कल रात वरिष्ठ व्यंग्यकार , पत्रकार अनूप श्रीवास्तव जी के न रहने का समाचार मिला। अट्टहास पत्रिका और अट्टहास सम्मान के माध्यम से हिंदी हास्य-व्यंग्य के क्षेत्र में अनूप जी का यादगार योगदान रहा। बातचीत होने पर अपने पत्रकार जीवन और साहित्य से जुड़े अनगिनत किस्से सुनाते थे। हर किस्से से जुड़ा कोई दूसरा किस्सा था उनके पास। पुरानी और नई पीढ़ी से लगातार संवाद , संपर्क में रहते थे।
मेरे लेखन के लिए कहते थे, “महिलाओं के स्वेटर बुनने की तरह अनूप अपना लेखन बुनता है।” अद्भुत जिजीविषा थी उनके भीतर। बीमार होने, चोट लगने के बावजूद जरा सा ठीक होते ही सक्रिय हो जाते।
उनके न रहने से हास्य-व्यंग्य के क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है। अनूप जी को विनम्र श्रद्धांजलि ।
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