कल लाजपत भवन में कवि सम्मेलन था। सुनने गए। गाड़ी खड़ी करने में समस्या की बात सोचकर गाड़ी मंगा ली। रैपिडो से। गाड़ी वाले ने बताया -'अब ओला, उबर की राइड कोई नहीं उठाता।रैपिडो वाले कमीशन नहीं लेते। उसी की सवारी उठाते हैं।'
गाड़ी डाउन पेमेंट पर ली थी। तीन साल पहले। पिता ने दिए थे पैसे। क़ीमत वसूल हो गयी है। अभी ट्रेनिग कर रहा है तीन साल से मेडिकल फ़ील्ड में। नौकरी लगने पर गाड़ी बेच देगा। नई ख़रीद लेगा।
बालिकाओं से दोस्ती की बात पर बताया -'कई लोगों से हुई दोस्ती। हुई। कुछ दिन रही। छूट गयी। मेडिकल लाइन में सब ऐसा ही होता है।'
मैंने पूछा -'अभी जिससे दोस्ती है वह कितने दिन पुरानी है।'
'तीन साल से दोस्ती है। वह भी मेडिकल लाइन में आने की तैयारी कर रही है।' -बालक ने बताया।
मेडिकल लाइन मतलब मेडिकल सहायक, नर्स जैसे काम।
बालक ने बताया कि वह मेडिकल लाइन के सारे काम जानता है। कर लेता है। ट्यूब लगाना, बोतल लगाना और तमाम काम।
हमने पूछा -'तीन साल की दोस्ती तो काफ़ी पुरानी हो गयी। उस बालिका में क्या ख़ासियत है ऐसी जो दोस्ती तीन साल से जारी है?'
'उसका स्वभाव बहुत अच्छा है। हमारा ख़्याल रखती है। समझाती है। कोई भी समस्या हो तो फ़ौरन साथ खड़ी होती है। हम कोई चीज़ कहें लाती है।' -बालक ने बताया।
अपने स्वभाव के बारे में बताते हुए बालक ने बताया -'हमें ग़ुस्सा बहुत आता है। वह हमको समझाती है।कभी ग़ुस्से में लड़ाई भी हो जाती है उससे। लेकिन फिर बात शुरू हो जाती है।'
'मुलाक़ात महीने में एकाध बार होती है। फ़ोन पर बात होती रहती है। घूमने भी गए हैं साथ -साथ बाहर। घर वालों को 'शक' है हमारी दोस्ती के बारे में लेकिन पक्का पता नहीं है।'- बालक ने आगे बताया।
बालक के ग़ुस्से का नमूना रेलिंग क्रासिंग पर मिल गया। एक मोटर साइकिल वाले ने गाड़ी के बग़ल में अपनी गाड़ी लगा दी। बालक ग़ुस्से में उबल गया। हमने दोनों को समझाया तो मामला शांत किया।
'तुम्हारी दोस्त जब इतनी अच्छी है तो उससे शादी क्यों नहीं कर लेते?' -हमने पूछा।
'अभी शादी की बात कैसे करें? अभी तो ट्रेनिग पूरी होनी है। उसको भी पढ़ाई करनी है अभी। देखा जाएगा जब सेट हो जाएँगे।' -बालक ने बताया।
बालक की उमर 24-25 की है। अभी सेट होने में समय है तब वह सोचेगा आगे के बारे में।
इसके बाद बालक ने अपने बारे में और बताया -'वह मोबाइल के बारे में बहुत कुछ जानता है। मोबाइल हैकिंग़ की बेसिक ट्रेनिंग ली हुई है उसने।'
इसी सिलसिले में उसने आगे बताया -'अपनी दोस्त का मोबाइल भी उसने हैक कर रखा है। पिछले तीन साल से। उसका हर मेसेज, हर नोटिफ़िकेशन हम देख लेते हैं। हमारे अलावा और किसी से उसका सम्बन्ध/सम्पर्क नहीं है।इसीलिए हमको पता है उसका स्वभाव अच्छा है।'
हमने कहा -' यह तो ग़लत बात है। इसका मतलब तुमको अपनी दोस्त पर भरोसा नहीं है। क्या तुम्हारी दोस्त को पता है कि तुमने उसका मोबाइल हैक कर रखा है? दोस्ती में जासूसी तो अच्छी बात नहीं है।'
उसने बताया -'उसको पता नहीं है। हमने चुपचाप उसका मोबाइल हैक किया है।'
हमने उससे कहा -'ये तो और ग़लत बात है। तुमने ख़ुद कई लड़की दोस्त बनाए/ छोड़े। अपनी दोस्त की जासूसी करते हो बिना बताए। उसको पता चलेगा तो क्या सोचेगी तुम्हारे बारे में?'
बालक ने कहा -'आपकी बात सही है। लेकिन करना पड़ता है यह। मेडिकल लाइन में यह सब बहुत होता है। लड़कियाँ-लड़के आपस में बहुत जल्दी सम्बन्ध बना लेते हैं। इसके बाद उसने एक क़िस्सा बताया जिसमें कुछ दिन में ही सम्बंध बनकर टूट भी गए।'
दोस्त को पता चलने की बात पर उसने कहा -'उसको पता ही नहीं चलेगा। हमारे अलावा और कोई नहीं जानता इस बात को।'
हमने कहा -'पहली बात तो यह कि कोई जाने या न जाने बिना बताए किसी की जासूसी करना ग़लत बात है। दूसरी बात जैसे तुमने हमको बताया वैसे ही किसी न किसी तरह बात उस तक भी पहुँच जाएगी। यह ठीक नहीं है।'
और कोई बात होती आगे तब तक लाजपत भवन आ गया। हम उतर गए। वह चला गया। हम भी चले गए लाजपत भवन के अंदर कवि सम्मेलन सुनने। वहाँ कई प्रेम कविताएँ सुनाई कवियों ने। किसी में प्रेम में मोबाइल हैकिंग़ का ज़िक्र नहीं था। कवि अभी भी आखों, दिल, नज़रों, ख़ुशबू, तितली और दीगर मुलायम एहसासों से मोहब्बत का इज़हार कर रहे हैं।
यह लिखते समय याद आया कि दुनिया में अपनी हर ग़लत/सही बात को जायज़ ठहराने के लिए तर्क मौजूद हैं। मोहब्बत में जासूसी की बात सही ठहराने के लिए बहुत पहले कहा जा चुका है -'मोहब्बत और जंग में सब जायज़ है।'
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