Indu Bala Singh जी से अपन बहुत पहले से फ़ेसबुक के माध्यम से जुड़े हैं। अध्यापन पेशे से जुड़ी इंदु जी हमारी पोस्ट्स नियमित रूप से पढ़ती रहीं हैं। अपनी टिप्पणियों से हौसला आफ़ज़ाई भी करती रही हैं। इंदु जी के बेटे नवल सिंह ने NIT राउरकेला से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के बाद कुछ दिन एक पब्लिक सेक्टर में सेवाएँ दीं। इसके बाद आईआईएम इंदौर से एमबीए किया। आजकल तकनीकी क्षेत्र में अपना काम कर रहे हैं।
इंजीनियर्स डे के मौक़े पर हुई इस अनौपचारिक बातचीत में हमारा स्कूल, कालेज, नौकरी और जीवन के विविध अनुभव शामिल हैं। इनमें जिन निर्माणियों में हमने काम किया (OFC, SAF, VFJ, OPF , OCFS) उनके भी कुछ-कुछ किस्से हैं। गुरुजी और वरिष्ठ जन और साथियों से जुड़े संस्मरण हैं। ये सब बिना तैयारी के जैसे -जैसे बातचीत के दौरान याद आता गया उसी रूप में हैं।
नवल सिंह से हुई इस बातचीत में माडरेटर की भूमिका निभाई इंदु बाला सिंह जी ने। उनके कुछ विचार भी हैं इस बातचीत में। उनका साफ़ मानना है कि इंजीनियर, डाक्टर और अन्य स्पेशल ट्रेनिंग पाए लोगों को आई टी के क्षेत्र में नहीं जाना चाहिए। अपनी ही फ़ील्ड में काम करना चाहिए। दूसरी फ़ील्ड में जाकर वे सरकार और समाज का वह पैसा एक तरह से बरबाद करते हैं जो उनकी ट्रेनिंग में लगा।
और भी कई बातें हैं इस बातचीत में। समय निकाल कर सुनिए। सुनने के लिए नीचे दी हुई लिंक को क्लिक करें। मुझसे जुड़े तमाम पहलुओं के किस्से हैं इस बातचीत में। बातचीत की अवधि है लगभग एक घंटा 45 मिनट।
अगर बातचीत सुनते हैं तो अगर सम्भव हो तो अपनी राय भी बताएँ।
(आम तौर पर मैं टैग नहीं करता लेकिन इस पोस्ट को कई मित्रों को टैग किया है । उनको सुनवाने के लिये। जिनको टैगिंग पसंद नहीं है वो बता देंगे तो आगे से टैग नहीं करेंगे)
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