आज लखनऊ की अट्टहास गोष्ठी में जाना था। जा नहीं पाया। अफ़सोस है। अनूप जी माफ़ करेंगे।
'अट्टहास' हास्य-व्यंग्य पर केंद्रित पत्रिका है। छंटे हुए रचनाकारों की छंटी हुई रचनाएँ छपती हैं इसमें। हमारे नामराशि अनूप श्रीवास्तव जी इसके प्रधान सम्पादक हैं। सालों तक अख़बार में नियमित व्यंग्य लिखते रहने वाले अनूप जी वाकई में अद्भुत ऊर्जा के धनी हैं।
अट्टहास पत्रिका हर वर्ष युवा और वरिष्ट अट्टहास पुरस्कार प्रदान करती है। इस बार का युवा अट्टहास पुरस्कार नीरज वधवार को और वरिष्ठ अट्टहास पुरस्कार वरिष्ठ रचनाकार हरिजोशी जी को देना तय हुआ है।
'अट्टहास' हास्य-व्यंग्य पर केंद्रित पत्रिका है। छंटे हुए रचनाकारों की छंटी हुई रचनाएँ छपती हैं इसमें। हमारे नामराशि अनूप श्रीवास्तव जी इसके प्रधान सम्पादक हैं। सालों तक अख़बार में नियमित व्यंग्य लिखते रहने वाले अनूप जी वाकई में अद्भुत ऊर्जा के धनी हैं।
अट्टहास पत्रिका हर वर्ष युवा और वरिष्ट अट्टहास पुरस्कार प्रदान करती है। इस बार का युवा अट्टहास पुरस्कार नीरज वधवार को और वरिष्ठ अट्टहास पुरस्कार वरिष्ठ रचनाकार हरिजोशी जी को देना तय हुआ है।
नीरज वधवार वनलाइनर और गैरसरोकारी लेखक होने के लिए बदनाम हैं। इसीलिये कई
समर्पित व्यंग्यकार इस बात से खफा भी हैं कि तमाम बेहतर व्यंग्यकारों की
अनदेखी करके नीरज वधवार को इनाम दिया गया। कई लोगों ने इस विसंगति पर
पोस्टें भी लिखीं।
लेकिन मेरी समझ में यह संस्था का अपना निर्णय है। 'छंटे हुए रचनाकारों की छंटी हुई रचनायें' छांटने वाले लोग अपने हिसाब से इनाम देने के लिए भी लोग 'छांट' ही सकते हैं। वैसे भी इनाम हमेशा 'छंटे हुए लोगों' को ही मिलता है।
सरोकार अगर नहीं हैं नीरज में तो हास्य तो है। अट्टहास पत्रिका हास्य-व्यंग्य की पत्रिका है। व्यंग्य से ख़ारिज करना है तो हास्य तो है बालक में।
हरि जोशी जी ने 11 व्यंग्य संग्रह और 5 व्यंग्य उपन्यास लिखे हैं। इंजीनियर हैं भाई। कागज पर वरिष्ठ अट्टहास पुरस्कार से नवाजने के लिए इससे बेहतर क्या पात्र और कौन होगा भाई।
मुझे जहां तक जानकारी है कि मेरे मामाजी स्व. कन्हैयालाल नन्दन जी को भी अट्टहास सम्मान मिला था।( 2005 में) मेरी जानकारी में उन्होंने हास्य और व्यंग्य लेखन कभी किया नहीं। हास्य-व्यंग्य रचनाओं के संकलन भले किये हों।
यह जानकारी उन साथियों के लिए जो इन सम्मानों के पीछे रचनाओं का स्तर तलाशते हुए हलकान हो रहे हैं। सूची में ऐसे लोगों के नाम भी शामिल हैं जिनको शीर्ष व्यंग्यकार सपाट लेखन घराने के लेखक कहते हैं।
इन बार चयन किये गए रचनाकारों पर आज के समय के व्यंग्यकार जैसी तीखी और हतप्रभ और हक्का-बक्का होने जैसी टिप्पणियां कर रहे हैं उनसे ताज्जुब हो रहा है मुझे कि विसंगतियों के चीरफाड़ करने वाले डॉक्टर इस विसंगति (अगर है भी तो) से इतने हतप्रभ हैं।
इन दोनों रचनकारों और अट्टहास के आयोजकों पर सोशल मिडिया और अन्यत्र अपने तमाम साथियों की तीखी टिप्पणियाँ देखकर परसाई जी अपने मित्र को लिखी टिप्पणी याद आती है:
' हम सभी विभाजित व्यक्तित्व के लोग हैं। हम कहीं बहुत करुण और कहीं बहुत क्रूर होते हैं।'
नीरज वधवार से मेरी एक बार की मुलाकात है। लेखन के चलते ही मुझे बहुत प्रिय हैं। उनको इस इनाम के मिलने की मुझे ख़ुशी है। हरि जोशी जी को मैंने पढ़ा नहीं पर इतने विपुल लेखन के लिए उनके प्रति आदर का भाव है। दोनों को हार्दिक बधाई।
मन मेरा बहुत था कि वहां होता और सभी साथियों से मिलता लेकिन जा नहीं पाने का अफ़सोस है। लोगों को फोटुओं में ही देखेंगे।
अट्टहास टीम और सभी भाग लेने वाले साथियों को कार्यक्रम शानदार और सफल होने की मंगलकामनाएं।
Neeraj Badhwar, Anup Srivastava
लेकिन मेरी समझ में यह संस्था का अपना निर्णय है। 'छंटे हुए रचनाकारों की छंटी हुई रचनायें' छांटने वाले लोग अपने हिसाब से इनाम देने के लिए भी लोग 'छांट' ही सकते हैं। वैसे भी इनाम हमेशा 'छंटे हुए लोगों' को ही मिलता है।
सरोकार अगर नहीं हैं नीरज में तो हास्य तो है। अट्टहास पत्रिका हास्य-व्यंग्य की पत्रिका है। व्यंग्य से ख़ारिज करना है तो हास्य तो है बालक में।
हरि जोशी जी ने 11 व्यंग्य संग्रह और 5 व्यंग्य उपन्यास लिखे हैं। इंजीनियर हैं भाई। कागज पर वरिष्ठ अट्टहास पुरस्कार से नवाजने के लिए इससे बेहतर क्या पात्र और कौन होगा भाई।
मुझे जहां तक जानकारी है कि मेरे मामाजी स्व. कन्हैयालाल नन्दन जी को भी अट्टहास सम्मान मिला था।( 2005 में) मेरी जानकारी में उन्होंने हास्य और व्यंग्य लेखन कभी किया नहीं। हास्य-व्यंग्य रचनाओं के संकलन भले किये हों।
यह जानकारी उन साथियों के लिए जो इन सम्मानों के पीछे रचनाओं का स्तर तलाशते हुए हलकान हो रहे हैं। सूची में ऐसे लोगों के नाम भी शामिल हैं जिनको शीर्ष व्यंग्यकार सपाट लेखन घराने के लेखक कहते हैं।
इन बार चयन किये गए रचनाकारों पर आज के समय के व्यंग्यकार जैसी तीखी और हतप्रभ और हक्का-बक्का होने जैसी टिप्पणियां कर रहे हैं उनसे ताज्जुब हो रहा है मुझे कि विसंगतियों के चीरफाड़ करने वाले डॉक्टर इस विसंगति (अगर है भी तो) से इतने हतप्रभ हैं।
इन दोनों रचनकारों और अट्टहास के आयोजकों पर सोशल मिडिया और अन्यत्र अपने तमाम साथियों की तीखी टिप्पणियाँ देखकर परसाई जी अपने मित्र को लिखी टिप्पणी याद आती है:
' हम सभी विभाजित व्यक्तित्व के लोग हैं। हम कहीं बहुत करुण और कहीं बहुत क्रूर होते हैं।'
नीरज वधवार से मेरी एक बार की मुलाकात है। लेखन के चलते ही मुझे बहुत प्रिय हैं। उनको इस इनाम के मिलने की मुझे ख़ुशी है। हरि जोशी जी को मैंने पढ़ा नहीं पर इतने विपुल लेखन के लिए उनके प्रति आदर का भाव है। दोनों को हार्दिक बधाई।
मन मेरा बहुत था कि वहां होता और सभी साथियों से मिलता लेकिन जा नहीं पाने का अफ़सोस है। लोगों को फोटुओं में ही देखेंगे।
अट्टहास टीम और सभी भाग लेने वाले साथियों को कार्यक्रम शानदार और सफल होने की मंगलकामनाएं।
Neeraj Badhwar, Anup Srivastava
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