Friday, June 24, 2022

सबसे खूबसूरत शहर



अखबार अक्सर रह जाता है पढ़ने से। देर से आता है। आज कुछ जल्दी आ गया। हाथ में लेते ही पीछे का पन्ना खोला। सामने के पन्ने पर आजकल विज्ञापनों का कब्जा रहता है। विज्ञापनों में अक्सर ऐसी शक्लों और खबरों की वाहवाही दिखती है कि पहला पन्ना अखबार का सबसे वाहियात पेज लगता है। जिनको आप देखना न चाहें उनकी मुस्कराती शक्ल देखना वह भी सबसे पहले, अहमकपन वाली बात है।
इसीलिए शुरुआत पीछे से करते हैं , अखबार पढ़ने की।
यह कुछ ऐसे जैसे घर के मुख्यद्वार पर माफिया कब्जा कर ले तो घर का मालिक , अदालत में केस करके, पिछवाड़े से आने-जाने लगे।
पीछे के पन्ने पर पहली खबर दुनिया के बेहतरीन शहरों के बारे में थी। वियना को सबसे बेहतरीन शहर बताया गया है। कनाडा के तीन शहर हैं लिस्ट में। हिंदुस्तान के शहरों का पहले 100 में नम्बर नहीं। दिल्ली को मिला 112 वां और मुम्बई को 117 वां।
सीरिया की राजधानी दमिश्क सबसे निचले पायदान पर है। वैसे भी युद्ध और तबाही से बर्बाद हो गया शहर रहने लायक कैसे हो सकता है। फिर भी तमाम लोग अभी भी वहां रहते होंगे और खाने को मिलता रहे तो इसे छोड़ना नहीं चाहते होंगे।
Samiksha Telang का 'पुणे तेथे, काय उणे' ( दुनिया में जो भी खास है, वो पुणे में न हो यह हो नहीं सकता) वाले पुणे का जिक्र भी नहीं। अपना 'झाड़े रहो कलट्टरगंज' वाला कानपुर भी गायब है। सर्वे में पक्का धांधली हुई है। जांच बिठाई जाए। जांच की रिपोर्ट आने तक शहरों की रेटिंग स्थगित की जाए।
दुनिया के तमाम लोग अपने-अपने हिसाब से अपने शहरों को पसंद करते हैं। बनारस वाले तो बहुत पहले ही कह चुके हैं -'जो मजा बनारस में, वो न पेरिस में , न फारस में।' मतलब इसके बाद भी बनारस का नाम न आये लिस्ट में तो गड़बड़ तक है ही।
लिस्ट में हमारे शहर का नाम न होना उसी तरह है जैसे त्रिलोचन जी एक कविता में लिखते हैं :
"सुना है प्रगतिशील कवियों की एक लिस्ट निकली है,
उसमें त्रिलोचन का नाम नहीं है।"
यह लिस्ट हमारे शहरों के नाम के बिना है। इसको खारिज ही करना चाहिए।
यह सर्वे शायद शहरों के अच्छे इलाकों को देखकर हुआ हो। अगर कोई लिस्ट ऐसी बने जिसमें दुनिया भर के सबसे खराब इलाके शामिल हों तो इन देशों की क्या हालत हो, पता नहीं।
हमारे यहां जो खराब इलाके हैं उनमें अनगिनत लोग अमानवीय स्थिति में रहते हैं। सबसे खराब इलाके और सबसे अच्छे इलाके की सुविधा में अंतर देखा जाए तो अनुपात एक और लाख का होगा। शायद और भी ज्यादा हो। दिन पंर दिन यह अंतर बढ़ता जा रहा है। आगे भी यह बढ़ते ही जाना है, ऐसा लगता है।
कारण और निवारण हमारे बस की बात नहीं। हम तो फिलहाल यही कह रहे कि लिस्ट फर्जी है। हम जहां रह रहे , वह जगह दुनिया की सबसे खूबसूरत जगह है। दुनिया में अगर कहीं स्वर्ग है तो यहीं हैं। वैसे भी कहते हैं न, खूबसूरती देखने वाले की आंख में होती है।
आप क्या कहते हैं इस मसले में?

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