बेदर्दी से कूड़े की सफ़ाई के उलट आज कूड़े को सलीके से, नाजुकता से, नजाकत से साफ़ किया जायेगा। कूड़े के हर हिस्से की तमन्ना है कि उसको ही साफ़ करते हुये फ़ोटोबाजी हो। पहली झाडू उसी पर चले। अखबार में उसई का फोटो छपे।

कूड़े का हर हिस्सा कसमसा रहा कि सफ़ाई उससे शुरु हो। किसी भी संस्थान में कोई सफ़लता मिलने पर संस्थान के सबसे निठल्ले लोग कैमरे के सामने जम जाते हैं। उसी तरह जिसका गंदगी में कोई योगदान नहीं वह भी कूड़ा बनकर कैमरे के सामने आने की प्रसाद मना रहा था ।

ऐसे ही एक दिन पहले की फ़ाइल का  एक पन्ने का  फ़टा हुआ  टुकड़ा फ़ड़फ़ड़ाते हुये इधर-उधर डोलता घूम रहा था। उसकी हरकतों की लग रहा था कि वह संस्थान प्रमुख के पास पहुंचने के जुगाड़ में  है। ताकि उसको झुककर वह उठाये और डस्टबिन में डाल दे और इसका फ़ोटो हो जाये। उसका कूड़ा होना सार्थक हो जाये। उसकी यह हरकत एक सीनियर कूड़े को बहुत नागवार गुजरी। उसने तेज, सड़ी, बदबूदार आवाज में उसको हड़काया।

सीनियर कूड़ा बोला- "अबे  कागज के टुकड़े!  कूड़ा बनने की कोशिश में मत रह। नेपथ्य में रह। आज सफ़ाई अभियान है। इसमें कूड़ा  साफ़ होना है। कागज नहीं। पीछे हट!"

इस पर कागज के टुकड़े ने आपत्ति दर्ज की- "ठीक है आप सीनियर कूड़े हैं। बहुत दिनों से पड़े हैं यहां। सड़ रहे हैं। लेकिन इससे पहली झाड़ू लगने का हक आपको कैसे मिल गया? सफ़ाई अभियान में हर कूड़े को झाड़ू पाने का समान अधिकार है!"

फ़िर तो सीनियर कूड़े और जूनियर कूड़े में कहा-सुनी शुरु हो गयी। थुक्का-फ़जीहत, गाली-गलौज होते हुये ये हाल हो गये कि एक बारगी तो लगा कि संसद में बहस कर रहे हैं दोनों। उनकी बातचीत के कुछ अंश पेश हैं:

सीनियर कूड़ा:  अबे तू तो फ़ाइल से सीधे मुंह उठा के चला आया इधर कू्ड़े के ढेर में सम्मिलित होने। कूड़े को क्या राजनीतिक पार्टी समझ रखा कि एक से इस्तीफ़ा दिया तो दूसरी में शामिल होते ही टिकट मिल गया। कूड़ा बनने के लिये सड़ना पड़ता है पहले। चल फ़ूट यहां से सफ़ाई शुरु होने वाली है।

जूनियर कूड़ा: देखिये मैं आपकी सीनियारिटी का लिहाज कर रहा हूं। इसका मतलब यह नहीं कि जो मन आये आप बोलते जाओ। आप आउट डेटेट कूड़े हो। आपको पता ही नहीं कि आजकल फ़ाइलों में जितनी गंदगी है उसके मुकाबले बाहर तो कुच्छ नहीं है। कूड़े की दुर्गन्ध तो कूड़ा साफ़ होते ही खतम हो जाती है लेकिन फ़ाइलों की गन्दगी तो फ़ाइल जला देने, गायब होने और नष्ट होने से भी खतम नहीं होती। मैं फ़ाइल से निकला एक कागज हूं। मैं भी कूड़ा हूं।  आप मेरी कूडेपन  को कम करके मत आंकिये।

सीनियर कूड़ा: ठीक है एक मिनट के लिये तुमको कूड़ा मान भी लें। लेकिन तब भी तुम रहोगे तो जूनियर ही न। सफ़ाई की शुरुआत सबसे सीनियर आफ़ीसर करेगा। प्रोटोकाल के हिसाब से सीनियर अधिकारी सबसे पहले सीनियर कूड़े को ही साफ़ करेगा न। तू हट जा सामने से। साहब की सवारी आने ही वाली है।

जूनियर कूड़ा: आजकल कोई काम प्रोटोकाल से हिसाब से कहां हो रहा है। बल्कि प्रोटोकाल तोड़कर काम करना ही आजकल का प्रोटोकाल है। उसके हिसाब से तो सीनियर अधिकारी को जूनियर कूड़े पर झाडू चलानी चाहिये।

बहस अभी चल ही रही थी कि साहब की सवारी आती दिखाई दी। सीनियर कूड़े ने जूनियर कूड़े को फ़ड़फ़ड़ाते हुये दायें-बायें हो जाने का इशारा किया। जूनियर कूड़ा फ़ुर्ती से उड़कर साहब के पैर के पास गिरा जाकर। साहब ने झुककर उसे उठाने की कोशिश की। कूड़ा हवा में इधर-उधर थोड़ा फ़ड़फ़ड़ाया। लेकिन साहब ने लपककर उसे पकड़ ही लिया। इसके बाद उसको उठाया सीनियर कूड़े के ढेर के ऊपर डाल दिया। इस सबकी धांय-धांय फोटोग्राफ़ी होती रही।

झुककर और लपककर कागज-कूड़ा उठाने के चक्कर में साहब की कमर लचक गयी। दर्द होने लगा। चूंकि फ़ोटो खिंच ही चुकी थी कागज उठाते हुये इसलिये उसी को सफ़ाई अभियान का आरम्भ माना गया।

उधर जूनियर कूड़ा सीनियर कूड़े की सीने  पर बैठा उसके मजे लेते हुये कह रहा था- " आपकी सीनियारिटी का लिहाज करते हुये अब से मैं आपको ’मार्गदर्शक कूड़ा’ कहा करूंगा। आप हमारे लिये प्रेरणा कूड़ा हैं।

सीनियर कूड़ा जूनियर कूड़े को विवश नजरों से ताकते हुये कुछ कहने ही जा रहा था कि समारोह के दौरान हुये नाश्ते की प्लेटें और ग्लास उन पर आ गिरे। कूड़े का कुनबा बढ़ रहा था।

इस तरह स्वच्छता समारोह सम्पन्न हो गया।










4 comments:

  1. सीनियर कूड़ा जूनियर कूड़े को विवश नजरों से ताकते हुये कुछ कहने ही जा रहा था कि समारोह के दौरान हुये नाश्ते की प्लेटें और ग्लास उन पर आ गिरे। कूड़े का कुनबा बढ़ रहा था।

    Nice lines ....

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