Sunday, August 20, 2017

आलोक पुराणिक के लेखन के कुछ पंच




कल आलोक पुराणिक की किताब 'व्हाइट हाउस में रामलीला' के कुछ लेख पढ़ें। उन लेखों के कुछ पंच आप भी मुलाहिजा फरमाएं।
1. अतीत के कई डकैतों का मुकाबला वर्तमान डकैतों अर्थात विशुद्ध नेताओं से है।
2. चुनाव के रिजल्ट आने के बाद नेता से पेमेंट निकलवाना अति ही मुश्किल कार्य है। इसलिये कि जीता हुआ नेता तो हाथ नहीं आता है और हारा हुआ नेता हाथ आ भी जाये तो उसके हाथ में देने योग्य कुछ होता नहीं।
3. कोऊ नृप होय, हमें का हानी... की बात सही नहीं है। अगर नृप को फ़ायदा हो रहा है, तो किसी की तो हानि होगी ही। यह बात सामान्य सी गणित की है।
4. जिनमें कुछ होने का बूता होता है , वह विधायक मंत्री हो लेते हैं। जो कुछ नहीं कर पाते, वो बुरा मानते रहते हैं।
5. अब नेता होशियार हो गये हैं। अब वे सारे लट्ठबाजों, बन्दूकबाजों को अपने स्टॉफ़ में ही रखते हैं। पब्लिक की तरफ़ से लट्ठ चलाने वाला कोई नहीं मिलता।
6. टाइम बहुत कीमती है, उसे एक्शन में लगाना चाहिये, वार्ड मेम्बरी से विधायक बनने में लगाना चाहिये, बुरा मानने में नहीं लगाना चाहिये।
7. अश्लीलता सिर्फ़ नंगी फ़ोटुओं में ही नहीं होती, वाटर पार्क भी कई बार अश्लील लग सकते हैं।
8. बच्चों को पानी के माध्यम से सिखाया जा सकता है कि संयम क्या होता है। सुबह नल की प्रतीक्षा, फ़िर न आने पर शाम को नल की प्रतीक्षा, फ़िर अगले दिन भी यही, फ़िर...। इस तरह से जिसने पानी का इन्तजार साध लिया , वह धीरे-धीरे संयमी हो जाता है।
9. नल किसी झूठी प्रेमिका सा बर्ताव करता है, जो सच्ची में नहीं आती, बस ख्वाब में आती है।
10. सबको रोटी, कपड़ा ,मकान की उम्मीदों के साथ सपने शुरु हुये थे। अब पानी भी सपना हो।
11. जिनके पास मनी होता है, वो किसी प्लांट-व्लांट की चिंता नहीं करते, जानते हैं कि जब चाहेंगे , खड़ा कर लेंगे।
12. जिनके पास न मनी होता है और न प्लांट, वो घर में लाकर मनी प्लांट का पौधा लगाते हैं।
13. गुलाब ने बहुत टाइम वेस्ट करवाया है। पुराने राजाओं के फ़ोटो देखो, तो उनके हाथ में जो फ़ूल दिखाई देता है, वह है - गुलाब। गुलाब सूंघने में इनर्जी खल्लास कर दी, उधर से अंग्रेज आकर जम गये और पूरे इंडिया को ही अपने लिये मनी-प्लांट बना लिया।
14. पानी नेताओं के ईमान की तरह हो गया है। जिसकी बातें तो बहुत होती हैं, पर दिखता बहुत कम है।
15. पानी तो सबके काम आ जाता है, पर नेताओं का ईमान किसी के काम नहीं आता, सिर्फ़ नेताओं के काम आता है।
16. ईमान उनके लिये नीति नहीं, बल्कि रणनीति है।
17. ईमान को नीति बनाने वाले मरते हैं, हां ईमान को बतौर रणनीति इस्तेमाल करने वाले मौज में रहते हैं।
18. ईमान की बात करने वाले बन्दे के रेट उसी तरह बढ जाते हैं जिस तरह से रेड लाइट एरिया से बहुत दूर परम पॉश कॉलोनियों में धंधा करनेवालियों को बढे हुये रेट मिलते हैं।
19. बेईमानी के झमाझम पैसे मिलेंगे, अगर वह ईमानदारी की पैकिंग में हो।
20. डकैती के टनाटन रिटर्न मिलेंगे, अगर वो खादी की राष्ट्रसेवी वर्दी में की जाये।
21. सच को सच तब ही माना जायेगा, जब वह झूठ की तरह विश्वसनीय हो।
22. इंटेलेक्चुल कहलाये जाने की पहली शर्त यही है बन्दा अपने लिखे के सिवा कुछ और न पढे और खुद के लिखे को छोड़कर बाकी सारे लेखन को कचरा घोषित कर दे।
23. औरों के लिखे को पढने में जो टाइम वेस्ट करेगा, वो खुद को इंटेक्चुअल साबित करने के लिये टाइम कहां से निकालेगा।
24. इधर होना या उधर होना बहुत घाटे का सौदा है। इंडियन फ़ंडा यह है कि इधर भी होना, उधर भी होना, मौका मुकाम देखकर किधर भी होना।
25. जिनकी कायदे की जुगाड़ है, उन्हें पुरस्कार मिल जाता है। जिनकी उस लेवेल की नहीं होती, वो पुरस्कार निर्णायक समिति में आ जाते हैं।
26. भलाई अब एक्सचेंज ऑफ़र के तरह की जाती है। तू मेरी कर, मैं तेरी।
https://www.facebook.com/anup.shukla.14/posts/10212355710021322

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