Wednesday, January 15, 2025

‘हनाहन’ गन्ने का रस और जामुन का सिरका



नाम रखने में हिंदुस्तानियों का कोई जवाब नहीं। कनपुरियों का खासकर। गन्ने के रस और जामुन के सिरके की दुकान का नाम ‘हनाहन’देखकर लगा कि आमजन लेखकों से कम प्रयोगधर्मी नहीं होते। यह दुकान कल्याणपुर-बिठूर रोड पर बिठूर से छह किलोमीटर पहले है।
हनाहन का मतलब गूंगे के गुड़ की तरह है। समझा जा सकता है बताना मुश्किल। Alok Puranik जी के ‘दबादब’ की तरह ‘हनाहन’। तुलसीदास जी ने प्रयोग किया है:
‘मुठिका एक महाकपि हनी’।
लेकिन हनाहन में मारपीट नहीं है। अहिंसक है यह।
नाम आज से करीब पच्चीस साल पहले रखा गया। बोर्ड तीन साल पहले लगा। रजिस्टर्ड ट्रेड मार्क युक्त दुकान है। नाम रखने वाले उमाशंकर त्रिवेदी जी नब्बे साल के हैं। मतलब यह नाम उन्होंने करीब 65 साल की उम्र में रखा।
नाम देखकर रुके। गन्ने का रस पिया। दस रुपये ग्लास। आप भी कभी पहुँचिये ‘हनाहन।’

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