Thursday, September 26, 2024

शरद जोशी के पंच -3

 


1. भारतीय संगीत को नष्ट-भ्रष्ट करने का एक तरीक़ा यह है कि उसमें पाश्चात्य संगीत घुसा दिया जाए।
2. भारतीय संस्कृति में शैली यह रही है कि यदि आप किसी की शरण में जाना चाहते हैं तो लपककर उसके चरण पकड़ लीजिए और तब तक न छोड़िए जब तक वह क्षमा करके आपका अंगीकार न कर ले।
3. हमारे राष्ट्रीय जीवन में 'सत्यमेव जयते' एक सील है, ठप्पा है। आप इसे सरकारी मुहर से लेकर चाय की दुकान पर लगे निरर्थक आदर्श वाक्यों की सजावट तक कहीं देख सकते हैं।
4. झूठ की तात्कालिक विजय इतनी असरकारक होती है कि सत्य की अंतत: विजय होगी। यह मात्र छलावा लगता है।
5. एक राष्ट्र नोट पर सत्यमेव जयते छापकर सत्य की जीत के प्रति बेफ़िक्र हो जाता है। सत्य के प्रति भी बेफ़िक्र हो जाता है।
6. इस देश में जहां लोग बजाय सत्य के सत्यनारायण की कथा पर अधिक भरोसा रखते हैं, वहाँ एक सील या ठप्पा, सील या ठप्पा होने से अधिक गहराई अर्जित नहीं कर पाता।
7. जहां सामाजिक जीवन में अदना आदमी असत्य से आँखे चार करने की बजाय कतराकर निकल जाने में स्वयं को अधिक सुरक्षित महसूस करता हो, जहां आर्थिक शक्तियाँ असत्य को सामान्य व्यावहारिकता के तहत स्वीकार करती हों,जहां राजनीति असत्य के पर चलते ही की जा सकती हो, वहाँ सत्यमेव जयते नोटों पर बने एक चित्र से अधिक अर्थ नहीं रखता। कलाकृति मात्र।
8. यह देश सत्यमेव जयते की सील बना सत्य के प्रति लापरवाह है। सत्य की रक्षा करने वाले न्यायालयों के प्रति लापरवाह हैं।
9. न्यायाधीशों की आर्थिक हालत उन पंडा-पुजारियों की तरह ख़स्ता होती है जो प्रदूषणग्रस्त नदी के घाट पर या उपेक्षित मंदिरों में बैठे रहते हैं।उनकी हालत तभी सुधर सकती है जब वे असत्य से निरंतर तालमेल जमाते रहें।
10. सत्यमेव जयते की सील के नीचे सत्य की रक्षा करने वालों की बढ़ी दुर्दशा है। जिन नोटों पर सत्य की जीत लिखी होती है उन ही नोटों के कारण सत्य इस देश में निरंतर पराजित होता है।

https://www.facebook.com/share/p/5ASDCPz6RXYyzkrE/

No comments:

Post a Comment