कभी-कभी तकनीक भी आपको चिरकुटई के काम करने से रोकती है।
हुआ यह कि आज सुबह पिछले हफ्ते लखनऊ में 'अट्टहास सम्मान समारोह' पर लोगों की पोस्टों, सुनी-सुनाई बातों और इन सबसे बढ़कर अपने पूर्वग्रहों के आधार पर एक लंबी पोस्ट लिखी।
पूर्वाग्रह का बहुत बड़ा योगदान रहता है किसी भी घटना पर अपनी राय कायम करने में।
पोस्ट की टोन खिंचाई की थी। लेकिन पोस्ट करने से पहले ही फायर फॉक्स बन्द हो गया कहते हुये -'माफ़ करो भाई। दुबारा स्टार्ट करो।'
दुःख हुआ एक 'क्रांतिकारी' पोस्ट के मिट जाने का। पर सुकून भी मिला यह सोचकर -'अच्छा ही हुआ फालतू की पोस्ट पोस्ट नहीँ हुई।'
पोस्ट तो मिट गयी। अच्छा हुआ। लेकिन एक बात कहना चाहता हूं। कह देना जरुरी है क्योंकि बार-बार मेरे मन में वह बात हल्ला मचा रही है। नहीं कहेंगे तो इसी बारे में सोचते रहेंगे। टाइम बर्बाद होगा।
नीरज बधवार को युवा अट्टहास सम्मान से सम्मान से नवाजा गया। इस बात से कुछ व्यंग्यकार साथी खुश नहीं थे। कुछ नाराज भी थे। कुछ इतने खफा थे कि उन्होंने समारोह का सम्पूर्ण बहिष्कार भी किया। उनकी नजर में 'नीरज बधवार' सिर्फ वनलाइनर हैं -व्यंग्यकार नहीँ।
नीरज को मात्र वनलाइनर कहकर खारिज करने वालों की सुविधा के लिए नीरज के व्यंग्य संग्रह में ज्ञानचतुर्वेदी जी द्वारा लिखी भूमिका यहाँ पेश है। ज्ञान जी ने नीरज को व्यंग्य लेखक बताते हुए उनकी खूबियों और खामियों की तरफ इशारा करते हुए आगे की चुनौतियाँ भी बताई हैं।
मैं नीरज बधवार का प्रवक्ता नहीँ। सच तो यह है कि नीरज की लोकप्रियता से ’काम भर की जलन’ ही रखता हूँ। मेरा नीरज से कोई लाभ-हानि का सम्बन्ध है। न ही व्यंग्य के क्षेत्र में मैं कोई आधिकारिक बयान देने की हैसियत में हूँ। पर एक आम पाठक की हैसियत से मुझे लगता है कि नीरज को मात्र वनलाइनर कहकर खारिज करना उनके साथ अन्याय है। उनकी प्रतिभा के साथ अन्याय है।
Neeraj Badhwar
हुआ यह कि आज सुबह पिछले हफ्ते लखनऊ में 'अट्टहास सम्मान समारोह' पर लोगों की पोस्टों, सुनी-सुनाई बातों और इन सबसे बढ़कर अपने पूर्वग्रहों के आधार पर एक लंबी पोस्ट लिखी।
पूर्वाग्रह का बहुत बड़ा योगदान रहता है किसी भी घटना पर अपनी राय कायम करने में।
पोस्ट की टोन खिंचाई की थी। लेकिन पोस्ट करने से पहले ही फायर फॉक्स बन्द हो गया कहते हुये -'माफ़ करो भाई। दुबारा स्टार्ट करो।'
दुःख हुआ एक 'क्रांतिकारी' पोस्ट के मिट जाने का। पर सुकून भी मिला यह सोचकर -'अच्छा ही हुआ फालतू की पोस्ट पोस्ट नहीँ हुई।'
पोस्ट तो मिट गयी। अच्छा हुआ। लेकिन एक बात कहना चाहता हूं। कह देना जरुरी है क्योंकि बार-बार मेरे मन में वह बात हल्ला मचा रही है। नहीं कहेंगे तो इसी बारे में सोचते रहेंगे। टाइम बर्बाद होगा।
नीरज बधवार को युवा अट्टहास सम्मान से सम्मान से नवाजा गया। इस बात से कुछ व्यंग्यकार साथी खुश नहीं थे। कुछ नाराज भी थे। कुछ इतने खफा थे कि उन्होंने समारोह का सम्पूर्ण बहिष्कार भी किया। उनकी नजर में 'नीरज बधवार' सिर्फ वनलाइनर हैं -व्यंग्यकार नहीँ।
नीरज को मात्र वनलाइनर कहकर खारिज करने वालों की सुविधा के लिए नीरज के व्यंग्य संग्रह में ज्ञानचतुर्वेदी जी द्वारा लिखी भूमिका यहाँ पेश है। ज्ञान जी ने नीरज को व्यंग्य लेखक बताते हुए उनकी खूबियों और खामियों की तरफ इशारा करते हुए आगे की चुनौतियाँ भी बताई हैं।
मैं नीरज बधवार का प्रवक्ता नहीँ। सच तो यह है कि नीरज की लोकप्रियता से ’काम भर की जलन’ ही रखता हूँ। मेरा नीरज से कोई लाभ-हानि का सम्बन्ध है। न ही व्यंग्य के क्षेत्र में मैं कोई आधिकारिक बयान देने की हैसियत में हूँ। पर एक आम पाठक की हैसियत से मुझे लगता है कि नीरज को मात्र वनलाइनर कहकर खारिज करना उनके साथ अन्याय है। उनकी प्रतिभा के साथ अन्याय है।
Neeraj Badhwar
https://www.facebook.com/anup.shukla.14/posts/10207948351200106
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